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गुरु घासीदास के विचार और जीवन दर्शन से मिली सीख : बृजमोहन अग्रवाल

रायपुर । सर्वधर्म समुदाय ने रायपुर के आशीर्वाद भवन में गुरु घासीदास जयंती समारोह आयोजित किया। कार्यक्रम के दौरान भाजपा विधायक व पूर्वमंत्री बृजमोहन अग्रवाल उपस्थित रहे। उनके साथ महंत राम सुंदर दास, डॉ निगम, रविंद्र नाथ, अशोक तिवारी, जांगड़े, टंडन मौजूद रहे। इसके अलावा बृजमोहन अग्रवाल ने शासकीय आदर्श पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक एवं कन्या छात्रावास, पेंशन बाड़ा व टिकरापारा में आयोजित गुरुघासीदास जयंती कार्यक्रम में भी भाग लिया, इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं का उत्साह और मनोबल बढ़ाया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने सभी लोगों को गुरु घासीदास के 266वीं जयंती की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि, आज हम 266 वीं जयंती मनाई जा रही है, लेकिन सवाल इस बात का है कि हमसे कितने लोग आज भी गुरु घासीदास के बताए हुए बातों का पालन कर रहे हैं। उनके किसी एक लक्ष्य का भी पालन हम करते हैं तो हमारे जीवन की यह सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। हम सिर्फ गुरुओं को न माने बल्कि गुरुओं की भी माने, तभी हमारे जीवन उद्धार संभव होगा।

विधायक अग्रवाल ने आगे बताया कि, गुरु घासीदास द्वारा कही गई एक बात ‘मनखे मनखे एक समान’ मानवता की बहुत बड़ी परिचायक है। वैसे तो सभी ग्रंथो में सत्य एवं अहिंसा का पालन करने को कहा गया है, किंतु बाबा घासीदास ने सतनाम का संदेश जन-जन तक पहुँचाने के लिए घनघोर संघर्ष एवं तपस्या की। उन्होंने शोषित-पीड़ित समाज को न्याय दिलाने के लिए लोगों को संगठित करने का काम किया। समाज मे फैले ऊँच-नीच के भेदभाव को समाप्त कर एकता का सूत्र में पिरोने का काम किया। उनके प्रयासों से छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक समाज संस्कारित हुए। बाबाजी ने अपने जीवन के माध्यम से हमें यह संदेश दिया कि महान बनने के लिए कड़ी तपस्या, साधना व त्याग ये तीनों आवश्यक होते हैं। बाबाजी के दिये गए संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें बाबा घासीदास के इस संदेश, मार्ग, आचरण को हमें जीवन में उतारना है। जीवन जोड़ने की कोशिश करने वाले बाबाजी के बताए मार्ग पर चलते हुए हम सबको इस देश को जोड़ने का काम करना है।

बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि जब वे लोकनिर्माण विभाग मंत्री रहे, उस समय कुतुबमीनार से भी ऊंचा जैतखंभ बनवाया ताकि देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बाबा घासीदास का कीर्तिमान फैले। उन्होंने बाबा घासीदास के विचारों को करते हुए बताया कि बाबा सभी के दुःख दूर करने की बात कहते थे, इसलिए किसी भी समाज से कोई भी दुखी व्यक्ति मेरे पास आता है, तो मैं उसके दुःख दूर करने की कोशिश करता हूं।

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