Trending Nowशहर एवं राज्य

BIG NEWS : हारे हुए प्रत्याशी EVM डाटा और VVPAT पर्चियों का करा सकेंगे मिलान – EC

BIG NEWS: Lost candidates will be able to match EVM data and VVPAT slips – EC

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की ओर एक और प्रावधान किया है। इस प्रावधान की राजनैतिक दलों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही थी। इसके मुताबिक मतदान में गड़बड़ी की आशंका वाले (मतदान और मतगणना से असंतुष्ट) प्रत्याशी किसी भी मतदान केंद्र की कोई भी ईवीएम (EVM) जांच के लिए चुन सकते हैं। जिनका डाटा (data) और वीवीपैट (VVPAT) पर्चियों का मिलान किया जा सके।

पराजित प्रत्याशियों ने की है शिकायत –

बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजे (4 जून) आने के बाद से निर्वाचन आयोग को अब तक 8 उम्मीदवारों की शिकायतें और दोबारा मिलान के आवेदन आ चुके हैं। इनमें मशीन, डाटा, गिनती, मिलान और माइक्रोचिप से गड़बड़ी या छेड़छाड़ की आशंकाएं जताई गई हैं।

चुनाव आयोग ने किया है ये ऐलान –

आयोग ने SOP जारी कर चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को ये सुविधा देने का ऐलान किया है। नियमानुसार किसी भी हलके में कुल ईवीएम वीवीपैट सेट की संख्या के पांच फीसदी का मिलान औचक तौर पर किया जाता है। इस संख्या के दायरे में ही उम्मीदवार अपनी विशिष्ट पसंद के बूथ और ईवीएम की क्रम संख्या बताते हुए जांच का अनुरोध समुचित शुल्क चुकाकर कर सकते हैं।

रकम एडवांस में जमा करनी पड़ेगी –

आयोग के अधिकारियों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट के मेमोरी वेरिफिकेशन के लिए प्रति मशीन 40 हजार रुपए और उस पर 18 फीसदी का जीएसटी एडवांस जमा करना पड़ता है। आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम सभी के सामने डाटा वेरिफाई करती है। अगर शिकायत सही मिली यानी ईवीएम डाटा और पर्चियों के बीच अनियमितता यानी गड़बड़ पाई गई तो कार्रवाई होगी और शिकायतकर्ता को पूरा शुल्क वापस किया जाएगा। शिकायत सही नहीं हुई तो शुल्क जब्त हो जाएगा.

100% मिलान संभव नहीं –

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के 26 अप्रैल को आए फैसले के मुताबिक मतगणना से सात दिनों के भीतर वेरिफिकेशन की अर्जी लगानी आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को दिए अहम फैसले में साफ कर दिया था कि मतदान ईवीएम मशीन से ही उचित हैं। ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। ईवीएम के आंकड़े यानी मेमोरी और वीवीपैट की पर्ची 45 दिनों तक सुरक्षित रखी जाएगी। ये पर्चियां उम्मीदवारों या उनके एजेंट के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेंगी।

शिकायत सही होने पर खर्च मिलेगा वापस –

कोर्ट का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित किया जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा. यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। अगर किसी स्थिति में ईवीएम में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस दिया जाएगा। वहीं, इस दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करने से संदेह ही पैदा होता है। लोकतंत्र का मतलब ही विश्वास और सौहार्द बनाए रखना है।

 

 

 

advt-april2025-001
holi-advt01
advt02-march2025
advt-march2025
Share This: