
If you spend more time in doing religion then you will be saved from committing sin: Virag Muni
एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में चातुर्मासिक प्रवचन
रायपुर। अहिंसा, पाप आदि से बचना चाहिए। अपना ज्यादा से ज्यादा समय धर्म क्रिया में लगाएं, तो पाप से बच जाएंगे। प्रवचन, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय में हमेशा सच्चे और अच्छे मन के साथ समय बिताना चाहिए।
एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में विराग मुनि म.सा. ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि यह समय वापस नहीं आएगा। पुण्य फल है कि हमें जैन कुल मिला। पांचो इंद्रियां सही मिली। पर्वों के राजा पर्यूषण आ रहे हैं। इन आठ दिनों में अपना मन धर्म-आराधना में लगाएं। देव-गुरु, धर्म की कृपा है कि हमें प्रवचन श्रवण करने का अवसर मिला है, लेकिन हम धन कमाने में लगे हैं। एक दिन यह धन छोड़कर जाना ही पड़ेगा, साथ में नहीं जाएगा। साथ जाएगा तो सिर्फ पुण्य। उन्होंने कहा कि जब हमारे भीतर अहंकार होता है तो अच्छी बात भी बुरी लगती है। यही वजह है कि ज्ञानी अपने भीतर विनय गुण लाने कहते हैं।आज हमें जहां व्यापार और धन को छोड़ने की जरूरत है, वहां हम धर्म का साथ छोड़ रहे हैं। बस बहाना मिलना चाहिए और सबसे पहले धर्म क्रिया छोड़ते हैं। छोड़ने जैसा संसार है, धर्म नहीं।
दान-धर्म सामर्थ्य अनुसार करें दिखावा कर कोई फायदा नही
मुनिश्री ने कहा, दान-धर्म सामर्थ्य अनुसार करें। जहां तक साधर्मिक भक्ति की बात है तो यह गुप्त ही होनी चाहिए। समाज में किसी जरूरतमंद की मदद करें तो दूसरों को इस बारे में बताने की जरूरत नहीं है। आज अगर आपका अच्छा समय चल रहा है तो यह पुण्य का प्रभाव है। जब पुण्य खत्म होगा और पापोदय होगा, तब क्या करेंगे? मानव जीवन को सफल बनाते हुए आत्मा की गति सुधारनी है तो भगवान महावीर के बताए पंचशील सिद्धांतों को अपनाते हुए नेकी के रास्ते पर चलें।
पर्यूषण महापर्व आज से, दादाबाड़ी मेें 6 सितंबर तक मनाएंगे उत्सव
आत्मस्पर्शीय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख, महासचिव नरेश बुरड़ और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि चातुर्मास के अंतर्गत दादाबाड़ी में रोज सुबह 8.30 से 9.30 बजे तक प्रवचन जारी हैं। श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया, 31 अगस्त से 6 सितंबर तक पर्वाधिराज पर्यूषण मनाया जाएगा। यह क्षमा का महापर्व है। समाजजनों से अपील है कि इन आठ दिनों में अपने द्वारा जाने-अनजाने हुई गलतियों का प्रायश्चित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय साधना-आराधना में बिताएं।