Home Trending Now मप्र के संगठनों ने केंद्र के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का किया समर्थन

मप्र के संगठनों ने केंद्र के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का किया समर्थन

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भोपाल। केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आठ जनवरी को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल का मध्यप्रदेश के वामपंथी और समाजवादी दलों ने समर्थन किया है। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ श्रमिक-किसान संगठनों ने आठ जनवरी को देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल का समर्थन करते हुए गुरुवार को समाजवादी नेता, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक रघु ठाकुर ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेशी और देसी पूंजीपतियों के मुनाफों की खातिर सार्वजनिक क्षेत्र को मिट्टी के मोल बेचा जा रहा है।यहां तक कि जो जनहित के जन उपयोगी उद्यम हैं, उनका भी निजीकरण किया जा रहा है। बैंक, रेलवे, वायुसेवा, सड़क, बिजली और पानी सभी को निजी क्षेत्रों में देकर आम जनता के लिए महंगा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारें देश चलाने के लिए बनती थीं, ये देश बेचने के काम मे लगे हैं।सीपीएम के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था को ही गर्त मे पहुंचा देने की बात कही और कहा कि जिसे मंदी कहा जा रहा है, वह जनता की आमदनी कमजोर पड़ने और नतीजे में क्रयशक्ति के सिकुड़ने की वजह से है। मगर बजाय जनता को राहत पहुंचाने के मोदी सरकार रिजर्व बैंक के आपदा कोश में पौने दो लाख करोड़ रुपये निकाल कर उसमें से डेढ़ लाख करोड़ रुपये कारपोरेट कंपनियों को थमा रही है।
भाकपा राज्य सचिव मंडल के सदस्य शैलेंद्र कुमार शैली ने सरकार की नीति पर सवाल उठाया और पूछा कि सरकार बताती क्यों नहीं कि निजीकरण से नुकसान छोड़ फायदे क्या-क्या हैं?वरिष्ठ माकपा नेता बादल सरोज ने सार्वजनिक क्षेत्र के घाटे का झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए बीएचईएल, बीएसएनएल और बैंक के उदाहरण बताते हुए कहा कि सरकार खुद पब्लिक सेक्टर को मार रही है।पत्रकार वार्ता में वाम तथा समाजवादी नेताओं ने कहा कि बाजार की महंगाई निरंतर बढ़ रही है और हालत यह है कि अभी प्याज के दाम 100 रुपये, लहसुन के 300 रुपये और दाल के 100 रुपये से ज्यादा हो चुके हैं। बाजार जनता को लूट रहा है और किसान कर्जदार होकर आत्महत्या करने को लाचार है। बेरोजगारी भयावह स्थिति तक पहुंच चुकी है।

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