आईएमए के प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से मुलाकात कर अस्पतालों व क्लीनिक की परेशानियों से अवगत कराया

रायपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉ विकास अग्रवाल, सचिव डॉ. दिग्विजय सिंह के नेतृत्व मे प्रतिनिधिमंडल ने गुरूवार को कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे से मुलाकात कर उन्हें क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन में अस्पतालों तथा क्लीनिक को हो रही परेशानियों से अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा चिकित्सा संस्थानों को स्वीकृति देने में काफी देर होती है और यही समस्या फायर एनओसी को लेकर भी है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मांग की कि सभी क्लीनिक को फायर एनओसी की बाध्यता से मुक्त रख क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत लाइसेंस प्रदान किया जाए तथा अन्य चिकित्सा संस्थानों को फायर एनओसी के आवेदन के आधार पर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में रजिस्ट्रेशन दिया जाए क्योंकि एनओसी जारी होने में काफी समय लगता है। पिछले वर्ष दिसंबर में तत्कालीन कलेक्टर रायपुर द्वारा आहूत बैठक में सहमति बना ली गई थी उस आदेश का पालन नहीं हो पाया। वर्तमान कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भुरे ने इस संबंध में वे जरूरी कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
इस वर्ष मार्च महीने में कमिश्नर रायपुर श्री प्रभात मलिक से मुलाकात कर आईएमए ने मांग की थी कि अनुज्ञप्ति लाइसेंस तथा यूजर चार्ज के नाम पर चिकित्सा संस्थानों से लिया जाने वाला शुल्क अन्य व्यवसायिक संस्थानों की तुलना में 10 गुना अधिक है, परंतु इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है । साथ ही अनुज्ञप्ति लाइसेंस के लिए कई चिकित्सा संस्थानों से फायर एनओसी की मांग निगम प्रशासन के द्वारा की जा रही है, जबकि इस संबंध में शासन का कोई भी आदेश जारी नहीं हुआ है। इस वजह से बहुत से चिकित्सा संस्थानों को अनुज्ञप्ति लाइसेंस भी प्राप्त नहीं हो रहा है। सभी चिकित्सा संस्थान क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते हैं परंतु, विभिन्न विभागों द्वारा लंबित प्रक्रिया की वजह से चिकित्सा संस्थानों को जरूरी लाइसेंस नहीं मिल पाते हैं और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। इस हेतु आईएमए ने पूर्व में भी एक सिंगल विंडो व्यवस्था बनाने की मांग की थी। अपनी मांगों को लेकर आईएमए रायपुर का प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही कमिश्नर रायपुर से मिलेगा।