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SURAT POLITICS : सूरत में कांग्रेस को अपनों ने ही लूटा गैरों में कहां दम था .. भाजपा के मुकेश दलाल कैसे बनें निर्विरोध सांसद, जानिए इन साइड स्टोरी

SURAT POLITICS: In Surat, Congress was looted by its own people, where was the strength among strangers.. How did BJP’s Mukesh Dalal become unopposed MP, know this side story.

लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे, लेकिन इससे पहले ही बीजेपी ने एक सीट पर जीत का परचम लहरा दिया है। गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन पत्र रद्द होने और अन्य उम्मीदवारों के नाम वापस लिए जाने के बाद सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मुकेश दलाल को इस सीट से निर्वाचित घोषित कर दिया गया।

मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए हैं जहां पर सात मई को मतदान होना था। सूरत जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार दलाल को छोड़कर सूरत लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले सभी आठ उम्मीदवारों ने अंतिम दिन अपना नाम वापस ले लिया जिनमें चार निर्दलीय, तीन छोटे दलों के नेता और बहुजन समाज पार्टी के प्यारेलाल भारती शामिल हैं।

निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में प्रथम दृष्टया विसंगति होने के बाद रविवार को रद्द कर दिया गया था। कुंभानी का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी रद्द कर दिया गया था। इस बीच सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन पत्र की खारिज हो गया।

बीजेपी ने जताई थी आपत्ति –

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले बीजेपी ने नीलेश कुंभानी के नामांकन पत्र पर आपत्ति जताई थी। कुंभानी ने अपना नामांकन पत्र में चार प्रस्तावकों के हस्ताक्षर शामिल किए थे। आरोप है कि इन चार में तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर नकली है। तीन प्रस्तावकों ने ही अपने हस्ताक्षर नकली होने का दावा किया था। खास बात ये है कि ये तीनों ही नीलेश कुंभानी के बेहद करीबी थे। एक उनका बहनोई था, दूसरा भतीजा और तीसरा उनका करीबी बिजनेस पार्टनर था। जानकारी के मुताबिक रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी के ऑर्डर में कहा गया है कि तीनों प्रस्तावकों ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि नामांकन पत्र पर जो हस्ताक्षर किए गए हैं वो उनके नहीं हैं। इसके बाद भी नीलेश कुभानी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय मिला था। लेकिन तब भी वह तीनों प्रस्तावकों में से किसी को चुनाव अधिकारी के सामने पेश नहीं कर पाए जिसके बाद उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस उम्मीवार कुंभानी को उनके ही करीबियों ने धोखा दे दिया।

उधर नीलेश कुंभानी का आरोप है कि उनके प्रस्तावकों को अगवा कर लिया गया है। इस बाबत उमरा पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई गई है। हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

अन्य उम्मीदवारों ने वापस क्यों लिया नाम? –

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक निर्दलीय उम्मीदवार रमेश भाई बारैया ने फॉर्म वापस लेने की वजह बताते हुए कहा कि जब दो मुख्य पार्टियां चुनावी मैदान में हों तो चुनाव लड़ने में मजा आता है। लेकिन जब एक ही पार्टी हो तो चुनाव कैसे लड़ा जा सकता है। उन्होंने ये भी बताया कि जब कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म रद्द हो गया था तो उन्होंने कांग्रेस नेताओं से उनका समर्थन करने को कहा लेकिन किसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई जिसके बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।

 

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