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पति मृत्यु शैया पर हैं, उनके स्पर्म से मातृत्व पाना चाहती हूं, मुझे मंजूरी दें, हाईकोर्ट ने कहा- इजाजत है

अहमदाबाद: ‘मेरे पति मृत्यु शैया पर है। मैं उनके स्पर्म से मातृत्व सुख प्राप्त करना चाहती हूं, पर मेडिकल कानून इसकी इजाजत नहीं देता। हमारे प्यार की अंतिम निशानी के रूप में मुझे पति के अंश के रूप में उनका स्पर्म दिलवाने की कृपा करें। डॉक्टरों का कहना है कि मेरे पति के पास बहुत ही कम वक्त है। वे वेंटिलेटर पर हैं।’

गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया तो दो सदस्यीय पीठ कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गई। प्रेम की पराकाष्ठा और कानून की महानता के संगम स्वरूप इस मामले में महिला को उसके प्रेम की अंतिम निशानी के रूप में इच्छापूर्ति के लिए पति के स्पर्म लेने की मंजूरी दे दी गई। मामला गुजरात के दंपती का है, जिन्होंने अक्टूबर 2020 में शादी की थी। पेश है पीड़ित पत्नी की जुबानी…

डॉक्टरों ने मेडिको लीगल केस बताकर पति की मंजूरी के बिना स्पर्म देने से साफ इनकार कर दिया था

कनाडा में 4 साल पहले हम एक-दूसरे के परिचय में आए। हमने अक्टूबर 2020 में वहीं शादी कर ली थी। विवाह के चार महीने बाद ही मुझे खबर मिली कि भारत में रह रहे मेरे ससुर को हार्ट अटैक आया है। फरवरी 2021 में मैं पति के साथ स्वदेश लौट आई ताकि हम उनकी सेवा कर सकें। हम दोनों उनकी देखभाल करने लगे। इसी दौरान मेरे पति को कोरोना हो गया। इलाज करवाया लेकिन 10 मई से तबीयत नाजुक होने के कारण वडोदरा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया। उनकी सेहत लगातार गिरने लगी। फेफड़े भी संक्रमित होकर निष्क्रिय अवस्था में पहुंच गए हैं।

मेरे पति दो महीने से वेंटिलेटर पर जीवन के साथ संघर्ष कर रहे हैं। तीन दिन पहले डॉक्टरों ने मुझे और सास-ससुर को बुला कर बताया कि मेरे पति की तबीयत में सुधार की गुंजाइश नहीं के बराबर है। हालत ऐसी है कि उनके पास ज्यादा से ज्यादा तीन दिन का ही जीवन है। यह सुन कर हम सब सन्न रह गए। मैंने खुद को संभाला और डॉक्टर से कहा कि मैं अपने पति के अंश से मातृत्व धारण करना चाहती हूं। इसके लिए उनके स्पर्म की जरूरत है। हालांकि डॉक्टरों ने हमारे प्रेम के प्रति सम्मान जताया और कहा कि मेडिको लीगल एक्ट के अनुसार पति की मंजूरी के बिना स्पर्म सैंपल नहीं लिया जा सकता।

मैंने बहुत अनुरोध किया लेकिन डॉक्टरों ने कानून का हवाला देकर असमर्थतता जताते हुए स्पर्म देने से इंकार कर दिया। मैंने हार नहीं मानी। मुझे मेरे सास-ससुर का भी साथ मिला। हम तीनों ने गुजरात हाईकोर्ट में गुहार लगाने का फैसला किया। जब हम हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे, तब डॉक्टरों ने कहा कि आपके पति के पास सिर्फ 24 घंटे की सांसें शेष हैं। हमने सोमवार शाम हाईकोर्ट में याचिका लगा कर दूसरे दिन अर्जेंट सुनवाई की गुहार लगाई।

हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के सम्मुख मंगलवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए पहुंचा तो पीठ भी कुछ पल स्तब्ध रह गई। 15 मिनट बाद फैसला दे दिया लेकिन यहां अस्पताल में अभी भी कह रहे हैं कि हम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं।’

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