Trending Nowदेश दुनिया

Mahashivratri 2022: उज्जैन के इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर भस्म से खेली जाती है होली, जानें कैसे होता है पर्व का आयोजन?

नई दिल्ली। देशभर में जब महाशिवरात्रि की धूम मची हुई है। देश के सभी छोटे बड़े मंदिर रंग-बिरंगे फूलों से सजे हैं। सभी मंदिरों में अलग-अलग तरीके से पूजा की जाती है। ऐसे ही महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उज्जैन में एक विशेष प्रकार से पूजा की जाती है। इसमें सुबह तीन बजे विशेष पंचामृत अभिषेक और भस्मारती पूजन किया जाता है। भोले बाबा की भस्म आरती में शामिल होने के लिए हर साल देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल मंदिर में पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश की उज्जैन नगरी में बसे इस मंदिर में इस दिन विवाह अर्थात महाशिवरात्रि की धूम मची रहती है। यहां ये पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसे ‘शिव नवरात्री’ कहा जाता है और इसके अंतिम दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

इसमें प्रात: 3 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती की जाती है, लेकिन इससे पहले भगवान को पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शकर व शहद से स्नान कराया जाता है। उसके बाद चंदन का लेपन लगाकर सुगन्धित दृव्य आदि चढ़ाए जाते हैं। उसके बाद भांग से बाबा का श्रृंगार किया जाता है। भभूत से श्रृंगार करने के बाद बाबा को वस्त्र ओढ़ाकर बाबा को भस्म रमाया जाता है। भस्मिभूत होने के बाद ढोल-नगाड़े और शंखनाद के साथ बाबा की भस्म आरती की जाती है।

उज्जैन में भगवान शंकर भूतभावन महाकाल रूप में विराजमान हैं। देशभर में स्थापित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केवल यही ज्योतिर्लिंग है, जिसकी मुद्रा दक्षिणमुखी है। इस दिन सारा वातावरण बाबा महाकालेश्वर के रंग में सराबोर रहता है। आरती के बाद शिवभक्त झूमते-नाचते भस्म की होली खेलते हैं।

advt--0005-april
advt--0007-april
advt-april2025-001
Share This: