नई दिल्ली, खाने के तेल की बढ़ती कीमतों को काबू करने के मकसद से केंद्र सरकार द्वारा पाम तेल पर आयात शुल्क में कटौती के बावजूद तमाम खाद्य तेलों के दाम में तेजी बदस्तूर जारी है। घरेलू वायदा बाजार में पाम तेल का दाम रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर है।
पाम तेल महंगा होने से अन्य खाद्य तेलों में भी तेजी बनी हुई है। कच्ची घानी सरसों तेल के दाम में पिछले साल के मुकाबले 21 फीसदी, जबकि सोया तेल के दाम में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है। मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल का दाम बढ़ने के कारण भारत में खाद्य तेलों की कीमतें तेज हैं और बाजार के जानकारों की मानें तो उपभोक्ताओं को खाने के तेल की महंगाई से फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
केंद्र सरकार ने रिफाइंड पामोलीन के आयात पर शुल्क 50 फीसदी से घटाकर 45 फीसदी और क्रूड पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क 40 फीसदी से घटाकर 37.50 फीसदी कर दिया है जो एक जनवरी से लागू है।
भारत तकरीबन 150 लाख टन सालाना खाद्य तेल का आयात करता है, जिसमें सबसे ज्यादा आयात पाम तेल का होता है। दुनिया में पाम तेल का मुख्य उत्पादक व निर्यातक इंडोनेशिया और मलेशिया है, जहां बायोडीजल कार्यक्रम शुरू होने से तेल की खपत बढ़ने और उत्पादन कमजोर रहने के अनुमानों से पाम के दाम में लगातार तेजी का सिलसिला जारी है।
बाजार के जानकार बताते हैं कि आने वाले दिनों में पाम तेल के दाम और इजाफा हो सकता है।खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता ने आईएएनएस को बताया कि भारत में पाम तेल पर आयात शुल्क में कटौती का फायदा न तो उपभोक्ताओं को मिलेगा और न ही उद्योग और देश के किसानों को।