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केंद्रीय जेल रायपुर में करीब 3500 सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदी, चाकूबाजी, हत्या जैसे अपराधों में जा रहे सलाखों के पीछे

रायपुर : केंद्रीय जेल रायपुर में करीब 3500 सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदियों को रखा गया है। लेकिन, इसमें से आधे से अधिक युवा हैं। करीब 50 फीसदी बंदियों की औसतन उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है। इसमें सबसे ज्यादा विचाराधीन बंदी हैं। ये चोरी, मारपीट, चाकूबाजी, हत्या, हत्या का प्रयास, एनडीपीएस, आर्म्स एक्ट, छेड़छाड़ और दुष्कर्म सहित अन्य छोटे अपराध में जेल पहुंचे हैं। इन्हें जेल की क्षमता नहीं होने के बाद भी रखा जा रहा है। रोजाना औसतन करीब 40 नए बंदियों को जेल दाखिल किया जाता है।

केंद्रीय जेल रायपुर की क्षमता 1586 कैदियों को रखने की है। लेकिन यहां 3500 बंदियों को रखा गया है। इसमें सबसे 1582 सजायाफ्ता, करीब 1900 विचाराधीन, 3 नाइजीरियन और सिविल मामलों के कैदी शामिल है। यह निर्धारित क्षमता का करीब 60 फीसदी अधिक है। बता दें कि कैदियों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए आरंग स्थित ग्राम गोढ़ी में करीब 85 एकड़ में नई जेल का निर्माण किया जा रहा है। वहीं जेल में लगातार बढ़ रही भीड़ को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट और बिलासपुर हाईकोर्ट समय-समय पर आदेश जारी कर जेलों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कहा है। इसके अलावा राष्ट्रीय एवं राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा भी जेलों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कहा गया है।

इतने कैदी 18 से 30 वर्ष के 650
30 से 50 वर्ष 740
50 वर्ष से अधिक 192

विचाराधीन बंदी
18 से 30 1150
30 से 50 690
50 वर्ष से अधिक 81

नशीले पदार्थो के खुलेआम मिलने के कारण युवा वर्ग इसकी गिरफ्त में आता जा रहा है। अधिकांश अपराध नशे की लत और उसके सेवन करने के कारण हो रहे है। इससे वह उत्तेजना में आकर अपराध को अंजाम दे रहे है। वहीं बच्चों की ओर माता-पिता के ध्यान नहीं देने और सामाजिक नियंत्रण के नहीं रहने के कारण भी अपराध हो रहे है। सोशल मीडिया में जिस तरह से अश्लीलता और खुलापन परोसा जा रहा है उससे भी दिगभ्रमित होकर युवा वर्ग अपराध जगत की ओर बढ़ रहा है। वहीं कानून का डर खत्म होने के कारण युवक अपराधों को अंजाम दे रहे है।
– बीएस जागृत, सेवानिवृत डीएसपी

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