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तिरछी नजर : जिला गठन, मंत्री-विधायकों की आपत्ति

 

चार नये जिलों की घोषणा को छह माह हो चुके हैं, लेकिन ये जिले अभी तक अस्तित्व में नहीं आ पाए हैं l बताते हैं कि दो जिले मानपुर-मोहला, और सक्ती में तो कोई समस्या नहीं है लेकिन महेन्द्रगढ़-चिरमिरी और सारंगढ़-बिलाईगढ़ में सीमा विवाद नहीं सुलझ रहा l चर्चा है कि विवाद खड़ा करने में स्थानीय नेताओं की भूमिका है l

महेन्द्रगढ़- चिरमिरी में एक मंत्री अतिरिक्त सक्रियता दिखा रहे हैं, तो सांरगढ- बिलाईगढ़ की प्रस्तावित सीमा को लेकर कांग्रेस के दो विधायक आमने-सामने आ गए हैं l अब इन विवादों के निपटारे के लिए सीएम खुद आगे आए हैं l चर्चा है कि जल्द सब कुछ ठीक हो जाएगा और फरवरी में सभी नये जिलों में ओएसडी की नियुक्ति कर दी जाएगी l

मरकाम की दोबारा ताजपोशी या..

कांग्रेस में सदस्यता अभियान चल रहा है और माना जा रहा है कि अगस्त सितम्बर में अध्यक्ष की ताजपोशी हो जाएगी l मोहन मरकाम दोबारा अध्यक्ष बनेंगे अथवा नये को मौका मिलेगा, इस पर पार्टी के भीतर चर्चा हो रही है l चर्चा है कि सीएम खेमा अध्यक्ष पद के लिए कांकेर के विधायक शिशुपाल सोरी का नाम आगे कर सकता है l सोरी सीएम के माने जाते हैं l कुछ भी हो मरकाम की दोबारा ताजपोशी आसान नहीं है l

अफसर की सुरक्षा के लिए निजी गार्ड

आमतौर पर नक्सल खतरे को देखते हुए सत्ता और विपक्ष के कई छोटे बड़े नेताओं को सरकारी सुरक्षा मिली हुई है l नक्सल इलाकों में काम करने वाले कई अफसरों को भी सुरक्षा प्राप्त है, लेकिन एक अफसर ने तो राजधानी रायपुर में ही अपने खर्च पर निजी गार्ड रख लिया है l अफसर को किसी से कोई खतरा नहीं है बल्कि उनसे ही मातहतों को शिकायत रहती है l अफसर अपने खराब व्यवहार को लेकर कुख्यात है l

गंगराडे की जगह दिनेश..

विधानसभा के प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगराडे का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है और माना जा रहा है कि दिनेश शर्मा एक अप्रैल से गंगराडे की जगह ले सकते हैं l चर्चा है कि रिटायरमेंट के बाद भी अध्यक्ष और सीएम किसी न किसी रूप में गंगराडे की सेवाएं लेती रहेगी l गंगराडे ने अपनी जिम्मेदारियों को बहुत बेहतर ढंग से निभाया है l

नवा रायपुर में चहलपहल

वैसे तो आरपी मंडल को निर्माण कार्यों के मामले में विशेषज्ञता हासिल रही हैl जिस तरह उन्होंने रायपुर को सजाने में योगदान दिया था उससे उम्मीद बंधी थी कि नवा रायपुर का कायाकल्प कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है l चेयरमैन बने दो साल होने को आए मगर नवा रायपुर मेंएक ईट भी नहीं जुड़वा पाए l बताते हैं कि मंडल साब ने सारे संबंधित विभागों के साथ समस्याओं को लेकर बैठक नहीं की, और अब किसान आंदोलन कर रहे हैं तो पर्यावास भवन के अफसर यह कहते सुने जा रहे हैं कि आंदोलन के नवा रायपुर में चहलपहल तो हो रही है..l

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