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अधीनस्थ न्यायालयों में 19 से शुरू होगा नियमित कामकाज

बिलासपुर। कोरोना की दूसरी लहर व लाकडाउन के बाद से अधीनस्थ न्यायालयों में नियमित सुनवाई बंद थी। अब हाई कोर्ट ने स्थिति सामान्य होने पर निचली अदालतों में 19 जुलाई से नियमित सुनवाई करने का आदेश जारी किया है। इसके लिए बुधवार को अधिसूचना जारी की गई है। सुनवाई के दौरान कोरोना नियमों का पालन करना होगा। वहीं प्रकरणों की सुनवाई की संख्या तय करने का अधिकार संबंधित न्यायालयों को दिया गया है।

कोरोना की दूसरी लहर भयावह थी। इसकी चपेट में आकर कई लोगों की जानें चली गईं। कोरोना से मरने वालों में वकीलों की संख्या भी कम नहीं है। लिहाजा अधिवक्ता संघों ने लाकडाउन लगने के पहले ही निचली अदालतों में भी वीडियो काफ्रेसिंग से सुनवाई करने की व्यवस्था करने की मांग की थी। वहीं व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में कोर्ट में कामकाज बंद करने का आग्रह किया था। इस पर हाई कोर्ट ने निचली अदालतों में सुनवाई बंद कर दिया था।

साथ ही जरूरी प्रकरणों की ही सुनवाई करने का आदेश दिया था। धीरे-धीरे कर अब दूसरी लहर से स्थिति सामान्य होने लगी है। लिहाजा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर रजिस्ट्रार जनरल ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी है। इसके मुताबिक प्रदेशभर के अधिनस्थ न्यायालयों में 19 जुलाई से नियमित सुनवाई करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। इस दौरान उन्हें कोरोना से बचने के नियम जैसे शारीरिक दूरी का पालन, मास्क लगाना और सैनिटाइजर की व्यवस्था कराने कहा गया है।

अधिसूचना के अनुसार जिला और सत्र न्यायाधीश, परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, न्यायाधीश वाणिज्यिक न्यायालय, विशेष न्यायाधीश (एससी / एसटी), सदस्य न्यायाधीश (औद्योगिक न्यायालय), न्यायाधीश (श्रम न्यायालय) को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है कि न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी लोग शाीरिक दूरी के मानदंडों और अन्य सुरक्षा प्रोटोकाल पर विशेष ध्यान रखें।

आदेश में यह भी कहा है कि किसी न्यायालय व आसपास के परिसर में कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाता है या फिर लाकडाउन की स्थिति निर्मित होती है तो संबंधित न्यायाधीश अपने विवेकाधिका का उपयोग करते हुए व्यवस्था बना सकते हैं और कोर्ट बंद कर सकते हैं। इसी तरह नियमित कोर्ट में प्रकरणों की सुनवाई के लिए संख्य तय करने का अधिकार भी संबंधित न्यायाधीशों को दिया गया है। कोरोना संक्रमण बढ़ने पर संबंधित न्यायालयों का कामकाज न्यूनतम सहायक कर्मचारियों के साथ संचालित किया जा सकता है।

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