REPO RATE HIKE : आरबीआई ने फिर की रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बड़ी बढ़ोत्तरी, डगमगा जाएगा आपका बजट
REPO RATE HIKE: RBI again increases repo rate by 0.50 percent, your budget will be shaken
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बड़ी बढ़ोत्तरी की है। इसके बाद रेपो रेट 5.90 फीसदी पर पहुंच गई है। शुक्रवार को खत्म हुई अपनी बाय-मंथली बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि सप्लाई चेन प्रभावित होने और जरूरी सामान की आसमान छूती कीमत ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के लिए मजबूर किया है। अमेरिकी फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार 75 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ गया है। साथ ही खुदरा महंगाई भी अगस्त में फिर बढ़ गई है।
तमाम कोशिशों के बावजूद देश में लगातार बढ़ती महंगाई के कारण रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने का एलान कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अपनी नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर, रेपो दर में आधा प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। एसडीएफ 5.15 प्रतिशत से बढ़कर 5.65 फीसद कर दिया गया है। इस साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू करने के बाद आरबीआई द्वारा की जाने वाले यह चौथी सीधी बढ़ोतरी है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज अपनी बैठक में liquidity adjustment facility (LAF) के तहत पॉलिसी रेपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि मई में रेपो दर में 40 बेसिस पॉइंट्स की अप्रत्याशित वृद्धि के बाद जून और अगस्त महीने में आरबीआइ ने 50 -50 आधार अंकों की वृद्धि की है। इस तरह देखें तो यह RBI द्वारा की गई लगातर चौथी वृद्धि है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, “मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से पांच ने नीतिगत दर में वृद्धि का समर्थन किया है।” उन्होंने कहा, “हम कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि से नये ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं।”
RBI के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा, “मुद्रास्फीति की ऊंची दर को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति ने सूझ-बूझ के साथ मौद्रिक नीति को लेकर उदार रुख को वापस लेने के रुख पर कायम रहने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति की दर 6 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है।
अगली तीन तिमाही में महंगाई दर 6% से ऊपर रहने की आशंका
आरबीआई ने अपनी मौद्रिक पॉलिसी में अनुमान लगाया है कि FY23 में महंगाई दर 6.3 फीसदी से ऊपर रहने की आशंका है। आरबीआई ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण महंगाई में उछाल आने की बात कही है। आरबीआई का कहना है कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती से आसमान छूती महंगाई से राहत मिलेगी।
महंगाई काबू में आएगी विकास की रफ्तार तेज बनी रहेगी
रुपया टूटा है लेकिन दुनिया के इमर्जिंग मार्केट में इसकी सबसे अच्छी है। उन्होंने आगे कहा कि कच्चा तेल अगले 6 महीने में भारतीय बास्केट के लिए 100 डॉलर के आसपास रहेगा। इससे महंगाई में राहत मिलेगी। अगले साल तक महंगाई 5 प्रतिशत पर आ जाएगी। जीडीपी की रफ्तार बनी रहेगी।
आरबीआई पॉलिसी के बाद बाजार में लौटी तेजी –
रिजर्व बैंक की पॉलिसी दरों की घोषणा के बाद बाजार में तेजी दिखाई दे रही है। सेंसेक्स करीब 400 अंक उछलकर 56800 के पार निकल गया है। वहीं निफ्टी भी 100 अंकों की तेजी के साथ 16900 के स्तर के पार पहुंच गया है। ऐसे में उम्मीद है कि भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर से तेजी दिखाई दे सकती है।
ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार जारी –
भले ही महंगाई ने आरबीआई को ब्याज दर में बढ़ोतरी करने को मजबूर किया है लेकिन आरबीआई का मानना है कि इसका असर देश की जीडीपी ग्रोथ पर नहीं होगा। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ की दर को 7.2 फीसदी पर बरकरार रहा है। वहीं, आरबीआई ने कहा है कि एक बार फिर से ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं।
क्या है रेपो रेट –
रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव –
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।
रिवर्स रेपो रेट –
यह रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
रिवर्स रेपो रेट का आम आदमी पर ऐसे पड़ता है प्रभाव –
जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।
जानिए क्या होता है नकद आरक्षित अनुपात –
बैंकिंग नियमों के तहत हर बैंक को अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेश्यो अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है। यह नियम इसलिए बनाए गए हैं, ताकि यदि किसी भी वक्त किसी भी बैंक में बहुत बड़ी तादाद में जमाकर्ताओं को रकम निकालने की जरूरत पड़े तो बैंक पैसा चुकाने से मना न कर सके।
आम आदमी पर सीआरआर का ऐसे पड़ता है प्रभाव –
अगर सीआरआर बढ़ता है तो बैंकों को ज्यादा बड़ा हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होगा और उनके पास कर्ज के रूप में देने के लिए कम रकम रह जाएगी। यानी आम आदमी को कर्ज देने के लिए बैंकों के पास पैसा कम होगा। अगर रिजर्व बैंक सीआरआर को घटाता है तो बाजार नकदी का प्रवाह बढ़ जाता है।