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तपस्या में हम तन नहीं, मन से कमजोर होते हैं : विराग मुनि

In penance we become weak not in body but in mind: Virag Muni

एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में चातुर्मासिक प्रवचन

रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में श्री विनय कुशल मुनिजी महाराज साहब के सानिध्य में आत्मस्पर्शीय चातुर्मास चल रहा है। शनिवार सुबह प्रवचन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए विराग मुनि महाराज साहब ने कहा, जिसने अपना मन जीत लिया, उसने सब जीत लिया। तपस्या में भी हम मन से ही कमजोर हो जाते हैं। पारणे में शाही व्यंजन ही करना है, फिर तपस्या के क्या मायने? एक दिन के लिए अन्न-जल त्याग दिया। अगले ही दिन खाने पर टूट पड़े तो कैसा त्याग! कम से कम भोजन का राग तो हमें छोड़ना ही होगा। मैं ये नहीं कहता कि शाही और लजीज व्यंजन मत खाइए।‌ खाइए पर संयमित और संतुलित तरीके से। आहार का राग तोड़ना ही अपने आप में तपस्या है। हम ही इसे नहीं तोड़ पाते। सभी तरह के पाप का कारण इंद्रियां हैं। हमें अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करनी होगी। इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं है तो यकीन मानिए, यही आपके पतन का कारण बनेगा। इंद्रियों पर विजय पाना भी एक महान तपस्या है।

अपेक्षा करेंगे तो उपेक्षा भी होगी, फिर क्रोध आएगा और सब बर्बाद हो जाएगा

मुनिश्री ने कहा, किसी से किसी भी तरह की अपेक्षा न करें। अपेक्षा करेंगे तो उपेक्षा होगी। फिर क्रोध आएगा। क्रोध में आकर तो अच्छे-अच्छों की गति बिगड़ गई। क्रोध में आकर मनुष्य अपनी ही बर्बादी के द्वार खोल देता है। इसी तरह ईर्ष्या भी मनुष्य की सबसे बड़ी दुश्मन है। किसी से ईर्ष्या कर आप उसी के गुलाम बन जाते हैं। उसकी उपलब्धियां आपको प्रभावित करने लगती हैं। दूसरों से ईर्ष्या कर खुद ही को बेवजह क्यों परेशान करना?

आज प्रभु वर्धमान पर विशेष प्रवचन

आत्मस्पर्शीय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि रविवार सुबह 8.30 से 10.30 बजे तक प्रभु वर्धमान पर विशेष प्रवचन होगा। श्री विराग मुनि ने बताया कि यह जानने और समझने योग्य विषय है। दोपहर में 2.30 बजे से बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष शिविर रखा गया है। शिविर का विषय नॉलेज ऑफ ज्ञान, तप, शील है। बसंत लोढ़ा और रमेश जैन ने बताया कि दादा गुरुदेव इकतीसा जाप के तहत रात 8.30 से 9.30 बजे तक भक्ति प्रतिदिन जारी है।‌

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