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Khairagarh by-election : उपचुनाव में थमा प्रचार, जिले बनाने की घाेषणा भाजपा के लिए बन सकती है हार का कारण, जनता में कांग्रेस का विश्वास बढ़ा

खैरागढ़ । खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में सियासत के अलग-अलग रंग देखने को मिले। चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस और भाजपा के दिग्गजों ने ताल ठोंक दी है। कांग्रेस की ओर से चुनावी कैंपेन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में हो रहा है, तो भाजपा ने पांच मंडल में पांच नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। हाल यह है कि खैरागढ़ में हर तीसरे दिन राजनीति दल किसी नए मुद्दे को लेकर मैदान में आ जाते हैं। धान और किसान से शुरू हुआ चुनाव प्रचार, जिला बनाने के वादे के साथ अब भगवा राजनीति तक पहुंच गया है। किसान बाहुल राजनांदगांव जिले के खैरागढ में किसानों के धान खरीदी के मुद्दे से चुनाव कैंपेन शुरू हुआ, लेकिन कांग्रेस ने जब चुनावी घोषणा पत्र जारी किया तो खैरागढ़ जिला बनाने का वादा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया। जिला के मुद्दे पर कांग्रेस को भाजपा नेताओं ने जमकर घेरने की कोशिश की।खैरागढ़ के चुनावी मैदान में पहली बार राजपरिवार की उपस्थिति शून्य है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक रहे देवव्रत सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है। कांग्रेस, भाजपा और जकांछ में से किसी भी दल ने राजपरिवार के किसी सदस्य को चुनाव मैदान में नहीं उतारा। जबकि कांग्रेस चुनाव में देवव्रत सिंह की प्रतिमा बनाने के वादे के साथ उतरी है।

शराब, साड़ी और पैसे पर अटकी चुनावी यात्रा

जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, दोनों दलों की चुनावी नैया शराब, साड़ी और पैसे बांटने पर अटक गई। भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के निशान वाली साड़ी की जब्ती की गई। अब इन साड़ियों को भाजपा अपना मानने से इनकार कर रही है ।

 

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