भाजपा के दो दिग्गज रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल के बीच राजनीतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है। यद्यपि पार्टी बैठकों और पारिवारिक कार्यक्रमों में दोनों एक-दूसरे से आत्मीयता से मिलते हैं। मगर बृजमोहन के जलकी प्रकरण के बाद से पार्टी के अंदरखाने में दोनों के बीच तलवारें खिंची हुई है। ये अलग बात है कि दोनों ऊपरी तौर पर किसी को अहसास नहीं होने देते हैं।
नई खबर यह है कि रमन सिंह के इलाके कवर्धा में बृजमोहन अग्रवाल की रिश्तेदारी बन रही है। उनकी इकलौती डॉक्टर बेटी का विवाह कवर्धा के एक प्रतिष्ठित परिवार में तय हुआ है। बृजमोहन के होने वाले दामाद भी डॉक्टर हैं। वैसे तो रमन सिंह के गृह जिला होने की वजह से बृजमोहन कवर्धा कम जाते थे। लेकिन अब रिश्तेदारी तय होने से आना-जाना लगा रहेगा।
बृजमोहन जहां जाते हैं, वहां समर्थकों की भीड़ तो जमा हो जाती है। इससे रमन समर्थक असहज हो सकते हैं, लेकिन नए रिश्ते से दोनों के बीच रिश्तों में सुधार आने की गुंजाइश भी दिख रही है। क्योंकि बृजमोहन के समधी पक्ष से रमन सिंह परिवार के संबंध काफी अच्छे है। कुल मिलाकर इससे पार्टी के भीतर तनाव कम होने के आसार दिख रहे हैं।
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ईडी रेड की चर्चा
ईडी-आईटी के छापों से सरकार के अफसर काफी परेशान हैं। पिछले दिनों एक अफसर ने वीआईपी रोड स्थित फार्म हाउस में दीवाली की पार्टी दी। इसमें सीनियर अफसर प्रमुख रूप से मौजूद थे। दीवाली पार्टी में सिर्फ पुरुष अफसर ही थे। अफसरों की पत्नियां भी पार्टी में नहीं थी। ऐसे में ज्यादातर समय सिर्फ ईडी की कार्रवाई पर ही बात होती रही। खास बात यह है कि सरकार के पार्टी में आए सारे अफसर ईडी की कार्रवाई से काफी खफा थे और एक स्वर में एजेंसियों के कार्रवाई के तौर तरीकों की आलोचना करते रहे।
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अग्रबंधुओं के किस्से
भाजपा सरकार के नजदीकी रहे और अब कांग्रेस की सरकार में अपनी पैठ बना चुके अग्रबंधुओं के कई किस्से सुनाई दे रहे हैं। सुनते हैं कि अग्रबंधुओं ने कांग्रेस की सरकार आने से पहले एक भव्य कॉलोनी की रूपरेखा तैयार की थी। अग्रबंधुओं पर भरोसा कर कईयों ने प्लाट की बुकिंग भी करवाई। लेकिन तीन साल बाद जमीन को लेकर विवाद होने का कारण बताते हुए सभी के पैसे बिना ब्याज के लौटा भी दिए। बात यहीं खत्म नहीं होती है। अग्रबंधुओं ने तीन गुना अधिक कीमत पर उसी जमीन को दूसरे कारोबारियों को बेच दिया। जिन लोगों ने जमीन में निवेश किया था वो खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। लेकिन अग्रबंधुओं का दबदबा इतना है कि कोई कुछ नहीं बोल पा रहा है।
निगम मंडल में नियुक्तियों से फायदा..
चुनाव में जाने से पहले कार्यकर्ताओं के असंतोष को कम करने निगम मंडल की एक सूची और निकल गई। इस सूची की समीक्षा कांग्रेसी ज्यादा कर रहे हैं। निगम मंडलों में नियुक्ति के आदेश के एक दिन पहले सारे नेताओं ने एक स्वर से कार्यकर्ताओं के सम्मान की वकालत की। सूची निकलने में विलंब की भी याद दिलाई गई। इस सूची में जाति समीकरण, क्षेत्रीय समीकरण का ध्यान अधिक रखा गया है। कई पुराने सक्रिय और जुझारू कार्यकर्ता फिर छुट गए। छुटे लोगों का गुस्सा आगामी दिनों बढ़ सकता है। इसको देखते हुए कुछ और नियुक्ति की शिगुफा छोड़ा गया है।
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ताम्रध्वज का कद बढ़ेगा..
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े के बनने के बाद छत्तीसगढ़ के राजनीति समीकरण बदल सकते हैं। श्री खडग़े लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते समय दुर्ग लोकसभा सदस्य व वर्तमान गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से संबंध अच्छे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री चयन के समय भी खडग़े ने ताम्रध्वज साहू के पक्ष में लाबिंग की थी। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आगामी दिनों ताम्रध्वज साहू की सिफारिशों को तवज्जों मिल सकती है। कई महत्वपूर्ण समितियों में भी ताम्रध्वज साहू को रखा जा सकता है। कई अन्य नेताओं का नाम राष्ट्रीय स्तर की कमेटियों से कट सकती है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस बाबा का भी संबंध ठीक होने के कारण महत्व मिलने की कयास लग रहे है।
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आराम के लिए कमरा चाहिए..
घर से बहुत दूर नया रायपुर के अधिकारियों के लिए दोपहर में आराम करने महानदी भवन मंत्रालय में सुव्यवस्थित कमरे की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था से काम की अधिकता के बीच आराम मिल जा रहा है। ठीक उसी तरह अलग से आराम करने का कमरा अब संचालनालय में भी अधिकारी बनवाने लगे हैं। एनआरडीए ने अधिकारियों की आवश्यकताओं को समझते हुए अलग से कमरा बनाने की अनुमति दे दी है। सहमति के बाद इंद्रावती में बैठे अफसरों को भी अब काम की अधिकता के चलते दोपहर लंच के बाद आराम करने के लिए सुविधा मिल गयी। आम लोगों के लिए मंत्रालय पहुंचना आज भी बेहद खर्चीला है परंतु अधिकारी अपनी सुविधा और साधन बढ़ा रहे हैं ।आफिस में काम की गुणवत्ता की समीक्षा करने वाला कोई नहीं है।
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