ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़ा खेला हो गया है। बताते हैं कि दर्जनों नायब तहसीलदार हाल ही में प्रमोट होकर तहसीलदार बन गए। प्रमोशन कोई बड़ी बात नहीं है। मगर इन नायब तहसीलदारों को नियत समय से करीब सालभर पहले प्रमोशन मिल गया।
चर्चा है कि प्रमोशन के लिए नायब तहसीलदार एकजुट हुए, और जहां-जहां जो-जो चढ़ाना था। मुक्त हस्त से चढ़ाते निकल गए। फाईले तेज रफ्तार से दौड़ी। चढ़ावें में इतना दम था कि बिना रोक-टोक के फाइल क्लियर होती चली गई। ज्यादातर नायब तहसीलदारों को मनमाफिक जगह मिल गई।
सीएम चिल्लाते रह गए, लेकिन सुदूर बस्तर के इलाकों में कोई नहीं गया। यहां के पद खाली रह गए। सालभर पहले पदोन्नति मिलने से सरकार को करीब 4 करोड़ का नुकसान हुआ सो अलग। चूंकि नायब तहसीदारों ने सब कुछ सामूहिक रूप से किया था। इसलिए बात फैलते देर नहीं लगी। यह मामला अब सीएम के संज्ञान में आ चुका है। देर-सबेर कुछ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
हॉस्पिटल से सक्रिय नेता जी
भाजपा के दो दिग्गज सरोज पांडेय और गौरीशंकर अग्रवाल बीमार चल रहे हैं। सरोज का तो ऑपरेशन हुआ है। जबकि गौरीशंकर को डेंगू हो गया है। गौरीशंकर कुछ दिन पहले ही स्वर्ण भूमि स्थित अपने नए बंगले में शिफ्ट हुए हैं। अभी उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है।
सरोज तो बैड से ही ट्वीट कर सक्रियता दिखा रही हैं। दोनों ही सौदान सिंह के करीबी माने जाते हैं। सौदान सिंह ने वीडियो कॉल कर दोनों से हालचाल जाना है। सरोज को तो देखने के लिए इतने लोग पहुंच गए थे कि अस्पताल प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई। दूसरी तरफ, गौरीशंकर भी बुखार में सक्रिय दिख रहे हैं। उनसे जुड़े लोग सरगुजा में प्रस्तावित चिंतन शिविर में आमंत्रण के लिए अभी से जुट गए हैं। रमन सिंह के काफी कोशिश करने के बाद भी गौरीशंकर को बस्तर शिविर से दूर रखा गया था। अब सरगुजा में उन्हें बुलाते हैं या नहीं। यह तो थोड़े दिन बाद पता चल पाएगा।
पद गया लेकिन पॉवर नहीं
खनिज निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन उपाध्यक्ष पद से भले ही हट गए हैं, लेकिन संगठन में उनका दबदबा बरकरार है। गिरीश ने राजीव भवन में कमरा पद से हटने के बावजूद फिर से अलाट करा लिया है। रोजमर्रा के कामकाज में दखल पहले जैसे ही बनी हुुई है। कर्मचारियों के साथ उसी रूतबे के साथ पेश आ रहे हैं, जब वे महामंत्री हुआ करते थे। कार्यकारिणी की बैठक में उनकी मौजूदगी को लेकर काफी कानाफुसी भी हुई। चर्चा है कि गिरीश से खफा लोगों ने उनकी शिकायत एआईसीसी में भी की है। मगर इससे क्या फर्क पड़ता है, जो काम करता है उसकी शिकायत तो होते रहती है।
बाबा के पाले में मंत्रीजी
बाबा को एक और मंत्री का साथ मिल रहा है। मंत्रीजी अब बाबा के साथ मजबूती से खड़े दिख रहे हैं। उन्होंने कुछ विषयों पर अपनी नाराजगी प्रभारी के सामने रखी है। उम्मीद थी कि सिविल लाइन तक बात पहुंचने के बाद समझाया-पुचकारा जाएगा और उनकी नाराजगी दूर हो जाएगी। मगर हुआ इसका उल्टा। सिविल लाइन से कड़ा संदेश भेजा गया। यदि रवैय्या नहीं बदला गया, तो मुश्किलें उठानी पड़ सकती है। अब इसका मंत्रीजी पर कितना असर हुआ है यह थोड़े दिन बाद पता चलेगा।
दो दोस्त
स्कूल कॉलेज के दोस्त, दोनों कांग्रेस विधायक हैं दोनों रायपुर राजधानी से राजनीति करते हैं। दोनों ने पिछला चुनाव रिकार्ड मतों से जीत हासिल किया है। दोनों के विधानसभा क्षेत्र में इस समय बवाल मचा है। दोनों पर गलत लोगों से घिरने के आरोप लगने लगे हैं। भाजपाइयों के अलावा कांग्रेसी भी खिलाफ हो गए हैं। दोनों…..!
राय पर हंगामा
शिक्षाकर्मी से राजनीति में आकर कांग्रेस विधायक बनने वाले चंद्रदेव राय इस समय उभरते हुए आक्रामक राजनीति के लिए चर्चित हो रहे हैं। पॉवर सेंटर से मिलते समर्थन के बाद अपने क्षेत्र के अलावा कई मामलों में संकट मोचन बनकर उभर रहे हैं। तबादले और गुटीय राजनीति में उलझे राय ने पूरे शिक्षा विभाग को नया रूप रंग देने का सुझाव दे दिया है। बसपा, भाजपा समर्थक सैंकड़ों शिक्षक कर्मचारियों की सूची सौंप कर दुरस्थ बस्तर भेजने की मांग कर शिक्षा मंत्री को मुसीबत में डाल दिया है। शिक्षा मंत्री के घर हंगामा खड़ा करने वाले विधायकों में सबसे ऊपर राय का नाम आने के बाद मुख्यमंत्री को रिपोर्ट भेजकर राय मांगी जा रही है।