जगदलपुर। बस्तर विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन की टीम ने सी रैंक दिया है, यह मूल्यांकन के बाद दिये जाने वाले रैंक में सबसे नीचला रैंक हैं। विश्वविद्यालय के अफसरों को पहले से पता था कि बस्तर विश्वविद्यालय में स्थायी प्रोफेसर नहीं हैं, नैक रैंकिंग में पिछडऩे का यह बड़ा कारण बन सकता है, बावजूद इसके नैक मूल्यांकन की इतनी हड़बड़ी थी कि उन्होंने नियमों को जानने के बाद भी मूल्यांकन करवा दिया। एक बार नैक का मूल्यांकन होने के बाद दोबारा मूल्यांकन पांच साल बाद ही हो पाएगा। सबसे निचला रैंक मिलने के विषय पर बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि अब तक प्रमाण पत्र नहीं मिला है, प्रमाण पत्र आने के बाद ही इस संबंध में जानकारी दे पाऊंगा।