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तिरछी नजर : घर के नजदीक होगा दफ्तर

पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड के रेरा चेयरमैन का कार्यकाल खत्म होने के बाद कुछ न कुछ जिम्मेदारी मिलना तय था। ढांड, साइंस कॉलेज में भूपेश बघेल के शिक्षक रहे हैं। भूपेश उन पर पूरा भरोसा करते हैं। वैसे तो ढांड, रमन सिंह के पहले कार्यकाल में उनके सचिव रहे हैं, लेकिन रमन सिंह को उनके बजाए अपने सचिवालय के बाकी अफसरों शिवराज सिंह, अमन सिंह पर ज्यादा भरोसा था। ये अलग बात है कि ढांड अपनी काबिलियत के बूते पर सबसे ज्यादा समय तक मुख्य सचिव रहे।
बताते हैं कि नवाचार आयोग के चेयरमैन का ऑर्डर निकलने से कुछ दिन पहले उपयुक्त दफ्तर की खोजबीन शुरू हो गई थी। ढांड खुद भी शंकर नगर स्थित पीएससी भवन का निरीक्षण कर आए थे। पीएससी दफ्तर अब नवा रायपुर में शिफ्ट हो गया है। ऐसे में नवाचार आयोग के लिए शंकर नगर के पुराने पीएससी दफ्तर को उपयुक्त माना जा रहा है। वैसे तो रेरा दफ्तर के पीछे ही कई दफ्तर खाली पड़े हैं। अब ढांड साब कौन सी जगह पसंद करते हैं। यह तो एक-दो दिन बाद पता चलेगा। लेकिन ये तय माना जा रहा है कि आयोग का दफ्तर पुराने रायपुर में ही रहेगा और उनके घर के नजदीक ही होगा।

पोल खोली

रायपुर में बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने चमत्कार से एक भाजपा के दिग्गज नेता की पोल खोल दी। बताते हैं कि एक महिला नेत्री उनके दरबार में विधानसभा टिकट की इच्छा लेकर पहुंची थी।
शास्त्री जी ने उन्हें कहा वो पहले रायपुर ग्रामीण से टिकट चाहती थी, लेकिन एक बड़े नेता के कहने पर अब रायपुर दक्षिण से टिकट चाहती हैं। महिला नेत्री सकपका गईं। और सिर झुका लिया। शास्त्री जी यही नहीं रूके। उन्होंने आगे कह दिया कि टिकट तो नहीं मिल सकती। बैनर-पोस्टर में जरूर छाई रहेंगी। शास्त्रीजी ने एक तरह से भाजपा के भीतर गुटबाजी को भी सार्वजनिक कर ही दिया है।

पीसीसीएफ नहीं बने, लेकिन….

पीसीसीएफ के तीन रिक्त पदों पर पदोन्नति होने वाली है। इन पदों पर संजय ओझा, अनिल राय, और एक अन्य को पदोन्नति मिलेगी। एपीसीसीएफ श्रीनिवास राव अभी भी पीसीसीएफ भी नहीं है, लेकिन हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स की दौड़ में जिस तरह आगे बताए जा रहे हंै, वह चौंका रहा है। देश के किसी भी राज्य में इस स्तर के जूनियर अफसर को हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स की कमान नहीं सौंपी गई। जबकि सीनियर पीसीसीएफ को ही यह पद मिलता है। अभी तो फिलहाल सब कुछ चर्चा में है, आगे क्या होगा यह फरवरी के आखिरी हफ्ते में पता चलेगा।

मंत्रियों का दर्द...

दुर्ग संभाग के दो ताकतवर मंत्री चुनाव के वक्त प्रशासनिक अधिकारियों से सहयोग नहीं मिलने से परेशान हैं । प्रभावशाली दोनों मंत्री सरकार के चेहरा हैं सरकार के संकट मोचक हैं, दीर्घ राजनीतिक अनुभव हैं, लेकिन प्रशासनिक नियुक्तियों में दोनो की अपने जिले में नहीं चल रही हैं। जिलाधीश की नियुक्ति में इनसे कोई राय नहीं ली गयी। प्रशासनिक नियुक्ति में चहेते अधिकारियों की पदस्थापना नहीं करा पा रहे हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना कराने की फाईल घूम रही हैं। समर्थक काम के लिए दबाव बना रहे हैं, कई काम जिलों में अटके हैं। ई.डी समेत कई बहाना बताते अधिकारी विनम्रता से तबादला कराने का उल्टा अनुरोध करने लगे है।

ईडी के चालान में कई चेहरे….

पिछले महिनों ई.डी. द्बारा मारे छापे के बाद प्रस्तुत की गयी चालान की कापी इन दिनों सोशल मीडिया में कई प्रमाणों के साथ घूम रही हैं। इसमें कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से कागज भी डालकर अपना भड़ास निकाला है। सनसनीखेज इस चालान में कई आई.ए.एस.,आई.एफ.एस, व आईपीएस सहित व्यापारियों और नेताओं के राज छिपे हैं। कई ऐसे चेहरे को दागदार बनाने की कोशिश इसके सहारे विपक्षी दल के नेता भी जुट गये हैं।

2003 का फार्मूला अपनाऐगी भाजपा…

चुनाव के दिन करीब हैं भाजपा के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने संगठन के राष्ट्रीय व प्रादेशिक नेताओं के प्रयास उसके बावजूद भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। 2003 का फार्मूला लेकर चल रही भाजपा के बड़े नेताओं में अभी तक तमाम संसाधनों के बावजूद भी जोश नहीं आने की चिंता भीतरखाने में सता रही है। नेताओं के आपसी झगड़े हर जिले में मुख्यमंत्री पद के दावेदार की अधिकता झेल रही भाजपा अपनी रणनीति बदलने के लिए फिर से सर्वे का सहारा ले रही है।

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