
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ हुई द्विपक्षीय बातचीत में साफ कहा है कि भारत और चीन के बीच 2020 में सीमा पर हुए टकराव के बाद बढ़ी अविश्वास की खाई पाटने के लिए जमीनी स्तर पर कदम उठाने होंगे।
चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर राजनाथ-डोंग की गुरुवार को हुई मुलाकात के दौरान सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इसमें रक्षा मंत्री ने स्थायी जुड़ाव और तनाव कम करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रारूप के जरिये जटिल मुद्दों के समाधान की आवश्यकता जताई।
दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव घटाने और सीमाओं को चिह्नित करने के लिए आपसी मौजूदा तंत्र को फिर से जीवंत करने पर जोर दिया दिया। एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान राजनाथ सिंह की डोंग से बातचीत में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के मसले पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
राजनाथ-डोंग वार्ता के संबंध में शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि वार्ता में रक्षा मंत्री ने सर्वोत्तम पारस्परिक लाभ प्राप्त करने के साथ-साथ एशिया और दुनिया में स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए अच्छे पड़ोसी हालात बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। राजनाथ ने जमीनी स्तर पर कार्रवाई करके 2020 के सीमा गतिरोध के बाद उत्पन्न अविश्वास को दूर करने का भी आह्वान किया।
दोनों रक्षा मंत्रियों ने वर्तमान व्यवस्थाओं के माध्यम से सैनिकों की वापसी, तनाव कम करने, सीमा प्रबंधन और अंतत: सीमांकन से संबंधित मुद्दों पर प्रगति के लिए विभिन्न स्तरों पर परामर्श जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। दोनों रक्षा मंत्रियों की इस बातचीत के बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर लंबे समय से बने भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बाकी बचे मुद्दों को हल करने की दिशा में निकट भविष्य में पहल आगे बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, राजनाथ सिंह ने इस दौरान चीनी रक्षा मंत्री को पहलगाम में निर्दोष नागरिकों के विरुद्ध किए गए जघन्य आतंकी हमले और पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क को नष्ट करने के उद्देश्य से भारत के आपरेशन सिंदूर के बारे में भी जानकारी दी।
चीनी रक्षा मंत्री से अपनी बातचीत को सार्थक बताते हुए एक्स पर पोस्ट में राजनाथ सिंह ने कहा, ‘किंगदाओ में एडमिरल डोंग जुन के साथ द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान किया। लगभग छह वर्षों के अंतराल के बाद कैलास मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर खुशी व्यक्त की। दोनों पक्षों के लिए यह आवश्यक है कि वे इस सकारात्मक गति को बनाए रखें और द्विपक्षीय संबंधों में नई जटिलताओं को जोड़ने से बचें।’