इजरायल-ईरान ही नहीं…दुनिया के इन देशों में भी जारी है जंग, शहर बन चुके खंडहर और शवों को दफनाने के लिए नहीं बची जगह

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नई दिल्ली : इजरायल ने 7 अक्टूबर 2023 को देर रात हमास पर हमला किया था। इजरायल और हमास के बीच जारी जंग को आज यानी 7 अक्टूबर 2024 एक साल हो गया। गाजा में अब तक 41 हजार से ज्‍यादा फिलिस्तीनी और हमास आतंकी मारे गए। दावा किया जा रहा है कि गाजा में लाशों को दफनाने की जगह नहीं बची है। फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह ने गाजा को ‘ब्लड वैली’ नाम दे दिया है।

इजरायल और हमास की जंग में धीरे-धीरे मिडिल ईस्‍ट के देश भी शामिल होते गए तो इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी कसम खाई, ‘ हमास और उसके समर्थन में खड़े होने वाले हर संगठन को इजरायल तबाह कर देगा।’

मौजूदा वक्त में अकेला इजरायल सात मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है, जबकि दुनिया भर की बात करें तो पूर्वी यूरोप से लेकर मिडिल ईस्ट और अफ्रीका तक हिंसा और अस्थिरता का दौर जारी है।

फिलहाल, इजरायल के अलावा पांच ऐसे संघर्ष के बारे में आपको बताते हैं, जिनके चलते जमकर तबाही हो रही है। मानवीय संकट पैदा हो गया है। जहां कभी जिंदगी थी, वहां अब सिर्फ मलबा और खंडहर नजर आते हैं। युद्ध की तबाही झेल रहे लोगों को देख इंसानियत भी रो पड़े। युद्ध पीड़ितों के पास न खाने को अनाज है, न जरूरी सामानों को खरीदने के लिए पैसे।

युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में लाखों घर उजड़ गए। लोग बेघर हो गए। लोग अपने ही देश में शरणार्थी हो गए। किसी ने मांग को सिंदूर खोया तो किसी किसी के पास अपना कहना के लिए कोई नहीं बचा। हजारों महिलाओं का बेरहमी से दुष्‍कर्म किया गया तो न जाने कितनों की लाचारी का फायदा उठाया गया। बच्चों की सांसें छीन ली गईं। तबाही का मंजर देख साहिर लुधियानवी की लिखी पंक्तियां याद आ जाती हैं- ”जंग तो खुद ही एक मसला है, जंग क्‍या मसलों का हल देगी।”

 

1. रूस-यूक्रेन वॉर: लाखों की मौत; लेकिन सरकारें चुप

रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में जंग शुरू हुई थी, जो अभी भी खत्म होती नजर नहीं आ रही है। रूस और यूक्रेन के हमले में कई शहर खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं। क्रीमिया के कब्जे को लेकर शुरू हुआ संघर्ष अब यूक्रेन की जमीन और सत्ता पर अधिकार के लिए भीषण जंग बनी हुई है।

रूस की ताकत के आगे यूक्रेन न जाने कब का घुटने टेक चुका होता, लेकिन पश्चिमी सहयोगी देशों से मिल रही मदद और यूक्रेन की रणनीतिक स्थिति ने रूस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

विदेशी मीडिया रिपोर्ट की माने तो रूस-यूक्रेन में जारी जंग में दोनों देशों के एक लाख के करीब सैनिक मारे जा चुकी है। हालांकि,दोनों देशों की सरकारों की ओर से मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया जा रहा है।

लाखों लोगों का जन-जीवन बेपटरी हो गया है। बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। इसके बावजूद दोनों देश मोर्चे पर डटे हुए हैं। दोनों देशों के शांति-विराम की स्थिति बनते नजर नहीं आ रही है।

2. फिलिस्तीन-इजरायल और हमास

7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर किए गए हमले ने एक भीषण युद्ध छेड़ दिया। हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जबकि हमास ने भी जोरदार पलटवार किया।

 

इजरायल और फिलिस्तीन के इस युद्ध में गाजा की जनता भयंकर मानवीय संकट में फंस गई है और लाखों लोगों का जीवन तबाह हो गया और ये तबाही अभी भी जारी है। हालत ये है कि दोनों पक्षों में शुरू हुए इस युद्ध ने मिडिल ईस्‍ट की शांति को भी भंगकर जंग का मैदान बना दिया है।

3. सूडानी गृहयुद्ध: लाखों लोग हुए बेघर

सूडान एक बार फिर गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। अप्रैल 2023 में शांति वार्ताएं विफल होने के बाद सूडान की राजधानी खार्तूम और दारफुर के इलाकों में भीषण लड़ाई शुरू हो गई। सूडान की सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के बीच यह टकराव अब तक लाखों लोगों को बेघर कर चुका है और हजारों लोगों की जान ले चुका है।

सूडान में इस गृहयुद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है। गृहयुद्ध की वजह से वहां की राजनीतिक स्थिति बेहद अस्थिर हो गई है। देश में बुनियादी सेवाएं ठप हो चुकी हैं और जनता लगातार हिंसा व अत्याचार का शिकार हो रही है।

 

4. म्यांमार का गृह युद्ध: 33 लाख ने किया पलायन

भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्‍य तख्‍तापलट होते ही हिंसा भड़क गई। सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिरा दिया और देश की कमान अपने हाथ में ले जी। इसके बाद से यहां लोकतंत्र समर्थक समूह और जातीय सशस्त्र गुट सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

हालत इस कदर बिगड़ गए कि म्यांमार में जारी गृहयुद्ध में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं और 33 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं आया है

5. हैती में गिरोहों का आतंक

हैती पारंपरिक युद्ध की बजाय गिरोह की हिंसा से तबाह हो रहा है। साल 2021 में राष्ट्रपति की हत्या के बाद देश में अराजकता फैल गई और विभिन्न गिरोहों ने राजधानी समेत बड़े इलाकों पर कब्जा कर लिया। यहां सरकार लगभग निष्क्रिय हो चुकी है और कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज बाकी नहीं रही।

हैती में आम जनता को गिरोहों की हिंसा का सामना करना पड़ रहा है और देश में अराजकता और हिंसा का कोई अंत नहीं दिख रहा। इस समय हैती में सुरक्षा व्यवस्था इतनी बदहाल है कि लोग पलायन करने को मजबूर हैं।

 

 

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