रायपुर में देशभक्ति का जोश भरा गजल सम्राट पंकज उधास ने…चिट्‌ठी आई है गाने से गूंजा ऑडिटोरियम

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रायपुर : मशहूर सिंगर पंकज उधास रायपुर पहुंचे। शहर के डीडी ऑडिटोरियम में उन्होंने लाइव कंसर्ट में परफॉर्म किया। कार्यक्रम में उन्होंने अपनी फेमस गजलें और सुपरहिट बॉलीवुड सॉन्ग चिट्‌ठी आई है भी परफॉर्म किया। कार्यक्रम से पहले संस्कृति विभाग ने हमर पहुना कार्यक्रम में भी पंकज उधास को बुलाया। यहां उधास ने जिंदगी की दिलचस्प किस्से शेयर किए। उन्होंने राजकपूर को याद करते हुए बताया- मेरा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गीत फिल्म ‘नाम’ का चिठ्ठी आई है, वतन से चिठ्ठी आई है… रहा, जिसने मुझे घर-घर में पहचान दिलाई। इस कार्यक्रम में बतौर अतिथि प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पहुंचे और पंकज उधास को सम्मानित भी किया।

राजकपूर साहब ने मुझे देखा और कहा कि, पंकज उधास अमर हो गया, पहले तो मुझे समझ ही नहीं आई कि वो क्या कह रहे हैं। फिर उन्होंने कहा चिट्‌ठी आई है, यह गीत राजेंद्र कुमार ने मुझे सुनाया था, उन्हें गाना बेहद पसंद आया। फिल्म नाम फिल्म के निर्माता राजेंद्र कुमार ही थे। इस गीत का पिक्चराइजनेशन पंकज पर ही किया था। पंकज ने कहा कि फिल्म का गीत फिल्म की आत्मा थी। मेरा सौभाग्य है कि, यह गीत मुझे गाने को मिला।

शुरुआत में मैं कॉलेज में मुकेश साहब के गीतों को गाता था, क्योंकि मुझे संजीदगी भरे गीत पसंद थे। मुकेश साहब की आवाज में दर्द था। उनका एक गीत-कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन बदन चुराए…मुझे काफी पसंद था। बाद में मैंने गजलों को प्राथमिकता दी। उर्दू जुबान से मुझे इश्क हुआ, और उर्दू गजलों के शब्द मुझे अच्छे लगते हैं। पहले की फिल्मों में सुरीला संगीत और काफी गीत होते थे, उनके बोल में अर्थ छिपा होता था। गीतों के दम पर फिल्में चलती थीं।

पंकज उधास ने बताया कि सन 1972 में वो पहली बार रायपुर आए थे। उनके दोस्त रायपुर के रहने वाले विद्यापति शुक्ला मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में पंकज के साथ पढ़ते थे। इस बार जब रायपुर आए तो पंकज ने कहा हम सब चाहते हैं, भारत नंबर 1 देश हो, छत्तीसगढ़ में इतना ज्यादा प्रोग्रेस हुआ है। आज जब मैं एयरपोर्ट से उतरा नया रायपुर देखता हूं, तो लगता है यहां ओवर ऑल प्रोग्रेस हो रहा है, यही प्रोग्रेस हमें नंबर 1 बनाएगा।

फेमस सिंगर के नाम को लेकर बहुत से लोगों में कंफ्यूजन होता है। उनका उपनाम (सरनेम) उधास है। संस्कृति विभाग ने अपने दफ्तर के बाहर मुक्तकाशी मंच पर पंकज का कार्यक्रम हमर पहुना आयोजित किया। यहां शाम 5 बजे पंकज को पहुंचना था करीब डेढ़ घंटे की देर से ये कार्यक्रम शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने जो बोर्ड लगवाया उस पर पंकज उधास की बजाए उदास लिखा गया था। इस तरह के बोर्ड छपने के लिए अफसर ही नाम देते हैं, छपने के बाद जांचते हैं। मगर यहां बड़ी लापरवाही उजागर हुई।

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