तिरछी नजर 👀 : मंत्री और चेयरमैन में जंंग… ✒️✒️

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राज्य शासन के एक बोर्ड में चेयरमैन का कार्यकाल खत्म होने के बाद दोबारा नियुक्ति से मंत्रीजी खफा हैं। उन्होंने चेयरमैन का कार्यकाल होने के बाद भारसाधक मंत्री होने के नाते खुद चेयरमैन का काम भी संभाल लिया था। मगर चेयरमैन पक्के खिलाड़ी निकले और उन्होंने दाऊजी के दो करीबी नेताओं को अपने पक्ष में कर कार्यकाल बढ़ावा लिया। मंत्रीजी को पद छोड़ना पड़ा। चेयरमैन की ताकत इतनी बढ़ गई है कि रसूखदार लोग भी उनके आगे पीछे होने लगे हैं। मंत्रीजी की परवाह तक नहीं करते। मंत्रीजी ने भी हार नहीं मानी और वो हर हाल में चेयरमैन को हटाने पर जोर दे रहे हैं। अब कौन किस पर भारी पड़ता है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

सरगुजा में कांग्रेस को दिक्कत..

सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटें कांग्रेस के पास है, लेकिन अब यहां स्थिति थोड़ी बदल सकती है। यह आंकलन एक सर्वे एजेंसी का है। सर्वे कांग्रेस ने कराया है और इस पर पार्टी समन्वय समिति की बैठक में चर्चा भी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक जशपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है। जबकि कोरिया और अंबिकापुर में कांग्रेस बेहतर स्थिति में है। इससे परे सूरजपुर और महेन्द्रगढ़ में बराबरी की स्थिति है। यह साफ है कि कांग्रेस को मौजूदा स्थिति बरकरार रखने के लिए कई कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।

पुलिस की एक और लिस्ट बाकी

नया आईजी रेंज बनाया गया है। रायगढ़ में डीआईजी की पोस्टिंग की गई है। इसके बाद भी रेंज के गठन को कई विसंगतियों की चर्चा प्रशासनिक हल्कों में है। इधर पुलिस की एक और लिस्ट जारी हो सकती है। एक-दो एसपी को बदला जा सकता है।

वो कौन था?

भाजपा के बड़े नेताओं की कानाफूसी में आजकल एक सवाल अहम होता है- वो कौन था? असल में हर नेता एक-दूसरे से यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आईएएस रानू साहू को गिरफ़्तारी से पहले दिल्ली कौन लेकर गया था? वहाँ एक कद्दावर मंत्री से उनकी मुलाकात किसने कराई और उसके बाद भी गिरफ़्तारी कैसे हो गई? साफ संदेश है- मोटाभाई के राज में सेटिंगबाजी नहीं चलेगी। खैर, नेताओं की दिलचस्पी तो इसमें है कि आखिर जनता की चिंता करने की बजाय एक आईएएस की विपत्ति पर किसका दिल पसीज गया?

कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना

कांग्रेस के एक नेता राजधानी में पद-यात्रा करने जा रहे हैं। नेताजी की ‘लोकप्रियता’ के मद्देनज़र राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ये जितने कदम चलेंगे, उतने भाजपा के वोट बढ़ेंगे। एक जानकार की माने तो नेताजी ने किसी निजी रंजिश के चलते वरिष्ठ विधायक के क्षेत्र में पद-यात्रा का कार्यक्रम बनाया है। चुनाव लड़ने के लिए तो उनका परिवार किसी सुरक्षित सीट की तलाश कर रहा है, जहां पैसे व प्रबंधन के बूते जीत हासिल की जा सके। साथ ही साम्प्रदायिक कार्ड भी वहाँ बेअसर हो। इसे कहते हैं कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना।

सीट बदलेंगे मंत्रीजी

कांग्रेस के एक युवा मंत्री को पार्टी ने सीट बदलने के लिए रजामंदी दे दी है। मंत्रीजी की मौजूदा सीट पर हालत खराब बताई जा रही है।
बताते हैं कि मंत्रीजी अब पड़ोस की सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।जिस सीट से मंत्रीजी चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं, वहां पार्टी के विधायक हैं, लेकिन विधायक की हालत खराब है। ऐसे में चर्चा है कि पार्टी विधायक की टिकट काटकर मंत्रीजी को चुनाव मैदान में उतार सकती है।

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