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CG BIG NEWS : 20 करोड़ से अधिक का सरकारी धान दबाकर बैठे है 24 मिलर

CG BIG NEWS: 24 millers are sitting on pressing government paddy worth more than Rs 20 crores.

रायगढ़। रायगढ़ जिले के राइस मिलरों पर विपणन विभाग की इतनी मेहरबानी क्यों रहती है यह किसी को समझ नहीं आता. एक खरीफ सीजन पार हो गया, अब दूसरा खरीफ सीजन में धान उठाने का वक्त आ गया, लेकिन बीते खरीफ का जिले के 24 मिलर 20 करोड़ से अधिक का सरकारी धान दबाकर बैठे हैं. यह खुद विपणन विभाग द्वारा स्वीकार किया जा रहा है. यह धान मिलरों के पास है या नहीं यह जांच भी विभाग के अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं. हालात यह है कि अभी भी 6200 मीट्रिक टन चावल इन मिलरों को जमा करना बाकी है. इसमें नागरिक आपूर्ति निगम में जहां 2476 एमटी जमा करना बाकी है. वहीं एफसीआई में 3724 एमटी जमा करना है.

अब तक 24 मिलरों ने नहीं जमा किए चावल

खास बात यह है कि चावल जमा करने के लिए तीन बार अवधि बढ़ाई जा चुकी है. इसके बावजूद 24 मिलरों ने चावल जमा नहीं किया है. अब इसे लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगा है. 23 दिन गुजर चुके हैं 2023 खरीफ सीजन का धान खरीदी शुरू हुए. अब तक 28 हजार 574 क्विंटल धान की खरीदी भी हो चुकी है. इसमें 27 हजार 73 क्विंटल जहां मोटा धान है. वहीं 1500 क्विंटल सरना धान शामिल है. अभी खरीदी हो रही धान को उठाने का वक्त भी आ गया है, लेकिन बीते खरीफ सीजन का चावल अभी तक जमा नहीं हो सका है.

अधिकारी केवल (बीजी) बैंक गारंटी इन मिलरों का जमा होने का हवाला देकर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. जबकि तय समय के बाद बीजी को इनकैश करने का प्रावधान होता है, लेकिन यहां के अधिकारी ऐसा नहीं करते. शुरुआती दौर में दो-तीन मिलों में जांच की गई थी, लेकिन कार्रवाई कुछ हुआ नहीं. अभी के हालात जो सरकारी धान इन मिलरों ने उठाया था वह है या नहीं इसकी जानकारी भी अधिकारियों को नहीं है. चूंकि उनको जो धान उठाया है उसका तय मानक में चावल जमा करने से मतलब होता है. धान को लेकर किसी तरह की जांच और कार्रवाई नहीं की जाती है.

नहीं होगा मिल पंजीयन

वर्तमान खरीफ सीजन में खरीदी जा रही धान उठाने के लिए मिल पंजीयन भी शुरू हो गया है. इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिन मिलरों को पांच किलो चावल भी जमा करने के लिए बाकी है उनका पंजीयन नहीं हो पाएगा. ऐसे में या तो बीते खरीफ सीजन का चावल जमा करना पड़ेगा या फिर इस बार धान उठाने से वंचित बाकी है इन मिलरों का ऑनलाइन सॉफ्टवेयर आवेदन स्वीकार नहीं करेगा.

बढ़ते जा रही संख्या

मिलर हर बार नुकसान का रोना रोते हैं, लेकिन मिल पंजीयन के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल बढ़ते जा रहा है. इस जिले में 100 से अधिक मिलरों का एग्रीमेंट होता है. यह आंकड़ा तीन साल पहले तक केवल 70-80 था. यदि नुकसान होता तो मिलरों की संख्या नहीं बढ़ती. एक मिलर का दो से तीन एग्रीमेंट होता है यानी दो से तीन मिल संचालित किया जाता है.

 

 

 

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