POLITICS UPDATE : ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेताओं का बीजेपी से पलायन जारी, क्या है वजह ..

Date:

POLITICS UPDATE: Leaders close to Jyotiraditya Scindia continue to flee from BJP, what is the reason ..

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेताओं का बीजेपी से पलायन जारी है. शुक्रवार को नीमच के वरिष्ठ नेता और सिंधिया के करीबी समंदर पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. पिछले 2 महीने में मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से सिंधिया के 7 करीबी नेताओं ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है.

सिंधिया के जिन समर्थकों ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थामा है, उनमें अधिकांश ग्वालियर-चंबल संभाग के हैं. ग्वालियर-चंबल संभाग सिंधिया राजघराने का राजनीतिक गढ़ माना जाता रहा है. सिंधिया के सभी करीबियों को सीधे कमलनाथ ने कांग्रेस में शामिल कराया है.

चुनावी साल में सिंधिया समर्थकों के बीजेपी से रुखसती ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सियासी गलियारों में सवाल पूछा जा रहा है कि सिंधिया अपने लोगों को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं? वहीं सिंधिया गुट का कहना है कि जो नेता बाहर जा रहे हैं, उनका कोई अपना जनाधार नहीं है.

सिंधिया के किन-किन करीबियों ने छोड़ा बीजेपी का साथ?

समंदर पटेल- नीमच जावद से 2018 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं. पटेल चुनाव तो नहीं जीत पाए, लेकिन 33 हजार वोट लाकर कांग्रेस का खेल खराब करने में कामयाब रहे. सिंधिया ने बीजेपी का दामन थामा, तो उनके साथ हो लिए.

बैजनाथ सिंह यादव- गुना-शिवपुरी में सिंधिया के करीबी रहे बैजनाथ यादव ने भी जून में कांग्रेस का दामन थाम लिया था. बैजनाथ यादव की पत्नी कमला यादव शिवपुरी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. यादव जब कांग्रेस में शामिल हुए तो 400 गाड़ियों के काफिले के साथ भोपाल पहुंचे थे.

जयपाल सिंह यादव- सिंधिया समर्थक जयपाल सिंह यादव चंदेरी से चुनाव लड़ चुके हैं. यादव की गिनती भी सिंधिया के खास लोगों में थी. हाल ही में अपने समर्थकों के साथ यादव ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है.

यदुराज सिंह यादव- चंदेरी में मजबूत पकड़ है. संगठन के आदमी माने जाते हैं. सिंधिया चुनाव लड़ते थे, तो अशोकनगर में बड़ी भूमिका निभाते थे. जयपाल सिंह के साथ इन्होंने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है.

रघुराज धाकड़- कोलारस से आते हैं और करीब 20 सालों से राजनीति में हैं. धाकड़ समाज के कद्दावर नेताओं में रघराज की गिनती होती है. कोलारस में धाकड़ समुदाय के करीब 25 हजार वोटर्स हैं.

राकेश गुप्ता- शिवपुर में बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष पद पर थे. सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तो गुप्ता को जिले का कार्यकारी अध्यक्ष बनवाया था. शिवपुरी में सिंधिया के लोकसभा चुनाव मैनेजमेंट का काम गुप्ता ही देखते थे.

गगन दीक्षित- सिंधिया फैंस क्लब के जिलाध्यक्ष पद पर थे. दीक्षित के साथ सांची जनपद पंचायत के अध्यक्ष अर्चना पोर्ते ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया था. रायसेन से सिंधिया के करीबी और शिवराज सरकार में मंत्री प्रभुराम चौधरी आते हैं.

इन बड़े नेताओं के वापसी की अटकलें

पूर्व विधायक एंदल सिंह कंसाना के भी कांग्रेस में वापसी की अटकलें हैं. कंसाना दर्जा प्राप्त मंत्री हैं. 2020 में सिंधिया के बगावत में शामिल थे, लेकिन उपचुनाव हार गए. सिंधिया के कहने पर कंसाना को मप्र राज्य कृषि उद्योग विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया.

हाल ही में कांग्रेस के विधायक बैजनाथ कुशवाहा ने दावा किया कि कंसाना पार्टी में वापस आना चाहते हैं, इसलिए सिंधिया और दिग्विजय के द्वार का चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि, कंसाना ने सफाई दी और सिंधिया के साथ ही रहने की बात कही.

कंसाना के अलावा ग्वालियर-गुना के कई संगठन नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा है. कहा जा रहा है कि ये नेता टिकट को लेकर कांग्रेस हाईकमान से आश्वासन चाहते हैं. टिकट की हरी झंडी अगर मिल गई, तो तुरंत कांग्रेस का दामन थाम लेंगे.

समर्थकों को बीजेपी में क्यों नहीं रोक पा रहे हैं ज्योतिरादित्य?

2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में आए, तो अपने साथ पूरे लाव-लश्कर लेकर आए. ग्वालियर-चंबल संभाग में कई जगहों से पूरी की पूरी कांग्रेस ही उस वक्त बीजेपी में शामिल हो गई. इसके बाद कयास लगने लगा कि 2023 के चुनाव में इन इलाकों से कांग्रेस का सफाया हो जाएगा.

हालांकि, चुनाव से पहले जिस तरह सिंधिया के करीबियों की वापसी हो रही है, उसमें सवाल उठ रहा है कि आखिर सिंधिया अपने समर्थकों को बीजेपी में क्यों नहीं रोक पा रहे हैं?

1. बीजेपी के पॉलिटिक्स में फिट नहीं बैठ पा रहे संगठन के नेता- सिंधिया के करीबी और संगठन के नेता राकेश गुप्ता ने जब शिवपुरी बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तो उन्होंने एक पत्र जारी किया था.

गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा था- भारतीय जनता पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा एवं सम्मान न मिलने से मैं भाजपा के कल्चर को नहीं समझ पा रहा हूं.

जानकारों का कहना है कि बीजेपी से आए कांग्रेस के संगठन नेताओं को यहां का कामकाज समझ नहीं आया. कुछ तो सत्ता के लालच में खुद को फिट कर लिया, लेकिन बहुत सारे अनफिट हो गए. यही अनफिट नेता अब घर वापसी कर रहे हैं.

2. सिर्फ किचन कैबिनेट के लोगों को दिलाया पद- सिंधिया के साथ बीजेपी में गए एक बड़े धड़ा का आरोप है कि सिंधिया जब बीजेपी में जा रहे थे, तो सबको उचित सम्मान और पद देने का आश्वासन दिया था, लेकिन ऐसा करने में असफल रहे. सिंधिया सिर्फ अपने किचन कैबिनेट के लोगों को पद दिलाने में कामयाब हो पाए.

बैजनाथ यादव ने सिंधिया का साथ छोड़ते हुए कहा था कि वे खुद पद पर चले गए, लेकिन उनकी कोई सुनता नहीं है. हम राजनीति करने आए हैं, जब लोगों की समस्याओं का हल नहीं कर पाएंगे तो फिर किस बात की राजनीति?

सिंधिया की राजनीति को 20 साल से करीब से देख रहे मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन दुबे कहते हैं- बीजेपी के भीतर ही कई दिग्गज नेता वेटिंग लीडर बन गए हैं. ग्वालियर संभाग में ही प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया जैसे नेता बिना पद के हैं. ऐसे में सिंधिया के लोगों को एडजस्टमेंट कैसे होगा?

दुबे कहते हैं- सिंधिया कांग्रेस में जब थे, तो हाईकमान के बूते अपने लोगों को सेटल कर लेते थे, लेकिन बीजेपी में यह संभव नहीं हो पा रहा है. आने वाले दिनों में सिंधिया अकेले रह जाएंगे.

मध्य प्रदेश में सिंधिया के साथ सरकार में आने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मंडल-बोर्ड में नियुक्तियां की, लेकिन पार्टी के भीतर ही विरोध के बाद कई पद खाली रख दिए गए.

3. भविष्य की चिंता भी साथ छोड़ने की वजह- सिंधिया समर्थक नेताओं को भविष्य की चिंता भी सता रही है. सिंधिया का दामन छोड़ने वाले समंदर पटेल जावद सीट से टिकट चाहते थे, लेकिन वहां से मंत्री ओम प्रकाश सकलेचा का पलड़ा भारी होने की वजह से सिंधिया ने समंदर को कोई आश्वासन नहीं दिया.

इसी तरह धाकड़ की भी इच्छा कोलारस सीट से चुनाव लड़ने की थी, लेकिन उन्हें भी कोई आश्वासन नहीं मिला. सिंधिया खेमे के अधिकांश नेताओं के साथ छोड़ने की वजह भविष्य की राजनीति है.

सिंधिया का साथ छोड़ रहे समर्थकों का कहना है कि चुनाव लड़ने वालों पर भी हार का खतरा मंडरा रहा है. सिंधिया के कई समर्थक 2020 के उपचुनाव में हार चुके हैं. इनमें इमरती देवी, एंदल कंसाना जैसे कद्दावर नेता शामिल हैं.

 

 

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

#Crime Updates

More like this
Related

उधमपुर में दिखे 3 आतंकी … स्थानीय परिवार से खाना मांगकर जंगल की ओर भागे; सर्च ऑपरेशन शुरू

उधमपुर। उधमपुर जिले के दूरदराज और संवेदनशील बसंतगढ़ क्षेत्र...

AICC appoints district presidents: AICC ने की छत्तीसगढ़ के सभी नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति

AICC appoints district presidents: रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी...

CG BREAKING : SIR में लापरवाही पर  3 शिक्षक निलंबित, कलेक्टर ने की सख्त कार्रवाई

CG BREAKING : बलौदाबाजार। निर्वाचन नामावलियों के विशेष गहन...

Teacher kidnapping case:  महिला शिक्षिका सकुशल मिली, एक संदिग्ध पुलिस के हिरासत में

Teacher kidnapping case:  दुर्ग। छावनी थाना क्षेत्र से लापता...