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POLITICS : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उड़ाया सियासी गुलाल, अब क्या करेगी गहलोत सरकार

POLITICS: Former Chief Minister Vasundhara Raje Scindia raised political hue and cry, what will Gehlot government do now?

डेस्क। राजस्थान में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), दोनों ही खेमे संगठन को दुरुस्त करने, गुटबाजी से पार पाने की कोशिश और गुटीय संतुलन साधने की कोशिश में जुट गए हैं. सूबे में बढ़ी सियासी गहमागहमी के बीच होली का त्योहार भी करीब आ गया है. होली पर गुलाल उड़ें, उससे पहले ही राजस्थान की फिजा में सियासी गुलाल उड़ने लगे हैं. दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने सियासी गुलाल उड़ा दिए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शनिवार को चूरू के सालासर में अपने जन्मदिन को लेकर बालाजी धाम में पूजा-अर्चना की और बड़ी रैली कर चुनावी हुंकार भी भर दी. 2018 के विधानसभा चुनाव में हार और सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी की कमान सौंपे जाने के बाद से हाशिए पर चल रही वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिन के बहाने शक्ति प्रदर्शन कर कई संदेश भी दे दिए.

शीर्ष नेतृत्व पर नरम

वसुंधरा राजे और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के रिश्तों में साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही खटास आने लगी थी. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान में पार्टी की कमान गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपने का मन बनाया तो वसुंधरा राजे इस मंशा के विरोध में खुलकर उतर आईं. वसुंधरा गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ अड़ गईं और पार्टी नेतृत्व को अपना मन बदलना पड़ा. वसुंधरा राजे की पसंद का ध्यान रख बीजेपी ने मदन लाल सैनी को राजस्थान संगठन का नेतृत्व सौंपना पड़ा था. शीर्ष नेतृत्व को समय-समय पर चुनौती देती नजर आईं वसुंधरा के तेवर राजस्थान चुनाव से पहले अब नरम पड़ते नजर आ रहे हैं.

सालासर की जनसभा में वसुंधरा राजे ने एक तरफ जहां अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार पर जमकर निशाना साधा तो वहीं, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को लेकर नरमी भी दिखाई. कड़े तेवर के लिए पहचान रखने वाली वसुंधरा राजे ने अपने आपको बीजेपी संगठन की कार्यकर्ता बताया और साथ ही ये भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में चल रही हूं. जो बालाजी की आस्था और जनता के आशीर्वाद का दीप जलाया है, वह किसी आंधी-तूफान से बुझने वाला नहीं हैं. इस बयान से वसुंधरा ने एक तरफ जहां शीर्ष नेतृत्व के साथ दूरी पाटने के संकेत दे दिए तो सतीश पूनिया खेमे को साफ संदेश भी.

सतीश पूनिया के गृह जिले से भरी चुनावी हुंकार

वसुंधरा राजे ने चुनावी साल में हुंकार भरने के लिए चूरू जिले को चुना जो राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया का गृह जिला भी है. इस आयोजन को लेकर भी वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया के बीच की अदावत सामने आई. दरअसल, वसुंधरा राजे जब चूरू में शक्ति प्रदर्शन कर रही थीं, तब बीजेपी के युवा मोर्चा ने जयपुर में मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया. राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया के जयपुर न छोड़ने के निर्देश के बावजूद बड़ी तादाद में सांसद और विधायक शामिल हुए.

वसुंधरा राजे ने कार्यक्रम में पहुंचे नेताओं को लेकर कहा कि ये वो लोग हैं जो हर उतार-चढ़ाव में मेरे साथ रहे. वसुंधरा राजे ने एक तरह से सतीश पूनिया खेमे और राजस्थान बीजेपी को ये साफ बता दिया कि पार्टी में उनकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है. वसुंधरा राजे ने भारी भीड़ जुटाकर ये साफ संदेश दे दिया है कि राजस्थान बीजेपी में उनका कोई विकल्प नहीं है.

जगजाहिर है पूनिया-वसुंधरा की अदावत

साल 2018 की हार के बाद वसुंधरा कमजोर पड़ीं और बीजेपी ने अध्यक्ष बदल दिया. सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी की कमान सौंपी गई और इसके बाद वसुंधरा न सिर्फ राजस्थान की सियासत में हाशिए पर चली गईं, शीर्ष नेतृत्व के साथ रिश्तों में खटास और बढ़ती चली गई. वसुंधरा राजे की पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी हो या पोस्टर से फोटो का गायब होना, संगठन में नियुक्तियां हों या बयानबाजी, कई मौकों पर उनके और सतीश पूनिया के बीच की अदावत जगजाहिर भी हुई.

भैरो सिंह शेखावत के बहाने समीकरण साधने की कोशिश

वसुंधरा राजे अपने संबोधन के दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत को याद कर भावुक भी हुईं. वसुंधरा ने भैरो सिंह शेखावत को अपना राजनीतिक गुरु बताया और कहा कि आज जो कुछ भी हूं, उनकी ही बदौलत हूं. वसुंधरा राजे ने अपनी राजनीतिक सफलता का श्रेय भैरो सिंह शेखावत को दिया. सियासत के जानकार इसे गजेंद्र सिंह शेखावत से अदावत के कारण पहुंचे नुकसान की भरपाई, सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश बता रहे हैं.

सरकार पर किए वार, अपने कार्यकाल का किया बखान

वसुंधरा राजे ने एक तरफ जहां शीर्ष नेतृत्व को लेकर नरमी दिखाई, सतीश पूनिया खेमे को साफ संदेश दे दिया तो वहीं दूसरी तरफ बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल की उपलब्धियां भी गिनाईं. वसुंधरा राजे ने शक्ति प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी की ओर से दावेदारी भी ठोक दी है. वसुंधरा राजे ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘हे बजरंगबली हनुमान, हे महावीर करो कल्याण’ से की. अब देखना ये होगा कि 2018 से ही सियासी वनवास झेल रही वसुंधरा राजे का महावीर कितना कल्याण करते हैं?

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