KHABAR CHALISA SUNDAY SPECIAL तिरछी नजर : परेशान हैं मंत्री जी 

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KHABAR CHALISA SUNDAY SPECIAL तिरछी नजर : सरकार के एक ताकतवर मंत्री इन दिनों में परेशान हैं। मंत्रीजी की दिल्ली बड़े नेताओं के बीच अच्छी पैठ बन गई है। मगर प्रदेश में उन्हें कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं।

 

बताते हैं कि मंत्री जी के क्षेत्र का उनके भाई संभालते थे लेकिन भाई के खिलाफ लेने देन की शिकायत आने लगी थी। इसके बाद उन्होंने अपने भाई को पूरे कामकाज से अलग कर दिया है।

 

मंत्री जी ने एक सरकारी मुलाजिम को यह काम दिया है, जो विधानसभा क्षेत्र के साथ लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए काम करेंगे।

मंत्रीजी अपने इलाके के पोर्टल संचालकों से भी परेशान हैं, जो उनके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। ऐसे में ताकतवर मंत्रीजी का परेशान होना स्वाभाविक है।

 

कौन बनेगा मंत्री?

 

साय कैबिनेट का विस्तार कब होगा, यह तय नहीं है। मगर एक बात साफ है कि मानसून सत्र के पहले हर हाल में कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा।

इन सबके बीच कैबिनेट के संभावित नामों को लेकर चर्चा चल रही है। एक उद्योगपति ने नेताओं के बीच एक नाम का खुलासा भी कर दिया है।

दूसरी तरफ, भाजपा के तीन बड़े नेताओं ने दिल्ली कूच कर दिया है। ये नेता भी मंत्री बनना चाहते हैं और इस लड़ाई में किसी भी सूरत पर पीछे नहीं रहना चाहते हैं।

 

भाजपा विधायक नाराज

 

सत्तारुढ़ दल के विधायक धीरे-धीरे सरकार के कामकाज को लेकर मुखर होते जा रहें हैं। जोगी कांग्रेस से भाजपा में शामिल होकर विधायक बने एक नेताजी ने अपने क्षेत्र के लोगों से कह दिया है कि काम की संभावनाएं कम है। आवेदन तो मैं लगातार हर जगह दे रहा हूं लेकिन मेरे आवेदनों को रद्दी की टोकरी में फेंक दी जा रही है। इस सक्रिय विधायक की व्यथा सुनकर क्षेत्र के लोगों को भी समझ आने लगा है कि नेताजी की आखिरी पारी है। विधायक जी बोल बच्चन में माहिर है लेकिन क्षेत्र में काम नहीं होने की शिकायत ऊपर करने से डर रहे हैं।

शीशमहल की तरह कंबोड़…

 

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शीशमहल की चर्चा देशभर में होती रही है। शीशमहल में लगे कंबोड को जांच एजेंसी ने 25 लाख का बताया था। जिस कंपनी का केजरीवाल ने अपने शीशमहल में कंबोड लगाया था उसी कंपनी का कंबोड राजधानी रायपुर के एक बिल्डर ने अपने बंगले में भी लगवाया है। खास बात ये है कि बिल्डर ने एक नहीं बल्कि चार कंबोड लगवाया है।

कंबोड की कुल कीमत करीब 1 करोड़ रुपया आंकी जा रही है। बताते हैं कि कंबोड में सोने की परत लगी है। इसकी वजह से एक कंबोड की कीमत 25 लाख हो गई है। छत्तीसगढ़ के एक बड़े कालोनी के मालिक जिनके यहां इसी साल छापा भी पड़ा था। उन्होंने भी अपने घर में ऐसी ही चार कंबोड लगवाई है। इस बिल्डर की कमाई और मकान की कीमत कितनी होगी, इसका अंदाज लगाना आसान नहीं है।

पार्टी दफ्तर के निर्माण का खर्चा

 

सुकमा के कांग्रेस भवन ( राजीव भवन) को ईडी ने अटैच किया है उसके बाद अन्य जिलों में राजीव भवन बनाने वाले बड़े कांग्रेसी दिग्गजों के हाथ पांव फुल रहे हैं। कांग्रेसी सुकमा के राजीव भवन का पूरा रिकार्ड देकर निश्चिंत हो गये थे अचानक अटैच की खबर के बाद दिल्ली तक हडक़ंप मच गया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन की तैयारी कर रही है। इधर , एक राजनीतिक पार्टी द्बारा कार्यालय बनाने के लिए करोड़ों की जमीन खरीदने की भी चर्चा जोरों पर है।

बस्तर में भाजपा की दिक्कतें

 

बस्तर भाजपा की राजनीति में उठापटक के संकेत मिल रहे हैं। पार्टी और सरकार एक तरफ नक्सलवाद को खत्म करने जोरदार प्रयास कर रही है। बस्तर में आधार मजबूत करने रणनीति भी तैयार हो रही है लेकिन विधायकों की छवि पार्टी कार्यकर्ताओं में ही खराब होने की शिकायत से संगठन के कान खड़े हो गये हैं। तीन से अधिक विधायकों की कार्यप्रणाली की शिकायत पार्टी संगठन में गई है। उद्योग धंधे और कमीशन के खेल में लगे इन नेताओं की टिकिट आगामी समय खतरे में पड़ सकती है।

पूर्व आईएएस की बेटी पर फर्जीवाड़ा…

 

एक चौंकाने वाले खुलासे ने जिला पंचायत की राजनीति में हडक़ंप मचा दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नम्रता सिंह जैन पूर्व आईएएस स्व.नारायण सिंह की पुत्री है। उन पर फर्जी अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र के जरिए एसटी आरक्षित सीट जीतकर अध्यक्ष पद पर काबिज होने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला सामाजिक न्याय, संवैधानिक प्रावधानों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है। शिकायतकर्ता के अनुसार, नम्रता सिंह जैन ने जो एसटी प्रमाण पत्र (जारी तारीख 26/12/2019) प्रस्तुत किया, वह फर्जी है। यह प्रमाण पत्र तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर चन्द्रिका प्रसाद बघेल द्वारा जारी किया गया था। आरोप है कि प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उचित सत्यापन नहीं किया गया, जो प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार को दर्शाता है।आरोपों के मुताबिक, संयुक्त कलेक्टर चन्द्रिका प्रसाद बघेल ने बिना सत्यापन के यह प्रमाण पत्र जारी किया, जो भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के दिशानिर्देशों (10 अप्रैल 2003 और 15 जून 2010) के अनुसार, 1950 से पहले निवास का सत्यापन अनिवार्य है। इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज की गई। नम्रता विधानसभा टिकट की दावेदार भी थीं देर सबेर मामला बढ़ सकता है।

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