US BANS LASHKAR PROXY : अमेरिका ने TRF को विदेशी आतंकी संगठन किया घोषित

US BANS LASHKAR PROXY : America declared TRF a foreign terrorist organization
नई दिल्ली। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (26 नागरिकों की मौत) के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को Foreign Terrorist Organization (FTO) और Specially Designated Global Terrorist (SDGT) सूची में शामिल कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बयान जारी कर कहा कि TRF दरअसल लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा/प्रॉक्सी है और भारत में नागरिकों पर हुए कई हमलों, जिनमें पहलगाम हमला और सुरक्षा बलों पर 2024 के हमले शामिल हैं, की जिम्मेदारी ले चुका है।
रुबियो ने यह भी कहा कि यह कदम अमेरिकी प्रशासन (राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प) की पहलगाम पीड़ितों के लिए न्याय की प्रतिबद्धता और आतंकवाद के विरुद्ध कड़े रुख को दर्शाता है।
भारत की प्रतिक्रिया: “आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस”
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इसे भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग की “मजबूत पुष्टि” बताया और TRF को FTO व SDGT घोषित करने के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया। जयशंकर ने कहा—आतंकवाद के लिए शून्य सहनशीलता।
TRF क्या है?
उत्पत्ति: आर्टिकल 370 हटने (2019) के बाद उभरा संगठन।
पृष्ठभूमि: भारत सरकार इसे लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी मानती है।
सक्रिय क्षेत्र: मुख्यतः जम्मू-कश्मीर।
हाइब्रिड आतंकवाद मॉडल: स्थानीय दिखने वाले व्यक्तियों को गुप्त आतंकी गतिविधियों में झोंकना।
गतिविधियाँ: नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले, सीमा पार से हथियार व ड्रग्स की तस्करी में संलिप्तता।
भारत ने 5 जनवरी 2023 को TRF को आतंकी संगठन घोषित किया।
पहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025):
26 नागरिकों की मौत।
TRF ने पहले जिम्मेदारी ली—कहा भारत कश्मीर की जनसंख्या संरचना बदल रहा।
4 दिन बाद (26 अप्रैल) TRF ने पलटी मारते हुए कहा—हम जिम्मेदार नहीं; हमारी वेबसाइट “हैक” कर दी गई थी।
अमेरिका की FTO लिस्ट में शामिल होने के मायने
राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे की मान्यता: अमेरिकी विदेश विभाग की FTO लिस्ट में वे संगठन आते हैं जिन्हें अमेरिका अपनी सुरक्षा, विदेश नीति या नागरिकों के लिए जोखिम मानता है।
सहायता अपराध: ऐसे संगठन को धन, हथियार, तकनीकी या अन्य सहायता देना अमेरिका में दंडनीय अपराध हो जाता है।
SDGT नामित होने के प्रभाव
आर्थिक प्रतिबंध: अमेरिका में मौजूद संपत्तियाँ फ्रीज़; अमेरिकी व्यक्ति/संस्थाएँ लेन-देन नहीं कर सकतीं।
वैश्विक आर्थिक अलगाव: बैंकों और वित्तीय नेटवर्क तक पहुंच सिमटती है; दूसरे देश सतर्क होकर कदम उठा सकते हैं।
TRF पर अमेरिकी कार्रवाई से पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकी नेटवर्कों पर वैश्विक निगरानी कड़ी होगी। लश्कर-ए-तैयबा के “नाम बदलो, खेल जारी रखो” मॉडल को सीमित करने की दिशा में यह अहम संकेत है। भारत और अमेरिका के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग, फंड ट्रैकिंग और संयुक्त काउंटर-टेरर मेकेनिज्म को इससे बल मिल सकता है।