उपद्रवियों पर मेहरबान चन्नी सरकार, लाल किला पर हंगाम करने वाले आरोपियों को 2 लाख रूपए देने का किया ऐलान
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नई दिल्ली। अभी हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए चरणजीत सिंह चन्नी ने बीते वर्ष 26 जनवरी को लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराने और ट्रैक्टर रैली का आड़ में उत्पात मचाने वाले कुल 83 आरोपियों को 2-2 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। पंजाब सरकार आगामी गणतंत्र दिवस के मौके पर सभी आरोपियों को यह आर्थिक सहायता प्रदान करने जा रही है। बता दें कि इस दिन किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि बिलों के प्रति अपना विरोध प्रदर्शित करने हेतु ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था। जैसा कि सब जानते हैं कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। यहां सभी को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है, लिहाजा केंद्र सरकार ने इसी अधिकार को ध्यान में रखते हुए सभी आंदोलित किसानों को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली की इजाजत दे दी थी, लेकिन किसी को इस बात की तनिक भी भनक नहीं थी कि यह लोग किसानों के भेष में देश की अस्मिता को ठेस पहुंचाकर पूरे किसान समुदाय को शर्मसार करने का काम करेंगे।\
लेकिन इन लोगों ने किसानों के भेष में लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर का जिस तरह उपहास उड़ाया, वह अति निंदनीय है। इस कुकृत्य की जितनी भत्सर्ना की जाए, उतनी कम है, लेकिन अब आप पंजाब सरकार के इस फैसले को क्या कहेंगे। पंजाब के नवनियुक्त मुख्यमंत्री ने उन सभी शरारती तत्वों को 2 लाख रूपए तोहफे के रूप में देने जा रही है, जिन्होंने अपने कुकृत्यों से न महज देशीय पटल पर अपितु वैश्विक पटल पर भी समस्त राष्ट्र को शर्मसार करने का दुस्साहस किया है।
बता दें कि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने ट्वीट कर कहा कि, ‘”तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को मेरी सरकार के समर्थन को दोहराते हुए, हमने 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने की वजह से गिरफ्तार किए गए 83 लोगों को मुआवजा देने का फैसला किया है।” बता दें कि आगामी कुछ माह बाद पंजाब में चुनावी बिगुल बजने जा रहा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी सारी गोटियां फिट करने में जुट चुकी है। वहीं, कांग्रेस में बवाल का सिलसिला जारी है। बेशक, सिद्धू ने अब अपना इस्तीफा वापस ले चुको हों, लेकिन चन्नी के खिलाफ उनके बगावती तेवर इस बात को बयां करने के लिए पर्याप्त है कि अभी-भी पार्टी में स्थिति दुरूस्त नहीं हुई है।
उधर, सोनिया गांधी के लाख मनाने के बावजूद भी अपने सख्त रूख पर बरकरार रहने वाले कैप्टन अब अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं। माना जा रहा है कि वे आगामी चुनाव उनकी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती है। ऐसे में पूरी संभावना है कि कांग्रेस को दोहरी चुनौति का सामना करना पड़ सकता है। शायद इसलिए अपनी बंजर हो चुकी सियासी जमीन को सींचित करने के लिए कांग्रेस ये सारी कोशिशें करती दिख रही है, लेकिन उसकी ये कोशिशें आगामी चुनाव में कितनी सफल हो पाती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल, हालिया चुनावी सर्वे में चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों के हत्थे निराशा ही लगती नजर आ रही है। चुनावी सर्वे में साफ कहा गया है कि इस बार प्रदेश में ‘आप’ की सरकार बनेगी। खैर, अब आगे चलकर प्रदेश की सियासी स्थिति क्या रूख अख्तियार करती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।