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तिरछी नजर : केबिनेट में मंत्री की नाराजगी..

केबिनेट की बैठक में एक मंत्री ने अपने अधीनस्थ अधिकारी के कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की। मंत्री को इस बात पर भी आपत्ति थी की बार-बार उनके विभाग के अधिकारी को कमजोर बताकर बदल दिया जाता है और बाद में वही अधिकारी पावर फुल हो जाते हैं। मंत्री की नाराजगी के बाद सीनियर मंत्रियों ने समझाया तो मामला शांत हुआ। मातहत अधिकारी को भी विश्वास में लेकर काम करने की हिदायत दी गयी। इस मंत्री के एक विश्वस्त कारोबारी का वीडियो पिछले महीनें वायरल हुआ था। अब इस वायरल वीडियो की तलाश में कई बड़े लोग लगें है। इस वीडियो के जरिये केन्द्रीय एजेंसी भी निगाह रखने लगी है।

विधानसभा उपाध्यक्ष का बढ़ता कद..

छत्तीसगढ़ विधानसभा उपाध्यक्ष संत कुमार नेताम भाग्य के बेहद धनी है । उन्हें जो चुनौती मिलती है तो उसको अवसर में बदलने में माहिर है। हेड कांस्टेबल की नौकरी छोड़ तीसरी बार विधायक बने संत कुमार नेताम पिछले 15 सालों में एक बार विधानसभा कार्रवाई संचालन के लिए आसंदी में नहीं बैठे थे सभापति तालिका सूची में भी कभी नाम नहीं रहा। अब अचानक विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के बाद पिछले सप्ताह हुई कार्रवाई का सफल संचालन कर बड़े बड़े संसदीय जानकारों को भी हैरत में डाल दिया। तबियत खराब होने की वजह से विधानसभा अध्यक्ष डां चरण दास महंत नये सदस्यों को इसी बहाने मौका दे रहे हैं। इन सबसे बस्तर क्षेत्र के आदिवासी नेताओं के चेहरे ज्यादा खिले हैं।

एक थे पुनिया….

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री व छत्तीसगढ़ के प्रभारी पी.एल. पुनिया कांग्रेस अधिवेशन के दौरान कब आये और गये इसका पता ही नहीं चल पाया। इसके पहले पुनिया के स्वागत के लिए माना विमानतल से कांग्रेस भवन तक कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं की भीड़ लगी रहती थी। लंबी गाडिय़ां लगती थी। जिन लोगों को पुनिया ने संगठन व सत्ता में पद दिलवाया वे लोग भी मुंह मोड़ लिए। कांग्रेस हाईकमान के बदले रुख के बाद कांग्रेसियों की कार्यप्रणाली व गति का अंदाजा पुनिया प्रकरण से समझा जा सकता है

आईपीएस के ग्रह नक्षत्र

मामूली विवाद को तिल का ताड़ बनाने वाले क्षेत्रीय विधायक बृहस्पति सिंह के चलते सरकार तक घिरते जा रही हैं। बलरामपुर एस गर्ग खिलाफ मोर्चा खोलने की कहानी परत-दर-परत खुल रही है। बताया जाता है कि एसपी घटनाक्रम के बाद मिलने के लिए विधायक के पास बुलावे पर भी नहीं आए जिसके कारण विधायक ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर नया रंग दे दिया गया। अब बैनर पोस्टर प्रदर्शन चल रहा है जिससे प्रशासन भी सकते में है। अफसरों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से करते हुए पूरे घटनाक्रम से अवगत करा दिया है और बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दिया है। दूसरी तरफ, कांग्रेस विधायक ने मुख्यमंत्री से मिलकर एसपी को तत्काल हटाने की मांग की है। क्षेत्रीय विधायक की मांग पर सीएम ने कुछ दिन इंतजार करने की नसीहत दी है । आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात है।

नियमितीकरण में देरी का राज

सीएम चाहते हैं कि आवासीय और व्यावसायिक निर्माण के नियमितीकरण पर जल्द फैसला लिया जाए। इस सिलसिले में कलेक्टरों को सख्त निर्देश भी जारी किए गए हैं, लेकिन एक-दो कलेक्टरों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। बताते हैं कि एक बड़े जिले में तो कलेक्टर ने सैकड़ों प्रकरणों पर नियमितीकरण का फैसला ले लिया और जब फाइल आई, तो कलेक्टर महोदय कुछ उम्मीद पाले हुए थे , उन्होंने फाइल रोक दी । पखवाड़े भर फाइल रूकी रही । आखिरकार निगम अफसरों ने उन्हें साफ तौर पर बताया कि उम्मीद करना व्यर्थ है और सीएम के पास शिकायत पहुंचने वाली है, तब जाकर कलेक्टर ने अनमने भाव से फाइल पर हस्ताक्षर किए। हाल यह नियमितीकरण पर मुहर लगने के पखवाड़े भर बाद संबंधितों को डिमांड नोट जारी किया जा रहा है।

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