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केंद्र सरकार ने सेंट्रल पुल में छत्तीसगढ़ का उसना चावल खरीदने की दी अनुमति

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मोदी की गारंटी की घोषणा पत्र के साथ छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली बंपर जीत के बाद अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी है। प्रदेश में मुख्यमंत्री विष्णुदेव के नेतृत्व में मोदी की गारंटी योजना पर कामकाज शुरू हो चुका है। छत्तीसगढ़ प्रमुख रुप से धान उत्पादक राज्य है यहां धान की पैदावार अधिक होती है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में धान को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय कर धान खरीदी पर नीतियां बनाई जाती है। केंद्र सरकार ने विष्णुदेव साय सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए एफसीआई को केंद्रीय पूल के लिए छत्तीसगढ़ का उसना चावल खरीदने की अनुमति दे दी है।

 

गौरतलब है कि देश भर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में गरीबों को राशन देने के लिए केंद्र सरकार के माध्यम से केंद्रीय पूल के लिए गेहूं और धान की खरीद करती है। मुख्यमंत्री के आग्रह को स्वीकार करते हुए केन्द्रीय खाद्य मंत्री के निर्देश पर भारत सरकार के खाद्य विभाग मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ से 15 लाख मीट्रिक टन उसना चावल लेने की स्वीकृति तत्काल मिल गई।

एक ही दिन में मिली अनुमति
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि सीएम साय ने राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीद की स्थिति एवं की ओर केन्द्रीय खाद्य मंत्री गोयल का ध्यान आकर्षित करते हुए 21 दिसंबर को ही पत्र लिखा था। इसमें सीएम ने सेन्ट्रल पूल में चावल लेने का कोटा 61 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 74 लाख मीट्रिक टन करने के साथ ही राज्य से 59 लाख मीट्रिक टन अरवा तथा 15 लाख मीट्रिक टन उसना चावल लिए जाने का अनुरोध अपने पत्र में किया है।

 

 

मुख्यमंत्री ने जताया आभार
मुख्यमंत्री साय ने भारत सरकार से उसना चावल लेने की अनुमति मिलने पर कहा कि डबल इंजन की सरकार होने की वजह से छत्तीसगढ़ के किसानों को यह फायदा मिला है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल का इसके लिए राज्य के किसानों की ओर से आभार जताया है।

किसानों को होगा फायदा
बता दें कि प्रदेश में कुछ किस्म के धान के मिलिंग में ज्यादा ब्रोकन आने के कारण निर्धारित गुणवत्ता का अरवा चावल नहीं बनने से अरवा मिलिंग में कठिनाइयां आती है। ऐसे धान की उसना मिलिंग कराने से कस्टम मिलिंग में गति आएगी। इससे एक ओर सोसायटी से धान का उठाव तेजी से होगा, जिससे किसानों को धान बेचने के लिए दिनों-दिन इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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