चर्चित सेक्स सीडी कांड की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सीबीआई केस की सुनवाई छत्तीसगढ़ से बाहर कराने के पक्ष में है। मगर इस केस में कितना दम है, इसका अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों केस की सुनवाई हुई, तो सीबीआई की तरफ से यह कहकर आगे की डेट आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया कि पैरवी के लिए सॉलिसिटर जनरल दूसरे केसों में सुनवाई के चलते उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं। केस की सुनवाई अब दिसंबर के पहले पखवाड़े में होगी। केस को नजदीक से जानने वाले लोगों का मानना है कि जिसे आरोपी बनाना चाहिए था वो गवाह बन गए। ऐसे में केस तो शुरू से कमजोर हो गया। अब आगे क्या होता है, यह देखना है।
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अच्छे अफसर का तबादला
बिलाईगढ़-सारंगढ़ कलेक्टर डी राहुल वैंकट मात्र दो माह के भीतर हटा दिए गए, तो प्रशासन के जानकार और स्थानीय लोग हैरान रह गए। वैंकट की छवि साफ-सुथरे और ईमानदार अफसर की रही है। चर्चा है कि एक नेता ने खुद के कार्यालय के लिए मकान आबंटित करने के लिए दबाव बनाया था। यही नहीं, क्रेशर और खदान संचालकों के लिए अतिरिक्त रियायत भी चाह रहे थे।
कलेक्टर ने नियम विरूद्ध कोई काम करने से साफ तौर पर मना कर दिया। वैसे भी राज्य के कई अफसर ईडी की जांच के घेरे में आ गए हैं। और जब कलेक्टर ने उल्टे सीधे काम करने से मना कर दिया, तो उनके खिलाफ शिकायत कराई गई। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया। ये अलग बात है कि इस बदलाव से प्रशासनिक महकमे में अच्छा संदेश नहीं गया है।
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अपना टाइम आएगा …
शहर राजधानी रायपुर के शहर अध्यक्ष की घोषणा के बाद भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता भी आश्चर्यचकित है कि इस तरह विपरीत ध्रुव के नेताओं का मिलन हो गया। कई गुटों में बटी हुई भाजपा के बड़े नेताओं ने जिस तरह शहर अध्यक्ष बनाने में एकजुटता दिखाई उससे कई संदेश भी चले गए। बताते हैं कि अध्यक्ष की दौड़ में शामिल जुझारू और सक्रिय नेताओं को रोकने के लिए विधायक बृजमोहन अग्रवाल, सांसद सुनील सोनी, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, देवजी पटेल सहित कई दिग्गज नेताओं ने ऐसा बढिय़ा गेम प्लान तैयार किया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। भाजपा से बगावत कर एकबार चुनाव लडऩे वाले जयंती पटेल को एक राय होकर अध्यक्ष बनवा दिए। इससे खफा दावेदार और अनुशासित कार्यकर्ता अब अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं। वैसे भी साल भर बाद विधान सभा के चुनाव होने हैं।
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भविष्यवाणी
कुछ समय पहले दतिया से एक महाराज आते थे उनका दरबार सजता था और वो लोगों का भविष्य बताते थे। कहा जाता है कि क कई भविष्यवाणी सही भी हुई लेकिन दो नेताओं का महाराज जी के चक्कर में कैरियर तकरीबन खराब हो गया है। महाराज जी ने दिवंगत बड़े नेता के महत्वाकांक्षी बेटे का राजनीतिक भविष्य उज्जवल होने की भविष्यवाणी कर दी। बेटे ने पिता पर उनके जीवित रहते दबाव बनाकर तो नई पार्टी बनवा लिया, लेकिन पत्नी चुनाव हार गई। पिता के गुजरने के बाद पार्टी के विधायक भी छिटक गए। बेटे राजनीतिक भविष्य अधर में है।
इसी तरह महाराज जी ने भानुप्रतापपुर के एक नेता को विधायक बनने का आशीर्वाद दे दिया। आशीर्वाद से उत्साहित नेताजी ने सब कुछ छोड़ कर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए और अपनी जमानत तक गंवा बैठे। लेकिन नेताजी अभी भी उम्मीद से हैं और उपचुनाव में भाजपा से टिकट चाह रहे हैं। देखना है अब आगे का भविष्य कैसा रहता है। यह देखने वाली बात होगी।
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सर्वे रिपोर्ट से खुश
भानुप्रतापपुर उपचुनाव से पहले कांग्रेस के सर्वे में चुनाव में अच्छी मार्जिन से जीत का दावा किया गया है। इसी संस्था ने खैरागढ़ का सर्वे किया था और पहले सर्वे में कांग्रेस के पिछड़ने की बात कही थी। इसके बाद सीएम ने खैरागढ़ में कैम्प किया और माहौल को अपने पक्ष में किया। अब पहले सर्वे में अच्छी खबर आने से पार्टी के रणनीतिकारों का खुश होना स्वाभाविक है।
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सुविधा के लिए माथापच्ची
कांग्रेस के नाराज कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए 150 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को निगम मंडल में जगह दे दिया गया। नवनियुक्त पदाधिकारी अब खुद की गाडिय़ों में नेमप्लेट लिखाकर घूमने लगे हैं। इनमें से अध्यक्षों को केबिनेट मंत्री व राज्यमंत्री का दर्जा देने का पत्र भी राज्य सरकार और पुलिस अफसरों को दे दिया है।अफसर भी पशोपेश में है कि कितने लोगों को राज्यमंत्री व केबिनेट मंत्री का दर्जा देकर सुरक्षा गाड़ी देना है। पहले ही मंत्रियों, निगम मंडल अध्यक्षों सहित गणमान्य नागरिकों को भारी भरकम सुरक्षा दी गई है। प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए पुलिसकर्मी नहीं है। इधर माननीयों के रूतबे का सवाल है। देखना हैं कितने को वेतन, सुविधा, सुरक्षा और सम्मान मिल पाता है।