‘कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था’, यासीन मलिक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि हमारे देश में आतंकवादी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई मिली थी। बता दें कि यह मामला 1990 में श्रीनगर में भारतीय वायुसेना के 4 कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा है।
क्या है मामला?
दरअसल, 1989 में भारतीय वायुसेना के 4 कर्मियों की हत्या के मामले में मलिक मुख्य आरोपी है। 2022 में एक जम्मू की एक कोर्ट ने इस मामले में मलिक को शारीरिक रूप से पेश होने को कहा था। मलिक ने भी कहा था कि वे व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहते हैं। हालांकि, CBI इस जम्मू कोर्ट के इस आदेश का विरोध किया है। CBI ने कहा कि मलिक की शारीरिक उपस्थिति जम्मू-कश्मीर में माहौल बिगाड़ सकती है।
कोर्ट में क्या हुआ?
मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ कर रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “मलिक को सुनवाई के लिए जम्मू नहीं ले जाया जा सकता। गवाहों की सुरक्षा भी चिंता का विषय है। मलिक कोई साधारण अपराधी नहीं है। वो हाफिज सईद से मिलने के लिए कई बार पाकिस्तान गया।” इस पर पीठ ने कहा, “हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई दी गई थी।”
CBI ने कहा- दिल्ली स्थानांतरित किया जाए मुकदमा
मेहता ने कहा, “अगर मलिक व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर अड़े हैं तो मुकदमा दिल्ली स्थानांतरित किया जाए। मलिक व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर जोर देकर ‘चालें चल रहे हैं’।” इस पर पीठ ने कहा, “जेल में एक कोर्ट रूम बनाया जा सकता है और वहां ऐसा किया जा सकता है।” कोर्ट ने CBI को संशोधित याचिका दायर करने और एक हफ्ते में मामले से जुड़े सभी आरोपियों को भी पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी है।
तिहाड़ जेल में कैद है मलिक
फिलहाल मलिक तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष कोर्ट ने आतंकवादी वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराया था। NIA के अनुसार, मलिक ने पाकिस्तान समेत दूसरे देशों से फंड हासिल कर घाटी में अशांति फैलाने का काम किया था। मलिक को पाकिस्तान उच्चायोग से भी आर्थिक मदद मिली थी। इन पैसों से घाटी में पथराव, आगजनी, उपद्रव और विरोध-प्रदर्शनों किए गए थे।