Hindutva Vs Chattisgarhia Vad….
रायपुर। आखिर ऐसा क्या हो रहा है, जिसकी वजह से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की परेशानियां लगातार बढ़ रही है। देश में सिर्फ 02 राज्य ऐसे हैं, जहां पर कांग्रेस की सरकार है राजस्थान और छत्तीसगढ़, लेकिन बीजेपी की असली गले की फांस छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बन गए हैं।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज कांग्रेस में जान फूंकने का काम कर रहे हैं। सीएम बघेल लगातार बीजेपी के कांग्रेस मुक्त अभियान में रुकावट डाल रहें हैं। सीएम भूपेश बघेल ना सिर्फ़ भाजपा के शीर्ष नेताओ के खिलाफ मुखर होकर बोलते हैं, बल्कि कांग्रेस की भीतरी खाने में भी मज़बूती के साथ पार्टी विचारधारा का पक्ष रखते है।
देश में ओबीसी का बड़ा चेहरा बनकर उभरे भूपेश बघेल –
छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश में भी OBC का बड़ा चेहरा बनकर सीएम भूपेश बघेल उभरे हैं। गांधी परिवार भी जानता है कि कई गुटों में बंटी पार्टी G-23 जैसी चुनौतियों से झूझने के साथ-साथ ED, CBI और IT जैसे हथियार का भी सामना कर रहा है। ऐसे हालात में सीएम भूपेश बघेल एक मज़बूत आधार स्तंभ बनकर उभरे हैं। यही वजह है कि आज की तारीख़ में गांधी परिवार के सबसे विश्वासपात्र कोई है तो वो है भूपेश बघेल।
भूपेश बघेल कांग्रेस की प्राणवायु –
सीएम भूपेश बघेल नाम का यह मजबूत स्तंभ इस समय कांग्रेस की प्राणवायु हैं और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस पाइपलाइन को काटना चाहता है। कांग्रेस का यही फैक्टर भाजपा केंद्रीय संगठन को थोड़ा बेचैन कर रहा है। उसकी मंशा तो दरअसल कांग्रेस को फिर से रिवाइव करने से रोकने से हैं।
केंद्र के लिए कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा छत्तीसगढ़ –
भाजपा केंद्रीय संगठन के लिए छत्तीसगढ़ कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा क्योंकि वो जानते हैं कि यहां से लोकसभा की 11 सीटों में से 09 से 10 सीटें तो आसानी से उनकी झोली आ जाती हैं। 2018 के चुनाव में भी जब राज्य में भाजपा का सूपड़ा साफ़ हुआ और मात्र 14 सीटों पर सिमटा, तब भी लोकसभा में उनकी 9 सीटें आ गई। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि मात्र 90 विधानसभा वाले छत्तीसगढ़ में भाजपा की बेचैनी बढ़ गई हैं। 2018 में चुनाव के ठीक पहले अनिल जैन को प्रभारी बनने से लेकर हाल में ओम माथुर को प्रभारी बनाने तक 4 साल में पार्टी ने ना जाने कितने चेहरे बदल डाले। सौदान सिंह गए, शिव प्रकाश जी आए वो भी गए अब हाल ही में अजय जामवाल जी आ गए। इधर, भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की छुट्टी कर डाली। विष्णु देव साय की जगह अरुण साव व धरम लाल कौशिक की जगह नारायण चंदेल। यानी भाजपा ने छत्तीसगढ़ नेतृत्व के कई चेहरे बदल डाले।
छत्तीसगढ़ में नही कोई परिवर्तन की लहर –
इसके उलट भाजपा की राज्य इकाई के कार्यकर्ताओं का मानना है कि पार्टी कितने भी चेहरे बदल डाले पर कुछ प्लेअर जो अभी भी फ़्रंट फ़ुट में खेल रहे हैं। अगर उन्हें नेपथ्य में नहीं किया गया तो पार्टी को इस बार फिर हार का सामना करना पड़ सकता है। क्योकि इनमें से अधिकांश चेहरे गैर छत्तीसगढ़िया है। कुछ कहो 2023 का मुक़ाबला रोचक होने वाला है। इस बार परिवर्तन की लहर बिल्कुल नही हैं।
अगर भाजपा के पास राष्ट्रवाद और हिंदुत्व जैसे बाउंसर हैं, तो कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ियावाद, तीज त्योहार, संस्कृति जैसे स्पिन हथियार हैं और धान बोनस की गूगली तो कांग्रेस के पास है ही। देश के पिच क्यूरेटर अगर नरेंद्र मोदी जी है तो छत्तीसगढ़ की पिच सीएम भूपेश बघेल ने तैयार की। मैच अगले साल खेला जाएगा लेकिन नेट प्रैक्टिस दोनों टीम ने शुरू कर दी हैं।
RSS के साथ मंथन में जुटी भाजपा –
छत्तीसगढ़ में RSS प्रमुख और पूरी टीम विचार विमर्श कर रही हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी साथ हैं। संगठन की यह मीटिंग 3 दिनों तक चलेगी। सोचने वाली बात है कि इतनी महत्वपूर्ण बैठक छत्तीसगढ़ में क्यों हो रही है ? छत्तीसगढ़ की जमीन को भगवा रंग में रंगने की तैयारी हो रही हैं या कांग्रेस के साथ हिंदुत्व के रुख से RSS कोई और नई रणनीति बनाएंगी।