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KISAN AANDOLAN : पीएम मोदी ने इशारों में दे दिया किसानों की समस्या के समाधान का ये फार्मूला, क्या थम जाएगा आंदोलन?

KISAN AANDOLAN: PM Modi gave this formula to solve the problems of farmers in gestures, will the movement stop?


किसान
आंदोलन के बीच गुजरात दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में इशारों ही इशारों में ही समझा दिया कि किसानोंकी समस्या का समाधान कैसे हो सकता है . उन्होंने अपने भाषण में आंदोलनरत किसानों का बिना नाम लिए यह समझाने की कोशिशकी कि किस तरह किसानों की आय बढ सकती है. नरेंद्र मोदी गुजरात के अमूल डेयरी मॉडल की तारीफ करते हुए किसानों के उज्ज्वलभविष्य के लिए कई संदेश देने की कोशिश की है.उन्होंने कहा, हमारा फोकस है

छोटे किसान का जीवन कैसे बेहतर हो, पशुपालन का दायरा कैसे बढ़े.पशुओं का स्वास्थ्य कैसे बेहतर हो. गांव में पशुपालन के साथ हीमछलीपालन और मधुमक्खी पालन को कैसे प्रोत्साहित किया जाए. मोदी ने कहा कि हमारी सरकार का जोर, अन्नदाता को ऊर्जादाताबनाने के साथ ही उर्वरकदाता बनाने पर है. उन्होंने किसानों और दुग्ध उत्पादकों को संबोधित करते हुए कहा कि दूरगामी सोच के साथलिए गए फैसले कई बार आने वाली पीढ़ियों का भाग्य कैसे बदल देते हैं, अमूल इसका एक उदाहरण है. पंजाब के आंदोलनरत किसानजो एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली घेरने की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए इशारों में ही संदेश दिया है कि अब किसान कोगेहूं धान से ऊपर उठने का समय गया है. ‘

1-धानगेहूं और गन्ना मिलकर भी डेयरी का मुकाबला नहीं कर सकते

गुजरात में दुग्ध उत्पादकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि आज देश में डेयरी उत्पाद का कुल टर्नओवर 10 लाख करोड़ रुपये से ऊपर है. इस बात को थोड़ा और समझाते हुए वो कहते हैं कि देश में धानगेहूं और गन्ने को मिलाकर भी जो उत्पादतैयार होता है उसका कुल टर्नओवर 10 लाख करोड़ नहीं पहुंचता है. उनके कहने का मतलब सीधा है कि किसानों को धानगेहूं और गन्नेसे ऊपर उठना होगा. कृषि आय को बढ़ाना है तो  दुग्ध उत्पादन , फल और सब्जियों का उत्पादन , अंडे आदि का उत्पादन पर जोर देनाहोगा.

भोजन का मतलब अब सिर्फ गेहूं और चावल नहीं रह गया है. सेफोलॉजिस्ट यशवंत देशमुख लिखते हैं कि एक समय अधिकांश गरीबभारतीय मुख्य भोजन के रूप में चावल या गेहूं ही खाते थे. प्रोटीन आहार के रूप में भारत के पास कुछ नहीं था. इसकी वजह से कुपोषणके मानकों पर भारत का प्रदर्शन खराब रहा. लेकिन जब से पीवी नरसिम्हा राव ने देश की इकोनॉमी खोली तो भारतीयों की आय बढ़ी, इसके बाद भारतीयों की हैसियत सब्जी फल और पनीर खाने लायक हो गईइसलिए जरूरी है कि किसान भी समय के साथ आगे कीदेखें और सोचे.अगर आप आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि बागवानी उत्पादन कुछ वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन से आगे निकल गयाहै.दुग्ध उत्पादन का ग्रोथ रेट भी दुनिया में सबसे अधिक 6 प्रतिशत के करीब भारत में है

2- किसानी के साथ पशुपालनमधुमक्खी और मछलीपालन भी करें

पीएम ने आज अपने संबोधन में बताया कि आज सरकार किस तरह  पशुपालन , मधुमक्खी पालन, मछलापालन के लिए माहौल तैयारकर रही है. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए देसी नस्लों को बचाए रखने, मुंहपका और खुरपका बीमारी की रोकथाम के लिए हजारोंकरोड़ रुपये की टीके लगाने की योजनाओं की उन्होंने जानकारी दी. मछली पालन के लिए चलाई जा रही योजना की प्रगति के बारे मेंभी बताया. उन्होंने कहा कि पशुपालन, मधुमक्खी पालन और मछली पालने वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है. मतलबसीधा संदेश था कि केवल अन्न उपजाने से काम नहीं चलने वाला है. किसानों को अगर अपनी आय बढ़ानी है तो उन्हें अपने को अपडेटकरना होगा. पीएम मोदी ने कहा, कि हमारी सरकार का जोर अन्नदाता को उर्जादाता बनाने के साथ ही उर्वरकदाता बनाने पर भी है.

हम किसानों को सोलर पंप दे रहे हैं

खेत की मेढ़ पर ही छोटेछोटे सोलर प्लांट लगाने के लिए मदद दे रहे हैं.

गोबरधन योजना के तहत पशुपालकों से गोबर खरीदने की व्यवस्था भी बनाई जा रही है.

हमारे डेयरी प्लांट में गोबर से बिजली पैदा की जा रही है.

बदले में बनने वाली जैविक खाद किसानों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध कराई जा रही है.

3-सहकारी संस्थानों को विशाल कॉर्पोरेट बनाने की तैयारी

अमूल एक सहकारी समिति है जिसकी स्थापना बहुत पहले सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में हुई थी. आज दुनिया की आठवीं बड़ीडेयरी इकाई बन चुकी है. आज अमूल ने लाखों किसानों के जीवन में उजाला भर दिया है. हजारों लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. पीएम मोदी ने आह्वान किया कि बहुत जल्दी अमूल को दुनिया की सबसे डेयरी प्रॉडक्ट करने वाली इकाई बनाना है. मोदी ने कहा किदेश में पहली बार सहकारिता को बढ़ाने के उद्देश्य से एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है.  दरअसल आजादी के बाद से हीसहकारिता को किसानों की आय बढाने और देश की तरक्की का एक रास्ता बताया गया पर इस पर ठीक से काम नहीं हो सका.पीएममोदी चाहते हैं कि गांवगांव में किसान सहकारी समितियों का विकास हो.

पीएम मोदी बताते हैं कि देश के दो लाख से अधिक गांव में सहकारी समितियों का निर्माण किया जा रहा है. खेती हो, पशुपालन हो यामछली पालनइन सभी सेक्टर्स में ये समितियां बनाई जा रही हैंआज बीजेपी सरकार दूसरी सहकारी समितियों को करोड़ों रुपए कीमदद दे रही है. हमने गांवों में खेती से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया है. इस योजना का लाभ भीकिसानों से जुड़े संगठनों को हो रहा है. सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है और ये मोदी की गारंटी है.ग्रामीण अर्थव्यवस्था कोमजबूत करने के लिए सहकारिता बढ़ाया जा रहा है.

4- किसान कृषि उद्यमी बनें

यह बहुत पुरानी बात है किसानों को उनके उपज का उचिच मूल्य नहीं मिलता रहा है. किसान से एक रुपये किलो आलू खरीद कर आजसे 25 साल पहले जब 30 रुपये पैकेट अंकल चिप्स मिलना शुरू था तभी से यह बात उठती रही है. मसालेतेल या अनाज कुछ भीहो जब उन अनाज से कोई उद्योगपति प्रॉडक्ट तैयार कर लेता है तो वह उस फसल के मूल्य के दस गुने से भी अधिक लाभ कमाता है. पीएम मोदी की तैयारी किसान को अन्न उत्पादक से प्रॉडक्ट उत्पादन करने वाला कृषि उद्यमी बनाने की है. इसके लिए मोदी अपनीयोजनाओं की जानकारी देते हैं. पीएम मोदी ने आज कहा कि सहकारी समितियों का इस्तेमाल मेड इन इंडिया यानि मैन्यूफैक्चरिंग केलिए की जा रही है. इसके लिए टैक को भी बहुत कम किया गया है. 10 हजार किसान उत्पाद संघ बनाए जा रहे हैं जिसमें 8 हजार बनभी चुके हैं.  ये छोटे किसानों के बड़े संगठन हैं. ये छोटे किसानो को कृषि उद्यमी और निर्यातक बनाने का मिशन है. खेती से जुड़ेइन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लाख करोड़ का फंड बनाया गया है. इस योजना का लाभ भी सहकारी समितियों को हो रहा है.

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