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केंद्र का बड़ा फैसला, सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगे, पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किया…

झारखंड से लेकर दिल्ली तक पारसनाथ मामले को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र के फैसले के मुताबिक, पारसनाथ स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थान सम्मेद शिखर अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा. मोदी सरकार द्वारा गुरुवार को बीते 3 वर्ष पहले जारी किए गए अपने ही आदेश को वापस ले लिया है. इस बावत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आज एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है. नए नोटिफिकेशन के मुताबिक सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं. केद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बात की जानकारी आज जी है.

सम्मेद शिखर जी पर मोदी सरकार का फैसला:

1. पारसनाथ मामले में केंद्र ने समिति बनाई

2. राज्य सरकार समिति में जैन समुदाय से दो सदस्य शामिल करें

3. स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य शामिल करें

4. 2019 की अधिसूचना पर राज्य कार्रवाई करे

5. 2019 अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक

6. पर्यटन, इको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक

7. झारखंड सरकार तत्काल आवश्यक कदम उठाये

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जैन समुदाय के प्रतिनिधि मंडल ने की थी भूपेंद्र यादव से मुलाकात

बता दें कि इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ दिल्ली में जैन समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि  झारखंड के पारसनाथ पहाड़ पर बने जैन समुदाय के पवित्र तीर्थ स्थान सम्मेद शिखर की पवित्रता की रक्षा की आग्रह करने वाले जैन प्रतिनिधि मंडल से उन्होंने मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया था कि केंद्र की मोदी सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थानों की रक्षा व सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

केंद्र ने अपना ही फैसला लिया वापस

बता दें कि साल 2019 में केंद्र द्वारा सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया था. जिसके बाद झारखंड सरकार द्वारा एक संकल्प जारी करके जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया था. इतना ही नहीं गिरिडीह जिला प्रशासन द्वारा नागरिक सुविधाएं विकसित करने के लिए 250 पन्नों का इससे जुड़ा मास्टर प्लान भी बना रखा है.

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