Judge Yashwant Verma cash case: जज यशवंत वर्मा के घर नकदी मिलने के मामले में SC का सुनवाई से इनकार

Judge Yashwant Verma cash case: नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर कैश मिलने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले को लेकर जज पर FIR की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। बीते दिन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा ने आग्रह किया कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए क्योंकि यह व्यापक जनहित से संबंधित है।
‘FIR की जरूरत है’
Judge Yashwant Verma cash case: सीजेआई ने तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामलों के मौखिक उल्लेख की प्रथा को रोक दिया है। सीजेआई ने कहा, ‘यह काफी है। याचिका पर उसी के अनुसार सुनवाई होगी।’ वकील ने कहा कि टॉप अदालत ने सराहनीय काम किया है, लेकिन एफआईआर की जरूरत है।
सीजेआई ने कहा, सार्वजनिक बयान न दें
Judge Yashwant Verma cash case: इस मामले में एक महिला और सह-याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर ऐसा मामला किसी आम नागरिक के खिलाफ होता तो सीबीआई और ईडी जैसी कई जांच एजेंसियां उस व्यक्ति के पीछे लग जातीं। इस पर सीजेआई ने कहा कि याचिका पर सुनवाई होगी। वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने सराहनीय काम किया है, लेकिन एफआईआर की जरूरत है। इस पर सीजेआई ने कहा- सार्वजनिक बयान न दें। बता दें कि नेदुम्परा और तीन अन्य ने रविवार को एक याचिका दायर कर पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।
1991 के फैसले को दी चुनौती
Judge Yashwant Verma cash case: याचिका में के.वीरस्वामी मामले में 1991 के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें टॉप अदालत ने फैसला दिया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना उच्च न्यायालय या टॉप अदालत के किसी न्यायाधीश के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।
क्या है पूरा मामला?
Judge Yashwant Verma cash case: कथित नकदी की बरामदगी 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई, जिसके बाद अग्निशमन अधिकारी मौके पर पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त इन-हाउस कमेटी के तीन सदस्यों ने आरोपों की जांच शुरू करने के लिए न्यायमूर्ति वर्मा के आवास का दौरा किया।विवाद के मद्देनजर, टॉप अदालत के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की, जिन्हें सीजेआई के निर्देश के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने पदच्युत कर दिया था।