Trending Nowशहर एवं राज्य

तिरछी नजर : पत्रकार सुरक्षा कानून और रूचिर गर्ग

आखिरकार बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून के प्रारूप पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। इस सत्र में विधानसभा में पेश कर दिया जाएगा ।
विधानसभा की मंजूरी के बाद राज्यपाल को विधेयक भेजा जाएगा, और उम्मीद है कि अप्रैल या मई में कानून प्रभावशील हो जाएगा। पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए मुख्यमंत्री तो कटिबद्ध थे ही, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आफताब आलम ने बिना मेहताना लिए खूब मेहनत की।
वो बस्तर से सरगुजा तक विपरीत परिस्थितियों में काम करने वाले पत्रकारों से रूबरू हुए। इसके बाद ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को भेजा। इसमें सीएम के सलाहकार रूचिर गर्ग की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता, जो कि हर स्तर पर कानून की राह के रोड़े को हटाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया। वैसे तो यह कानून महाराष्ट्र में भी लागू है, लेकिन छत्तीसगढ़ के कानून को ज्यादा प्रभावशाली माना जा रहा है। छोटे राज्यों में अकेला छत्तीसगढ़ ही ऐसा है जहां पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो रहा है। लो प्रोफाइल में रहने वाले रूचिर के प्रयासों का प्रतिफल है कि पत्रकार सम्मान निधि की राशि दो गुना हुआ । यही नहीं, सरकार ने मकान बनाने के लिए कर्ज पर ब्याज अनुदान देने का ऐलान किया है। रमन सरकार के पहले कार्यकाल में राजकुमार शर्मा मीडिया सलाहकार थे लेकिन उनका चेहरा यहां के किसी पत्रकार ने नहीं देखा। ऐसे में रूचिर तारीफ तो बनती है।

जमीन किसने खरीदी…

बिलासपुर के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक के खेल मैदान को बेचे जाने पर सदन में खूब बहस हुई। कांग्रेस सदस्य शैलेश पांडेय ने प्रकरण को जोरशोर से उठाया। मंत्रीजी जांच के पक्ष में नहीं थे फिर भी स्पीकर के कहने पर मंत्रीजी ने प्रकरण को दिखवाने की बात कही है। अब अंदर की खबर यह है कि कॉलेज के ट्रस्टी करोड़ों की इस जमीन को बेचने की कोशिश में सालों से लगे हुए थे। वो रमन सरकार में बिलासपुर जिले के एक मंत्री के पास भी गए थे लेकिन मंत्रीजी ने उन्हें लौटा दिया था। मगर इस बार वो अपनी कोशिशों में सफल रहे। डील यह हुई है कि सत्ताधारी दल के प्रभावशाली नेता ने पार्टनरशिप में जमीन खरीद लिया है। अब आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात है।

नितिन नबीन की मेहनत रंग लाई

प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों भारी तनाव में रहे। कांग्रेस नेताओं के भीतर की खलबली के बाद एक नई योजना लाकर भूपेश बघेल ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है वहीं भाजपा ने राजधानी रायपुर में जंगी प्रदर्शन का फैसला कर स्थानीय बड़े नेताओं के लिए मुश्किलें पैदा कर दी थी जो रोजमर्रा के धरना प्रदर्शन कार्यक्रमों के लिए इंतजाम करते थक चुके थे ।जिम्मेदार नेताओं की अरूचि से हाईकमान चौकन्ना हो गया । रमन सिंह तो होली के पहले दिल्ली चले गए थे । वो आखिरी क्षणों में सीधे सभा में आए । ऐसे में ओम माथुर, नितिन नबीन ने मोर्चा संभाला।नितिन नबीन ने तो बृजमोहन अग्रवाल जैसे सीनियर विधायकों के क्षेत्र में भी सीधे दखल देते सारी जिम्मेदारी खुद बांटी । यही नहीं, संसाधनों की व्यवस्था की जिम्मेदारी खुद तय की । उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को पार्टी में सम्मान दिलाने का भरोसा दिया । और जब कार्यक्रम सफल हुआ, तो नितिन नबीन की वाहवाही होने लगी है। इससे कई विधायक तो टिकिट खतरे में मान बैठे हैं।

वोकल फॉर लोकल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह नारा देते वक्त सोचा भी नहीं होगा कि उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ता इसका उपयोग टिकट मांगने के लिये करेंगे। रायपुर में जबरदस्त प्रदर्शन के बाद बिलाईगढ़ क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने यह नारा बुलंद कर दिया है। भाजपा के जिम्मेदार ओहदों पर बैठे क्षेत्र के कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर खुलकर स्थानीय व्यक्ति को टिकट देने की मांग करने लगे हैं। ये आग दूसरी सीटों पर भी फैल सकती है। स्थानीय भावनाओं से जुड़े मुद्दे को प्रदेश नेतृत्व भांप नहीं पाया है। नेतृत्व की कमान ज़्यादातर बाहरी नेताओं के हाथ में है। ऐसे में टिकट वितरण से पहले पार्टी में नया बखेड़ा खड़ा हो जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये। बहरहाल, प्रदर्शन से जोश में आये कई पदाधिकारी स्थानीय मुद्दे के दम पर दावेदारी ठोंकने में जुटे हैं।

कांग्रेस विधायकों के तेवर

साढ़े चार साल ‘फील गुड’ का अहसास कराने वाले कांग्रेस विधायक इस बजट सत्र में अपनी ही सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। सबने विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों को प्रमुखता से उठाया,और सरकार को जांच के लिए आदेशित करने पर मजबूर कर दिया। प्रदेशकांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, अमितेश शुक्ला, सत्यनारायण शर्मा, छन्नी साहू, गुलाब कमरो, शैलेश पांडे और डां विनय जायसवाल काफी मुखर रहे। इन सभी को स्पीकर ने भरपूर मौका भी दिया । समझा जा रहा है कि हालात को संभालने के लिए मंत्री अमरजीत भगत से बयान दिलवाया गया कि 35 फीसदी मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकती है। जबकि वो सरकार के प्रवक्ता भी नहीं है। कुछ बड़े नेताओं का मानना है कि अमरजीत जल्द नई भूमिका में आ सकते हैं। अब आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात है।

नेता प्रतिपक्ष के तेवर

राज्यपाल के अभिभाषण पर नेता प्रतिपक्ष नारायण चन्देल के भाषण से सत्ता पक्ष के मंत्री व विधायक ज्यादा खुश है । सौम्य व सरल माने जाने वाले नारायण चन्देल के नेता प्रतिपक्ष वाले तेवर है या नहीं ,इसकी चर्चा भाजपा के भीतर ज्यादा हो रही हैं। जबकि बृजमोहन अग्रवाल, अजय चन्द्राकर, धरम कौशिक और शिवरतन शर्मा जैसे दिग्गजों ने सत्ता पक्ष को घेरने में कोई मौका नहीं छोड़ा । इन सबके बीच स्पीकर डां चरणदास महंत और संसदीय मंत्री रवीन्द्र चौबे ने सादगी व सौम्यता से भरे भाषण पर इशारों इशारों में नेता प्रतिपक्ष को बधाई भी दिया । इन सबके बीच सीएम भूपेश बघेल ने पूर्व सीएम डां रमन सिंह पर टिप्पणी सोशल मीडिया में भारी वायरल हो रही है।

Advt_19_09
cookies_advt2024_08
advt_001_Aug2024
july_2024_advt0001
Share This: