
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में जाने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज नेता लगे हैं । चर्चा है कि दाऊजी से सहमति मिलने के बाद अपनी सीट तय कराने के लिए प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया पिछले दिनों दस जनपथ पहुंचे । उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात भी हुई, लेकिन जैसे ही उन्होंने राज्यसभा में जाने की इच्छा जताई , सोनिया जी ने उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि दीस टाइम नाट पासिबल ।
एक अन्य राष्ट्रीय नेता तो पिछले दिनों दाऊजी से मिलने दिल्ली के छत्तीसगढ़ सदन में लोवर-टी शर्ट पहनकर मास्क लगाकर पहुंचे थे ताकि कोई पहचान न पाए । फिर भी भारी भरकम शरीर के इस नेता को कुछ लोगों ने पहचान लिया । हालांकि उन्होंने भी जाहिर नहीं होने दिया । छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे एक राष्ट्रीय महामंत्री भी सपत्नीक सोनिया गांधी से मिलकर छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में जाने की इच्छा जता चुके हैं । यह तय है कि छत्तीसगढ़ की दो में से एक सीट पर किसी राष्ट्रीय नेता को राज्यसभा में भेजा जा सकता है ।
भ्रष्टाचार की जांच से परहेज
खबर है कि प्रतिनियुक्ति पर अपने गृह प्रदेश जा चुके एक आईएएस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार के दो गंभीर मामले आए हैं । जिस अफसर को कमेटी गठित कर जांच के लिए कहा गया है, वो अपने सीनियर की जांच करने से हिचक रहे हैं । ऐसा नहीं है कि उनकी अपने सीनियर के प्रति सदभावना है बल्कि खुद भी पाक साफ नहीं है । देर सबेर वो भी विभाग से हटेंगे तो उनका भी कुछ न कुछ निकलेगा । बस, यही एक वजह है कि वो जांच पड़ताल से परहेज कर रहे हैं ।
अनुभव का फायदा
प्रदेश सरकार के एक मंत्री को पड़ोसी राज्य के पार्टी नेता ने मोहजाल में फांस लिया है । चर्चा है कि मंत्री जी कोई भी बड़ा फैसला नेताजी की राय के बिना नहीं लेते हैं । पड़ोसी राज्य में ठेकेदारी ही मुख्य व्यवसाय है । नेता जी इस व्यवसाय की बारीकियों को बेहतर समझते हैं । विभाग के ठेकों में अब नेताजी की तूती बोल रही है । मंत्री जी भी खुश हैं कि नेताजी के अनुभव की वजह से बेहतर प्रतिफल मिल रहा है ।
सीख देना भारी पड़ा
प्रदेश में केन्द्रीय मंत्रियों के आने का क्रम जारी है। एक-दो मंत्री तो बकायदा पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकार से मुद्दों को लेकर लड़ने-भिड़ने के गुर भी सिखा रहे हैं । एक मंत्री ने बूथ के कार्यकताओं को मतदान के दौरान किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटने की सलाह दे दी । कई मौके पर तो बड़े नेता भी भाग खड़े होते हैं ।
उन्होंने किस्सा सुनाया कि हाल के एक चुनाव में पार्टी के बड़े नेता डां अनिल जैन को एक दिग्गज नेता के खिलाफ अपने समाज के मतदाताओं को पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने की अपील के लिए भेजा था ।
डां अनिल जैन उस क्षेत्र में पहुंचे तो उनके समाज का एक भी व्यक्ति नहीं आया। चूंकि डां जैन बड़े नेता के रूप में प्रचारित हैं इसलिए उनका मान रखने के लिए प्रत्याशी ने जैन समाज के अपने पांच-छह समर्थकों को उनके पास भेजा । डां जैन अपने सजातीय बंधुओं को भाजपा का पूरे दम खम के साथ सहयोग करने की गुजारिश कर रहे थे कि बाहर विरोधी दल के समर्थक गुंडे एकत्र हो गए । उन्हें खिड़की से देखकर डां जैन के हाथ पांव कांपने लगे । उन्होंने दिल्ली फोन लगाया । पुलिस और फिर भाजपा प्रत्याशी अपने साथियों के साथ वहां पहुंचे तब कहीं डां जैन किसी तरह वहां से निकल पाए । बूथों में कार्यकर्ताओं को अपना दम दिखाने की नसीहत देने वाले डां जैन का हाल देखकर कार्यकर्ता मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ।
मोटा माल बनाने की कोशिश
कांग्रेस के एक चतुर नेता को एक बोर्ड में अहम पद मिल गया, लेकिन मोटा बनाने की कोशिश अब तक सफल नहीं हो पाई है ।
बताते हैं कि नेता जी ने सहकारी संस्था की जमीन को आबंटित करवा कर रिहायशी कालोनी बनाने की योजना बनाई थी । एक बड़े बिल्डर से बातचीत भी हो गई थी। आफर आदि बुलाकर बिल्डर को जमीन को सौंपने की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी तभी पता चला कि जमीन की 90 फीसदी राशि सहकारी संस्था को देनी होगी।इसी बीच बाकी पदाधिकारियों को भी इस गुपचुप सौदे की भनक लग गई । आखिरकार प्रोजेक्ट को ही ठंडे बस्ते में डालना उचित समझा ।