सरकारी दफ़्तरों में इन दिनों सरकार से जुड़े लोगों के अलावा ठेकेदारों, सप्लायरों और लाइजनरों की रुचि वाली फाइलें बुलेट ट्रेन से भी तेज गति से दौड़ रही है। वजह- चुनाव आचार संहिता लगने के दिन सर पर आ गये हैं। फ़ाइलों के फ़नकार भी जानते हैं कि आचार संहिता लग गई तो सारे काम थम जाएँगे और उनके जीवन में सूखा पड़ जाएगा। यही वजह है कि मंत्रालय से लेकर पटवारी दफ़्तर तक गांधीजी की कृपा जमकर बरस रही है। रोज करोड़ों-अरबों के काम मंज़ूर हो रहे हैं। काश, ऐसी चुस्ती पाँच साल रहे तो देश को फिर सोने की चिड़िया बनने से कौन रोक पाएगा।
प्रियंका के किस्से से सबक नहीं
पिछले दिनों महिला समृद्धि सम्मेलन में भिलाई पहुंची प्रियंका गांधी ने मंच से एक किस्सा सुनाया। इस दौरान राज्य की पूरी सरकार मंच पर मौजूद थी। प्रियंका ने बताया कि वे जब छोटी थी तब अपने पिता राजीव गांधी के साथ वे अमेठी प्रवास पर गईं थीं । वहां एक महिला उनके पिता को जोर जोर से डांटने लगीं। उन्हें यह बात काफी बुरी लगी, लेकिन उनके पिता ने इसका बुरा नहीं माना। बाद में जब वे अपने पिता से डांटने की बात से बुरा नहीं लगने के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि घर के सामने की सड़क खराब होने से महिला व्यथित थीं। उसकी नाराजगी जायज थी। प्रधानमंत्री और एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उनकी बात को सुनना उनका कर्तव्य है । इसमें उन्हें कुछ भी बुरा नहीं लगा। हालांकि प्रियंका गांधी ने यह किस्सा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिप्रेक्ष्य में सुनाया। लेकिन छत्तीसगढ़ के पीडब्ल्यूडी मंत्री सहित पूरी सरकार भी इस बात से सीख लेनी चाहिए थी। यहां भी हर घर के सामने सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हैं, जिस पर लोग रोज गिरते पड़ते हैं। लेकिन कभी किसी मंत्री को डांटा नहीं। इस किस्से को सुनने के बाद सरकार को सभी सड़कों को ठीक करने के लिए तत्काल भिड़ जाना चाहिए था। अब तक काफी गड्ढे ठीक भी हो जाने थे। लेकिन उन्होंने इसे एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया लगता है।
क्या पीएससी का मुद्दा चुनाव में असर डालेगा?
पहले पीएससी की 2021और अब 2022 की चयन सूची को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अभ्यर्थियों के साथ साथ राजनीतिक दल खासकर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने में लगे हैं। वजह साफ है कि सामने विधानसभा के चुनाव हैं। भाजपा के राज्य के नेता इस मुद्दे को पहले ही उठाते रहे हैं और पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर ने तो बकायदा हाईकोर्ट में इस पर याचिका भी दायर कर दी है। हाईकोर्ट ने कुछ नियुक्तियों पर रोक भी लगा दी है। सरकार इस आदेश के बाद बैकफुट पर है। सरकार की तरफ से अदालत में यह आश्वासन भी दिया गया है कि जल्द इस मामले की जांच करवाकर जवाब पेश करेंगे। अगले हफ्ते इस मामले में और सुनवाई होनी है। अदालत से आगे क्या आदेश होता है इस पर सबकी निगाहें रहेंगी। इसी बीच शनिवार को बिलासपुर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस मामले पर हमला बोल दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि भाजपा की सरकार बनने पर इस मामले की जांच कराई जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। संकेत साफ है कि युवाओं के वोट हासिल करने के लिए पीएससी का मुद्दा चुनाव में भी अहम मुद्दा होगा। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस मामले में किसी भी अभ्यर्थी की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यानी सरकार भले ही बचाव मुद्रा में ही सही, गड़बड़ी की बात से इंकार कर रही है। इससे यह तय दिख रहा है कि पीएससी के मुद्दे का हल अदालत और जनता की अदालत में ही होगा। देखना दिलचस्प होगा कि दोनों अदालतों का फैसला किसके पक्ष में आता है।
ए दारी प्रत्याशी बदलबो
एक परिवर्तन यात्रा भाजपा के भीतर भी चल रही है। यह यात्रा सरकार बदलने के लिए नहीं बल्कि प्रत्याशी बदलने के लिए चल रही है। राजिम विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता डेढ़ महीने से प्रत्याशी बदलने की माँग पर अड़े हुए हैं। डेढ़ साल पहले जोगी कांग्रेस से आये रोहित साहू को बतौर प्रत्याशी कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। कार्यकर्ताओं के बाग़ी तेवर के बावजूद कार्यकर्ताओं की पार्टी कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रही है। तमाम प्रभारियों और बड़े नेताओं ने दो टूक कह दिया है- प्रत्याशी नहीं बदलेगा। बाग़ियों ने भी पलटवार कर कहा है- ए दारी प्रत्याशी बदल के रहिबो । नहीं तो महासमुंद के सांसद को चुनाव की कमान सौंप दी जाये, जिन्होंने रोहित को टिकट दिलाई है। भाजपा बनाम भाजपा की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।
अफसर का माल
सरकार के एक अफसर के हिमाचल प्रदेश में शापिंग माल खरीदने की खूब चर्चा हो रही है। बताते हैं कि एक शिकायत पर विभाग ने अफसर से जानकारी भी मांगी थी। इस पर अफसर ने सफाई दी, कि पूरा माल उनका नहीं है बल्कि माल में दो दुकान पत्नी ने बचत पैसों से खरीदी है। अफसर के जवाब आने के बाद प्रकरण ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन चर्चा है कि एक घोटाला प्रकाश में आने के बाद दूकान की खरीद का मामला तूल पकड़ सकता है। विभागीय सचिव पहले ही ईडी के निशाने पर हैं। अब आगे क्या होता है, इस पर लोगों की नजर है।
दबाव में अफसर
प्रदेश के कई पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत हो चुकी है। शिकायत के बाद कुछ अफसरों के हाथ पांव फूलने लगे हैं और शिकायतकर्ताओं से संपर्क साधकर अपनी तरफ से सफाई दे रहे हैं। यह तय है कि चुनाव आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद अफसरों पर दबाव बढ़ेगा। अब तक तो मुख्य चुनाव पदाधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले सब कुछ सही ढंग से हैंडल कर रहीं हैं। अब आगे उनकी भी परीक्षा की घड़ी है।
भ्रम में भाजपा
छत्तीसगढ़ भाजपा के सीनियर लीडर अपनी टिकट को लेकर सशंकित हैं।5-6 चुनाव दमदारी से लडऩे वाले नेताओं के चेहरे से चमक गायब है। गत चुनाव सत्ता विरोधी लहर में हारे नेता और जीते हुए नेताओं को विश्वास में लेकर चलने वाले कोई नहीं नज़र नहीं आ रहे हैं है। पहले रमन सिंह और सौदान सिंह की एकतरफा चलती थी।अब टिकट की रणनीति क्या होगी यह किसी को नहीं पता है। चुनाव प्रभारी ओम माथुर ने थोड़ी स्थिति को सम्हाली है लेकिन उनकी रणनीति से संघ व संगठन का एक वर्ग सहमत नहीं है। गुटीय झगड़े की आशंका में टिकट वितरण अटकी हैं। 2 अक्टूबर के बाद स्थिति साफ होने के संकेत हैं।
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कवर्धा सीट पर नजर
प्रदेश के सबसे चर्चित सीट कवर्धा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कौन होगा , इस पर सबकी नजर है। जुझारू भाजपा नेता विजय शर्मा की टिकट तय मानी जा रही है। लेकिन अमित शाह के साथ हुई पिछली मीटिंग से बाहर निकलने के बाद थके से लगे तो भाजपाइयों को लगा कि समीकरण बदल रहा है। रमन सिंह ने संतोष का नाम आगे बढ़ा दिया है, परंतु वास्तविकता में ऐसा नहीं है। कांग्रेस विधायक मो. अकबर की पूरी रणनीति विजय शर्मा को देखते हुए बनी है। भाजपा भीतरघात और आपसी झगड़े से जुझ रही है। साधु- संत मोर्चा सम्हाले हैं।
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बलरामपुर में क्या होगा?
सरगुजा संभाग की विधानसभा सीट को लेकर भाजपा ज्यादा उत्साहित है। भाजपा को लग रहा है कि उपमुख्यमंत्री टीएस बाबा वर्तमान विधायकों की टिकट कटवाने में सफल हो जाएंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान बाबा को फ्री हैंड देगी। बलरामपुर विधायक बृहस्पति सिंह की टिकट का मामला राहुल गांधी तक जाने की संभावना है। बृहस्पति के टिकट कटवाने में विरोधीगुट ने जोर लगा दिया है। देखते हैं कितनी सफलता मिलती है। तेज तर्रार बृहस्पति सिंह विनम्र भाव से टिकट का रास्ता निकालने में जुटे हैं।
बाफना का चुनाव लड़ने से इंकार
साजा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा
प्रत्याशी कौन होगा, इसको लेकर उलझन बनी हुई है। पूर्व विधायक लाभचंद बाफना ने स्वास्थ्यगत कारणों से चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया है। उन्होंने साजा में प्रत्याशी चयन में सावधानी बरतने का सुझाव दिया है। बीरनपुर की घटना के बाद भाजपा साहू प्रत्याशी उतारने पर गंभीरता से विचार कर रही है। लेकिन पार्टी के रणनीतिकार लोधी समाज से प्रत्याशी उतारना चाहते है। खैरागढ़ में लोधी समाज के प्रत्याशी नहीं खड़ा करने से भाजपा को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए आसपास की सीटों पर लोधी प्रत्याशी उतारने की संभावना तलाश की जा रही है। रविन्द्र चौबे के खिलाफ कई वीडियो क्षेत्र में चल रही है। साजा के सात बार के विधायक रविन्द्र चौबे ने सरकार में होने का पूरा फायदा क्षेत्र की जनता को दिया है। उनके विभाग की सैकड़ों योजनाएं धड़ाधड़ चल रही है। इस बार कांग्रेसी ज्यादा वोट से जीतने का दावा कर रहे हैं।
7 के बाद आचार संहिता?
आदर्श आचार संहिता 7 अक्टूबर के बाद कभी भी लागू हो सकती है। प्रस्तावित तिथि को लेकर नेता और अफसर कार्यक्रम बना रहे हैं। जगदलपुर में प्रधानमंत्री की सभा के बाद एक और सभा छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में तय हो सकती है। अंबिकापुर में प्रस्तावित पीएम के दौरे के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि 7 से 11 अक्टूबर तक आचार संहिता लग सकती है। पिछले बार 5 अक्टूबर को चुनाव आचार संहिता लागू हुई थी।