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समाज कल्याण गड़बड़ी, ढांड, राऊत के खिलाफ एफआईआर का आदेश त्रुटिपूर्ण-सुप्रीम कोर्ट

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विवेक ढांड एवं एम के राउत के द्वारा स्पेशल पिटीशन दायर की गई थी जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायधीश के द्वारा एक आदेश जारी कर छत्तीसगढ़ के द्वारा एक जनहित याचिका में पारित किये गए आदेश को रद्द कर दिया है। इस आदेश में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन के समाज कल्याण विभाग में आरोपित भ्रष्टाचार के सदंर्भ में केंद्र सरकार की जांच एजेंसी सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर इस मामले की जांच करने हेतु निर्देशित किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता परमजीत सिंह पटवालिया एवं अधिवक्ता अवि सिंह अपीलार्थीगण की ओर से बहस करते हुए तर्क पेश किये कि उपरोक्त आदेश अरक्षणीय है, इसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है क्योंकि इसमें न्यायालय ने अफसरों के खिलाफ आदेश जारी करने के पूर्व उन्हें नोटिस जानी नहीं किया था। उन्होंने आगे कहा कि उसी विभाग के असंतुष्ट कर्मचारियों ने यह जनहित याचिका लगाकर न्यायालय के क्षेत्राधिकारिता का दुरूपयोग किया है। वरिष्ठ अधिवक्तागणों द्वारा आगे यह तर्क पेश किया गया कि हाई कोर्ट बिना किसी जांच के आरोपित कई हजार करोड़ रूपये के फंड के दुरूपयोग के निष्कर्ष पर पहुंच गयी जो कि जनहित याचिकाकर्तागण के महज कपोलकल्पित आंकड़ों आधारित है। छत्तीसगढ़ शासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा महाधिवक्ता एवं मुकुल रोहतगी ने तर्क पेश किये। तर्कों के श्रवण उपरांत सर्वोच्च न्यायालय ने यह मानते हुए कि उच्च न्यायालय के द्वारा आदेश जारी करने की प्रक्रिया का त्रुटिपूर्ण थी, अमान्य कर दिया। तदुपरांत माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को माननीय सर्वोच्च न्यायालय को रिमाण्ड बैक करते हुए सभी पक्षों को सुनते हुए विधिसम्मत तरीके से मामले का श्रवण करने का निर्देश दिया, वहीं इस दौरान सीबीआई को भी किसी भी तरह की विपरीत कार्यवाही करने से रोकने का आदेश दिया है।

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