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KHABAR CHALISA SUNDAY TADKA तिरछी नजर : भाजपा चौकस, दिग्गजों पर नजर

KHABAR CHALISA SUNDAY TADKA Skewed view: BJP alert, keeping an eye on veterans

नगरीय निकाय चुनाव में इस बार भाजपा का प्रबंधन बेहतर रहा है। पार्टी के दो बड़े नेता अजय जामवाल और पवन साय ने खुद नजर रखी है । वो सभी प्रमुख शहरों में जाकर पार्टी प्रत्याशियों की स्थिति की मानिटरिंग की। साथ ही कुछ को फटकार भी लगाई है। खास बात यह है कि स्थानीय नेताओं के झगड़े की वजह से सरगुजा संभाग में कुछ जगहों पर पार्टी प्रत्याशियों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर नहीं है।

अम्बिकापुर में तो महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने ऑन लाईन मीटिंग में प्रदेश प्रभारी नितीन नबीन को साफ तौर पर बता दिया कि स्थानीय बड़े नेता ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। जामवाल और पवन साय को पहले से इसकी जानकारी रही है। वो पहले से ही इसको लेकर स्थानीय नेताओं को हिदायत दे चुके हैं। अम्बिकापुर में मुकाबला नजदीकी हो गया है। चिरमिरी को छोडक़र बाकी नगर निगमों में पार्टी की राह आसान है। कुल मिलाकर राज्य बनने के बाद निकाय चुनाव में भाजपा को इस बार सबसे ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद है।

स्वास्थ्य मंत्री के परीक्षा की घड़ी

चर्चा है कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पर भाजपा के रणनीतिकारों की नजर है। स्वास्थ्य मंत्री ने चिरमिरी से अपने करीबी रामनरेश राय को टिकट दिलवा दिया जो कि कभी निर्दलीय वार्ड प्रत्याशी के रुप में चार वोट ही हासिल किए थे।

जायसवाल संगठन के पसंदीदा माने जाते हैं। इस वजह से मेयर प्रत्याशी तय करवाने में उनकी अहम भूमिका रही। अब जब प्रत्याशी थोड़े कमजोर दिख रहे हैं तो जायसवाल पर नजर गयी है। प्रचारित तो यह भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. विनय जायसवाल की राह आसान करने के लिए जान बूझकर कमजोर प्रत्याशी तय करवाया गया । जबकि कई मजबूत नेता मेयर टिकट की लाईन में थे।

अजय जामवाल और पवन साय चिरमिरी भी गये थे। स्वास्थ्य मंत्री को एक तरह से चेताया भी गया है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री चिरमिरी में घर-घर घूम रहे हैं। खुद को प्रत्याशी बताकर वोट मांगने को मजबूर हो गये हैं। इशारा साफ है कि नतीजे अनुकूल नहीं रहे तो उनकी खुद की राह कठिन हो जायेगी। वैसे भी विधानसभा सत्र निपटने के तुरंत बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल होना है।

राज्यपाल की सक्रियता

राज्यपाल रामेन डेका पिछले दिनों दिल्ली में थे। वो एक दिन में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं से मिले। उनकी सक्रियता की खूब चर्चा हो रही है।

बताते है कि अगले साल असम में विधानसभा के चुनाव हैं। ऐसे में उनके असम की राजनीति में वापसी की अटकलें भी लगाई जा रही है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि रामेन डेका ने साय सरकार के कामकाज को लेकर भी मोदी और अन्य नेताओं को जानकारी दी है। राज्यपाल के दिल्ली दौरे को लेकर काफी हलचल रही।

नंदी बने निगम के एमडी

नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के शोरगुल के बीच वनविभाग में छोटा सा फेरबदल हुआ है। पीसीसीएफ (वर्किंग प्लान) मौरिस नंदी को वन विकास निगम का एमडी बनाया गया है। नंदी आईएफएस के 1992 बैच के अफसर हैं।

निगम में एमडी पद पर आनंद बाबू थे जो कि 31 जनवरी को रिटायर हो गये। नंदी पर्यटन बोर्ड के एमडी के साथ साथ कई अन्य पदों पर रह चुके हैं। विभाग ने काफी कुछ होना बाकी है। फिलहाल हाईकोर्ट के अहम फैसले पर सरकार के लोगों की नजर है, जो कि इस माह के आखिरी तक आ सकता है। इसके बाद कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।

कैम्पा में लागू हुआ ई-कुबेर तो …

वन विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एसीएस ऋचा शर्मा ने कमर कसी है। एसीएस ने संकेत दे दिए हैं कि 1 अप्रैल से कैम्पा में भी ई-कुबेर लागू किया जायेगा। यानि भुगतान ऑन लाईन होगा।

कैम्पा में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। यह सालों से होता आया है। ये अलग बात है कि कैम्पा ज्यादातर समय मौजूदा पीसीसीएफ (प्रशासन) वी.श्रीनिवास राव के पास ही रहा है। कैम्पा मद के कार्यो में अनियमितता की ढेरों शिकायतें हुई है लेकिन कार्रवाई नहीं के बराबर होती रही है। अब ई-कुबेर लागू हुआ तो काम में थोड़ी पारदर्शिता आने की उम्मीद है। आगे क्या होता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।

ऑडियो-वीडियो से गर्माएगी राजनीति

बसना नगर पंचायत में निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के बाद आडियो जारी हो चुका है। जिसमें स्थानीय भाजपा नेताओं ने कुछ कांग्रेस के लोगों के साथ मिलकर प्रत्याशियों के नाम वापस कराने का खुलासा हुआ है। मगर कुछ और ऑडियो देर सबेर जारी हो सकता है।

एक ऑडियो तो ऐसा है जिसमें रायपुर नगर निगम के एक नेता को टिकट दिलाने के लिए कांग्रेस के एक प्रमुख पदाधिकारी द्बारा काफी दबाव बनाया गया था। दबाव बनाने के पीछे की रणनीति का ऑडियो में जिक्र है । भाजपा में भी कुछ इस तरह का ऑडियो बना है जिसमें एक युवा नेता ने टिकट नहीं मिलने पर अधिकृत प्रत्याशी को हराने की धमकी देते सुने जा सकते हैं। साथ ही पार्टी के प्रमुख नेताओं को भी काफी भला-बुरा कहा गया है। कुल मिलाकर इन ऑडियो-वीडियो से आने वाले दिनों में कांग्रेस व भाजपा की अंदरूनी लड़ाई खुलकर सामने आ सकती है।

दिग्गजों पर जांच एजेंसियों का घेरा..

विधानसभा सत्र निपटने के बाद भ्रष्टाचार के मसले पर जांच एजेसियां बड़े लोगों पर हाथ डाल सकती है। शराब,कोयला,महादेव एप मामले की जांच तो चल ही रही है और अब दवा खरीदी घोटाला भी इसमें जुड़ गया है।

संकेत है कि कुछ अफसर भी सीधे-सीधे जांच एजेंसियों के घेरे में आ सकते हैं। दवा खरीदी मामले में तीन आईएएस अफसर पहले ही निशाने पर आ गये हैं। कुछ और ताकतवर लोग इस फेहरिस्त में जुड़ सकते हैं। एजेंसी के रुख पर नजर टिकी हुई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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