CG VIDHANSABHA UPDATE : बोधघाट परियोजना को लेकर विधायक और मंत्री के बीच तीखी बहस
CG VIDHANSABHA UPDATE: Heated debate between MLA and Minister regarding Bodhghat project
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के दौरान आज पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने बोधघाट परियोजना का मुद्दा उठाया. इस मुद्दे पर मंत्री रविंद्र चौबे और बृजमोहन अग्रवाल के बीच बहस भी हुई.
बृजमोहन ने आरोप लगाया कि ब्लैक लिस्टेड कंपनी Wapcos को फायदा पहुंचाने के लिए 41 करोड़ का पेमेंट देने के लिए काम दिया. ये कंपनी केंद्र सरकार की नहीं है और ब्लैकलिस्टेड है. काम पूरा हुए बिना 12 करोड़ का पेमेंट भी किया जा चुका है, जबकि पर्यावरणीय स्वीकृति में यह स्पष्ट उल्लेख है कि वहां हाइड्रल प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है. सिंचाई नहीं हो सकती.
इस पर मंत्री चौबे ने कहा कि अभी भी विभाग का मानना है कि बोधघाट परियोजना से बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में सिंचाई हो सकती है. मंत्री ने यह स्वीकार किया कि अभी डीपीआर का काम पूरा नहीं हुआ है. इसके लिए एजेंसी ने समय बढ़ाने की मांग की है.
बृजमोहन अग्रवाल ने क्या कहा? –
दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान बृजमोहन ने बोधघाट परियोजना को लेकर पूछा कि क्या बोधघाट परियोजना का काम प्रारंभ होने वाला है. यदि हां, तो कब से? मंत्री ने बताया कि वर्तमान में बोधघाट बहुद्देश्यीय वृहद परियोजना का सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य प्रंगति पर है. अत: निर्माण कार्य प्रारंभ करने की तिथि अभी बता पाना संभव नहीं है. बृजमोहन ने पूछा कि बोधघाट परियोजना के सर्वेक्षण का कार्य किस एजेंसी को दिया गया है? क्या एजेंसी को पूर्व में भी विभाग ने सर्वेक्षण का कार्य दिया था?
मंत्री बोले- ब्लैक लिस्टेड होने की जानकारी शासन को नहीं है…
मंत्री चौबे ने बताया कि बोधघाट परियोजना के सर्वेक्षण व अनुसंधान और भारत शासन की वैधानिक अनुमतियां प्राप्त करने का काम Wapcos (वाप्कोस) लिमिटेड गुरुग्राम को दिया गया है. जल संसाधन विभाग द्वारा उक्त एजेंसी को पूर्व में सर्वेक्षण का कार्य नहीं दिया गया है. उक्त एजेंसी के किसी अन्य राज्य में ब्लैक लिस्टेड होने की जानकारी शासन को नहीं है. बोधघाट प्रोजेक्ट के सर्वे पर अब तक 1250.87 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं.
बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि वाप्कोस कंपनी को मध्यप्रदेश शासन द्वारा ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका है. इस संबंध में ऑडिटर जनरल ने विभाग को पत्र लिखकर आपत्ति की है कि यह काम 1980 में हो चुका है. इसके बावजूद बिना टेंडर के 41 करोड़ का काम दिया गया और 12 करोड़ का पेमेंट भी कर दिया. बृजमोहन ने आरोप लगाया कि जान-बूझकर लाभ पहुंचाने के लिए कंपनी को काम दिया गया. पर्यावरणीय स्वीकृति में केंद्र ने यह स्पष्ट किया है कि बोधघाट प्रोजेक्ट में सिंचाई नहीं हो सकती. मंत्री ने कहा कि अभी भी विभाग का मानना है कि बोधघाट परियोजना से बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में सिंचाई हो सकती है.