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विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा भी जरूरी: शुक्ल

मैट्स यूनिवर्सिटी में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम

विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों का  व्याख्यान

रायपुर। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और आज शिक्षा के साधनों से लेकर सुविधाओं और पाठ्यक्रमों में भी परिवर्तन आ गया है। समय के साथ शिक्षकों शिक्षकों को भी अपडेट रहने  की आवश्यकता है। विद्यार्थियों को हम नैतिक शिक्षा भी प्रदान करें जो आज की महत्ती  जरूरत है। यह बातें फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में विषय विशेषज्ञों ने कहीं।
फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के संयोजक मैट्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडी के विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश गुप्ता ने बताया कि मैट्स यूनिवर्सिटी, रायपुर द्वारा 10 दिवसीय फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिये जा रहे हैं। फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के मुख्य  अतिथि छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. शिव वरण शुक्ल ने कहा कि नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है। शिक्षक वर्ग को भी नैतिक गुणों को अपनाना चाहिए क्योंकि उनके आचरण एवं चरित्र का सीधा प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ता है। श्री शुक्ल ने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों की सराहना की एवं कहा कि इस तरह  के आयोजन निरतंर होने चाहिए जिससे फैकल्टी समय के साथ अपडेट रहें। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर ने भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान की त्रासदी पर अपने अनुभव साझा किये एवं उन्होंने बताया कि तत्कालीन  समय में किस तरह लाखों लोग प्रभावित हुए थे।  नैयर ने पूर्व और वर्तमान समय में  मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। इसके पर्ू्व गत 11 अक्टूबर को फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्घाटन कुलाधिपति  गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. के.पी. यादव, उपकुपति डॉ. दीपिका ढांढ एवं कुलसचिव  गोकुलानंदा पंडा ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया था।
इस अवसर पर कुलाधिपति  गजराज पगारिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्याधिक सम्मानित स्थान प्राप्त है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। गुरु ही अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करता है। समय तेजी से बदल रहा है और बदलते समय के साथ शिक्षकों को भी अपनी अपडेट होना आवश्यक है।
कुलपति प्रो. के.पी. यादव ने कहा कि शिक्षा प्रणाली के विकास में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। किसी भी शैक्षणिक व्यवस्था में फैकल्टी आधार स्तंभ होता है और फैकल्टी को मजबूत रहना काफी आवश्यक है। प्रो. के.पी. यादव ने कहा कि फैकल्टी को विषय का ज्ञान तो होना ही चाहिए, साथ ही उसमें दक्षता, नेतृत्व क्षमता, नवाचार की क्षमता, शोध-अध्ययन प्रवृत्ति का भी होना आवश्यक है। उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ ने कहा कि वर्तमान समय में तेजी से परिवर्तन हो रहा है और इस दिशा में शिक्षकों को भी चलना चाहिए। परिवर्तन समय की मांग है और यह जरूरी है कि हम समय के साथ चलें। कुलसचिव  गोकुलानंदा पंडा ने ’लर्न, अनलर्न और रिलर्न’ विषय पर विस्तार से प्रकाश  डालते  हुए एक अच्छे शैक्षणिक वातावरण के निर्माण के प्रमुख बिंदुओं से अवगत कराया। इस अवसर पर विभिन्न  विभागों  के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापकगण उपस्थित थे।

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