
नक्सल मोर्चे पर साय सरकार सफल दिख रही है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह कई मौकों पर सरकार की तारीफों के पुल बांध चुके हैं। मगर मैदानी इलाकों में पुलिस के कारनामे सरकार के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं।
दुर्ग में तो एक डीएसपी के एक गांजा तस्कर के परिवार से 5 लाख लेने पर महकमे में काफी बातें हुई। डीएसपी को चुपचाप हटा दिया गया। इसी तरह कई थानेदारों के नशे के कारोबार करने वालों से संबंध रखने का पता भी चला है।
ऐसे ही फायरिंग के आरोप में फरार रेत माफिया से थानेदार बातचीत का आडियो वायरल होने के बाद उन्हें हटा दिया गया।कई थानेदारों को बिना कुछ बताए चुपचाप हटाकर साइड लाइन किया गया है। इन सभी वजह से खाकी दागदार हो रही थी। ये सभी नशे के तस्करों के संरक्षण दाता थे।
रावतपुरा महाराज कथा
मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए रिश्वत देने के प्रकरण में रावतपुरा महाराज और रेरा चेयरमैन संजय शुक्ला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।
रावतपुरा महाराज के अनुयायियों में कई बड़े अफसर भी हैं।इन अफसरों में पुलिस के दो डीजी रैंक के पूर्व अफसर भी हैं। कुछ आईएएस अफसर भी उनसे जुड़े हैं। रिटायर्ड आईएफएस अफसर जेके उपाध्याय तो संस्थान के वाइस चेयरमैन हैं।
समाज कल्याण और अन्य विभागों के रिटायर्ड अफसर भी महाराज के सानिध्य में रहकर संस्थान से जुड़े हुए हैं। केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी महाराज से जुड़े हैं। वैसे तो सबसे पहले पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा रावतपुरा महाराज के संपर्क में रहे। उनके प्रयासों में महाराज का यहां आश्रम बना। मगर बाद में वे अलग हो गए। अब महाराज पर ही सीबीआई ने प्रकरण दर्ज किया है, तो उनके करीबी परेशान हैं।
चीफ सेकेट्री के बाद डीजीपी अनिर्णय ….
मुख्य सचिव पर अनिर्णय की स्थिति होने के कारण किरकिरी चारों तरफ हो रही है। कौन जीता कौन हारा इसका विश्लेषण हर कोई अपने तरीके से कर रहे हैं। पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्ति का मामला भी इसी तरह का है। केन्द्र सरकार से दो नामों का पैनल आ गया है। अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता में से फैसला होना है। अरुण देव गौतम के नाम की चर्चा सबसे ऊपर है लेकिन डीजीपी मामले में कोई चौकाने वाला फैसला हो सकता है। एक अफसर का नाम दिल्ली भेजने में छूट गया। इस अफसर ने दो बड़े अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक डीजीपी पद के दावेदार अफसर ने कैट में याचिका दायर की है,जिस पर 15 जुलाई को सुनवाई होनी है।
ईडी मामले की स्थिति…
भारत माला परियोजना, शराब घोटाला सहित कई मामले जांच पड़ताल चल रही है ।वास्तविक स्थिति चौकन्ने वाली है । पिछले एक दशक में ईडी द्बारा सांसदों, विधायकों और नेताओं के खिलाफ 193 मामलों में से केवल दो ही दोषसिद्ब हुई है। पिछले 11 वर्षो में ईडी द्बारा कुल 5297 मामले दर्ज किये गए। केवल 47 मामलों की सुनवाई हुई है। दर्ज किए गये प्रत्येक एक हजार मामलों में से केवल सात मामलों में ही आरोपी दोषी पाए गए।
कई मामलों पर अभी तक अनूपूरक चालान प्रस्तुत करने की ही कार्रवाई चल रही है। इसी माह सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले पर कई तरीके से फैसले आने की संभावना है।
मानसून सत्र में गूंजेगा शराब..
14 तारीख से शुरू होने वाले मानसून सत्र में इस बार समय कम है लेकिन सवालों की संख्या अधिक है। इस बार मुद्दे बंगलादेशी घुसपैठिए, धर्मातरण, रेत खनन, शिक्षको के युक्तियुक्तकरण, धान खरीदी और नीलामी ,शराब घोटाले की जांच पड़ताल सहित कई मुद्दे रहेंगे। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत के तेवर पर नजर रहेगी। नकली शराब बिक्री पर पहली बार छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपराध पंजीबद्ब कर बिलासपुर जिले की होने वाली घटनाओं को इंगित किया है।
मंत्री का नर्सिंग कालेज …
प्रदेश के कई नेताओं का स्कूल कालेज है। कई खोलने पर विचार विमर्श कर रहे हैं। एक चर्चित मंत्री के महासमुंद में नर्सिंग कालेज खोलने का हल्ला है। मंत्री ने इसके लिए जगह भी चयन कर लिया है। मंत्री की सक्रियता के चलते इस तरह का हल्ला अधिक बढ़ गया है। मंत्री ने यह काम अपने करीबी को दिया है जिसके नाम पर कालेज रहेगा। प्रबंधन भी वही देखेगा मंत्रीजी सिर्फ निवेश कर रहे हैं।
दो विरोधी नेता एक ही इलाके में बैठेंगे
प्रदेश के दो दिग्गजों का दफ्तर एक ही इलाके में खुल गया है।
बात गृहमंत्री विजय शर्मा और पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर की हो रही है।
विजय शर्मा ने पुराने डीजी (जेल) दफ्तर को कवर्धा सदन का रूप दे दिया है। कवर्धा सदन के ठीक पीछे की दीवार से लगी खालसा स्कूल के बगल में पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर का दफ्तर खुल गया है।
अकबर पहले पुराने काफी हाऊस के पास अपने काम्प्लेक्स में बैठते थे लेकिन अब उन्होंने जगह बदल दी है। दोनों प्रतिद्वंद्वियों का दफ्तर एक ही इलाके में खुलने से कवर्धा के लोगों सहुलियत हो रही है।