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ISRO’S ANALOG MISSION : अंतरिक्ष अनुसंधान में नया अध्याय, इसरो का एनालॉग मिशन लद्दाख में शुरू, जानें इसके उद्देश्य और महत्व

ISRO’S ANALOG MISSION: New chapter in space research, ISRO’s analog mission started in Ladakh, know its objectives and importance.

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने पहले एनालॉग अंतरिक्ष मिशन के लॉन्च की घोषणा की। एनालॉग अंतरिक्ष मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में मौजूद चुनौतियों का अध्ययन करना है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में मददगार साबित होंगे।

इस मिशन में एचएबी-1 नाम का कॉम्पैक्ट, इन्फ्लेटेबल आवास शामिल है, जो पृथ्वी से अलग किसी बेस स्टेशन की तरह एक अंतरग्रहीय आवास स्थल जैसा होगा। यह लद्दाख के लेह में आयोजित किया जा रहा है। भारत द्वारा कई अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने की योजना से अलग नया मिशन भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के बाहर मिशनों में आने वाली चुनौतियों को समझने में मदद करेगा।

इसरो ने एक्स पर इस मिशन को लेकर जानकारी दी। अपनी पोस्ट में कहा, “भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लेह में शुरू हुआ!” अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “यह मिशन पृथ्वी से अलग बेस स्टेशन की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरग्रहीय आवास में जीवन जीने से जुड़ा है।”

एचएबी-1 हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई और स्वच्छता सुविधाओं जैसी आवश्यक सुविधाओं से लैस है। यह एक आत्मनिर्भर वातावरण प्रस्तुत मूल्यवान डेटा प्रदान करता है क्योंकि भारत चंद्रमा, मंगल और उससे आगे के लिए लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों की योजना बना रहा है। यह मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, इसरो, एएकेए स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे का एक संयुक्त प्रयास है और इसे लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद सपोर्ट करता है।

इस मिशन के लिए लद्दाख को इसकी भूगर्भीय विशेषताओं की वजह से चुना गया है, जो कि मंगल और चंद्र परिदृश्यों से काफी मिलती जुलती हैं। इसकी ठंडी, शुष्क परिस्थितियां और हाई एल्टीट्यूड, लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी और रणनीतियों के परीक्षण के लिए एक बेहतर वातावरण पेश करती हैं। मिशन के दौरान, वैज्ञानिक नई तकनीकों, रोबोटिक उपकरणों, वाहनों, आवासों और संचार का परीक्षण करेंगे। वे एनालॉग मिशन के दौरान बिजली उत्पादन, गतिशीलता, बुनियादी ढांचे और भंडारण को भी समझने की कोशिश करेंगे।

एचएबी-1 मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर अलगाव और कैद के प्रभावों का भी अध्ययन करेगा। इन निष्कर्षों से इसरो को प्लान किए गए मानव-रोबोट एक्सप्लोरेशन ऑपरेशन की ताकत, सीमाओं और वैधता को समझने में मदद मिल सकती है।

राजनगर प्रभागीय वन अधिकारी सुदर्शन गोपीनाथ ने कहा, “यह एनालॉग मिशन अन्य ग्रहों पर जीवन की जटिलताओं को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने कहा, ” मिशन के तहत प्राप्त जानकारी भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगी।” देश के अंतरिक्ष विजन 2047 में 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) – स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को उतारना शामिल है।

 

 

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