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विधानसभा में उठा विधायक बृहस्पति सिंह द्वारा मंत्री पर जान के खतरे का आरोप लगाने का मामला

रायपुर। बृहस्पति के आरोप के मसले को लेकर विपक्ष ज़बर्दस्त हंगामा करते रहा और उसने लगातार माँग रखी कि, अध्यक्ष चरणदास महंत इस पर व्यवस्था दें, और समिति से जाँच की घोषणा करें।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने व्यवस्था के प्रश्न पर कहा
“सरकार का पक्ष सूने बग़ैर कोई निर्णय नहीं आता.. सरकार का पक्ष आने दीजिए”
इस पर भाजपा विधायक दल ने कहा
“सरकार पर आरोप है, मुख्यमंत्री पद का ज़िक्र है कि मुख्यमंत्री बनने के लिए हत्या होनी है.. इस पर सरकार का पक्ष क्यों सुनें.. पूरी सरकार पर ही सवाल है”
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा
“ऐसी सरकार जिसके मंत्रियों के बीच संवाद नहीं होता.. चिट्ठी के ज़रिए चर्चा होती है.. वो क्या पक्ष देगी”
वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा
“सबसे पहले जिन्होंने आरोप लगाया उनकी बात सुनी जाए फिर मंत्री जिस पर आरोप लगा उनकी सुनी जाए.. और जो साथ अठारह विधायक वे विषय रखें.. ताकि फिर निर्णय हो”
इस पर संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा
“आप आसंदी को निर्देशित कैसे कर सकते हैं..”
विपक्ष इस मसले पर सरकार की ओर से बयान सुनने को तैयार नहीं है, विपक्ष का आरोप है कि सरकार खुद आरोपी है। इधर आसंदी की ओर से निर्देश आए कि सरकार अपना पक्ष रखे लेकिन विपक्ष का हंगामा जारी रहा।
यह दिलचस्प था कि जबकि विपक्ष इस मसले को लेकर हंगामा कर रहा था मंत्री सिंहदेव और विधायक बृहस्पति सिंह सदन में नहीं थे। हालाँकि क़रीब पंद्रह मिनट बाद दोनों ही आ गए।
इधर हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही पाँच मिनट के लिए स्थगित कर दी गई ट।

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