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तिरछी नजर : सूर्यकांत की जांच से ‘सूर्यकांत’ हलाकान

प्रदेश की राजनीति में दो सूर्यकांत तिवारी सक्रिय हैं । दोनों सूर्यकांत छात्र राजनीति से उभरे और कांग्रेस की राजनीति से जुड़े रहे। रायपुर के पुरानी बस्ती के रहवासी सूर्यकांत ने अजीत जोगी के रायपुर जिलाधीश रहते राजनीति की शुरूवात की और जोगी परिवार के प्रति निष्ठावान हैं। जग्गी हत्याकांड के चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ। राजनीतिक तिकड़म माहिर सूर्यकांत जोगी के संकटमोचक रहे हैं। लेकिन मुफलसी में जिन्दगी काट रहे हैं। दूसरा सूर्यकांत तिवारी महासमुन्द से आकर पहले विद्याचरण शुक्ल से जुड़ा फिर अजीत जोगी का दामन थाम लिया । यही नहीं,भाजपा के 15 साल में कार्यकाल में कई मंत्रियों के करीब रह कर काफी संपत्ति भी बनाई । दूसरी तरफ, पिछले कई महीनों से केन्द्र सरकार की कई एजेंसी पुरानी बस्ती के सूर्यकांत तिवारी की रेकी कर रही थी इसकी भनक लगते ही सूर्यकांत ने आला अफसरों से संपर्क कर कहा, कि मेरे पास कुछ नहीं हैं । मेरे हमनाम की वजह से भ्रम में आप लोग मेरे पीछे घूम कर समय खराब कर रहे हैं। तब कहीं जाकर अफसरों को अपनी गलती का अहसास हुआ ।

सरकार-संगठन में तनातनी के लिए रामगोपाल जिम्मेदार ?

टीम भूपेश बघेल के सदस्य रहे गिरीश देवांगन, शैलेष नितिन त्रिवेदी और विनोद वर्मा प्रदेश कांग्रेस संगठन से किनारे लगा दिए गए हैं। गिरीश राजीव भवन निर्माण समिति से जुड़े हुए थे। उनकी जगह महामंत्री रवि घोष को जिलों में राजीव भवन के निर्माण मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है। विनोद वर्मा की जगह अरूण सिसोदिया को बूथ कमेटी का प्रभारी बनाया गया है। शैलेष की जगह सुशील आनंद शुक्ला पहले ही संचार विभाग के प्रमुख बन चुके हैं।

पिछले कुछ समय से संगठन खेमा और टीम भूपेश के बीच खींचतान चल रही थी। कई लोग इसके लिए कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। चर्चा है कि रामगोपाल की वजह से रोजमर्रा के खर्चों में दिक्कत आ रही थी। जिलों में कई जगहों पर राजीव भवन का निर्माण कार्य पैसे की वजह से अटक गया है। संगठन खेमा अब रामगोपाल अग्रवाल को हटाने पर जोर दे रहा है। बताते हैं कि यदि मोहन मरकाम रिपीट हुए, तो रामगोपाल को कोषाध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है। कुल मिलाकर दोनों खेमों के बीच युद्ध विराम के आसार नहीं दिख रहे हंै।

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युनूस अली को फायदा 

छत्तीसगढ़ में पहली दफा 30 साल की सेवा पूरी कर चुके आईएफएस अफसरों को पीसीसीएफ का स्केल मिलने जा रहा है। इससे वर्ष-92 बैच तक के 9 अफसरों को फायदा होगा। खास बात यह है कि वर्ष-88 बैच युनूस अली जो अपै्रल में रिटायर हो चुके हैं, उन्हें भी पेंशन में इसका फायदा मिलेगा। यह सब विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर और पीसीसीएफ (प्रशासन) राकेश चतुर्वेदी के प्रयासों की वजह से संभव हो पाया है। युनूस अली की तरह वर्ष-85 पीसी मिश्रा, बीपी लोन्हारे भाग्यशाली नहीं रहे। दोनों अफसर पद रिक्त न होने की वजह से एपीसीसीएफ पद से ही रिटायर हो गए।


मोदी ने विधायक का हाल जाना

कुछ समय पहले झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। चर्चा में बैस ने छत्तीसगढ़ की राजनीतिक स्थिति को लेकर भी अपने विचार रखे। हास परिहास के बीच मोदी ने एक विधायक का हालचाल भी लिया। जिस अंदाज में मोदी ने विधायक के बारे में पूछताछ की है, उसकी पार्टी के अंदरखाने में काफी चर्चा हो रही है। बताते है कि बैस ने भाजपा संगठन को मजबूत करने के लिए सुझाव भी दिए हैं, जिसे काफी गंभीरता से लिया गया है। आगे क्या होता है, यह राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा।

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उज्जवल भविष्य के लिए यज्ञ 

चुनाव नजदीक आते ही कांगे्रस और भाजपा के प्रभावशाली नेता धर्म-कर्म में जुट गए हैं। साधु-संत और पंडितों के फोन भी नेताओं के पास आ रहे हैं। बताते हैं कि भाजपा के एक प्रभावशाली नेता ने अपने सरकारी निवास पर 110 पंडितों से हवन करवाया है, ताकि भविष्य की संभावनाएं उज्जवल रहे।

इसी तरह पिछले दिनों संवैधानिक पद पर रहे एक भाजपा नेता के पास संत का फोन आया और उनके लिए भी यज्ञ कराने की पेशकश की। संतजी ने कहा कि वो कई और के लिए यज्ञ कर चुके हैं। भाजपा नेता ने पूछ लिया कि किस नेता के लिए आपने यज्ञ किया है? इस पर संत जी ने भूपेश सरकार के एक ताकतवर मंत्री का नाम बताया। भाजपा नेता ने हाथ जोड़ लिए और कहा कि उनके लिए पहले से ही पंडित पूजा अर्चना करा रहे हैं। फिलहाल अभी और जरूरत नहीं है।

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ढेबर-विकास में टकराव? 

राजधानी रायपुर में जोर-शोर चल रहे मोर महापौर मोर द्वार अभियान को सफलता मिल रही है। आम लोगों के छोटे मोटे काम निपट रहे है कई बड़ी योजनाएं बन रही है। लेकिन कांग्रेस के तेज तर्रार विधायक विकास उपाध्याय इस अभियान से दूरी बना लिया है। विकास उपाध्याय का कहना है क्षेत्र की जनता के लिए वो 24 घंटे तैनात रहते हैं और निगम से काम कराने की मेरे ताकत है। फिर इस का अभियान क्यों? महापौर और विधायक के एक-दूसरे के खिलाफ खोलने के कारण अधिकारी भी परेशान है। नगर निगम के अभियान के दौरान विकास उपाध्याय व उसकी पूरी टीम ने दूरी बना ली है। अधिकारी उलझन में है और आशंका जताई जा रही कि खींचतान का असर चुनाव में दिखेगा।

 

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