भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव-बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट की फटकार,1 हफ्ते के अंदर हलफनामा दायर करने का दिया मौका

Patanjali Advertisement Case: आज सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई हुई। योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद एमडी आचार्य बालकृष्ण शीर्ष अदालत पहुंचे। इस दौरान अदालत ने दोनों को फटकार लगाई और कहा कि आपको इस मामले में हलफनामा दायर करना चाहिए था।
10 अप्रैल को होगी आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया। साथ ही आदेश दिया कि अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने पतंजलि के एमडी के हलफनामे में दिए बयान को भी खारिज कर दिया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (मैजिक रेमेडीज) एक्ट पुराना है।
हर आदेश का सम्मान होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अदालत के नोटिस का जवाब नहीं देने पर कहा कि यह पूर्ण अवहेलना है। सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, देशभर की अदालतों से पारित हर आदेश का सम्मान होना चाहिए। आपको इस मामले में हलफनामा दायर करना चाहिए था।
बाबा राम देव ने कोर्ट से मांगी माफी
इस पर योग गुरु रामदेव ने पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर अदालत से बिना शर्त माफी मांगी। उनके वकील ने अदालत से कहा कि दोनों लोग व्यक्तिगत रूप से मांफी मांगना चाहते थे, इसलिए आज अदालत में पेश हुए हैं। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था।
पतंजलि ने अपनी याचिका में मांग की कि विज्ञापन मामले में ताजा हलफनामा दायर करने के लिए और समय दिया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि कभी-कभी चीजों को सही फैसले तक पहुंचना जरूरी है। बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को एक सप्ताह के भीतर नया हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया है।
क्या है आईएमए का आरोप?
आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।