बेमेतरा की चुनावी सभा में अमित शाह ने प्रत्याशी विजय बघेल की तारीफों के पुल बांधे, तो इसकी राजनीतिक हल्कों में जमकर चर्चा हो रही है। शाह ने यहां तक कहा कि छत्तीसगढ़ में अपने क्षेत्र के लिए सर्वाधिक लड़ने वाला है, तो विजय बघेल है।शाह के बयान के बाद अभी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यदि केन्द्र में एनडीए की सरकार बनी तो विजय बघेल को जगह मिलना निश्चित है। यह सब चुनाव नतीजे आने के बाद पता चलेगा।
भाजपा प्रवेश नहीं मिला, तो गुस्सा फूटा
कांग्रेस के कई नेता भाजपा प्रवेश के इच्छुक रहे हैं लेकिन कुछ को शामिल नहीं किया जा सका है। इनमें से कांग्रेस से निष्कासित रायपुर के पिता-पुत्र नेता ने भाजपा में शामिल होने के लिए प्रमुख नेताओं से संपर्क किया था।
उन्होंने अमित शाह के सामने भाजपा में प्रवेश की इच्छा जताई थी। मगर भाजपा नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे नाराज पिता-पुत्र, कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू से मिलने पहुंच गए और उनके समर्थन में धमतरी में सामाजिक बैठक को संबोधित किया।बैठक में उन्होंने मोदी और शाह को खूब भला-बुरा कहा। भाजपा में प्रवेश में प्रवेश से वंचित पिता-पुत्र अब कांग्रेस में शामिल होने के लिए प्रयासरत हैं। कांग्रेस नेताओं का क्या रुख रहता है,यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
चंदा जुटाने मशक्कत
चुनाव का सीजन है, तो खर्च के लिए प्रत्याशियों को चंदा जुटाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। भाजपा प्रत्याशियों को तो दिक्कत नहीं है लेकिन कांग्रेस के लोग काफी परेशान हैं। इससे परे कई अफसरों की सक्रियता चर्चा में है।
बताते हैं कि एक अफसर ने शैक्षणिक संस्थाओं के प्रमुख शिक्षाविद को फोन कर कुछ व्यवस्था करने के लिए कह दिया। शिक्षाविद भी परेशान हो गए। इसके बाद उन्होंने प्रत्याशियों के करीबियों से संपर्क साधा, तो वो अफसर की हरकत से खफा हो गए। फिलहाल तो सभी खामोश है। चुनाव निपटने के बाद अफसर पर कार्रवाई हो सकती है।
स्वागत को लेकर किचकिच
भाजपा में एक बड़े पदाधिकारियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा भड़क रहा है। पदाधिकारी, राष्ट्रीय नेताओं के स्वागत के लिए नाम तय करते हैं। हालांकि इसमें पार्टी के महामंत्री (संगठन ) की राय अहम होती है लेकिन मौका पाकर उक्त पदाधिकारी अपना खेल कर देते हैं।
पिछले दिनों धमतरी में पीएम के प्रवास से ठीक पहले मंच पर बैठने को लेकर काफी किचकिच हुई थी। चर्चा है कि एक पूर्व महिला विधायक ने अपना गुस्सा पदाधिकारी पर निकाला और इसकी शिकायत महामंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं से की गई है। आगे क्या होगा, यह तो चुनाव निपटने के बाद पता चलेगा।
चुपके-चुपके मदद
वन विभाग के आला अफसर सरकार बदलने के बाद भी पिछली सरकार के अपने खैरख्वाह की मदद करने में पीछे नहीं है।एक प्रत्याशी को ट्राइबल इलाके में चुपके-चुपके मदद भिजवाई गई। अब इसकी भनक कुछ लोगों को लग गई है। अब मददगारों का आगे क्या होता है, यह तो चुनाव निपटने के बाद पता चलेगा।